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भूगोल अध्याय-1: भूगोल एक विषय के रूप में
(1) 01 भ ू गोल एक विषय के रूप में पथ् ृ िी हमारा घर है:- • पथ् ृ वी हमारा घर है। • पथ् ृ वी के चारों ओर अलग- अलग तत्व दिखाई िेते हैं। • जिनमें मिृ ा वनस्पतत, मैिान, पहाड़, नदियााँ, मौसम, सू यय का प्रकाश, घर, सड़क, अस्पताल, खेत, पाकय, स्क ू ल, उद्योग, ऑफिस, व्यापाररक संस्थान आदि। • इनमें बहु त से तत्त्व प्रक ृ तत के अंग हैं। • िबफक क ु छ का तनमायण मानव ने फकया हैप्रक ृ तत के सहयोग से। • िो प्रक ृ तत के तत्वों होते हैउन्हें प्राक ृ ततक के तत्व कहते हैं। • िबफक मानव द्वारा तनर्मयत तत्वों को मानवीय तत्व या सांस्क ृ ततक तत्व कहते हैं। इरेटॉस्थेनीज़:- 1. इरेटोस्थनीि 276 ईसाप ू वय से 195–194 ईसा प ू वय को भ ू गोल का पपता कहा िाता है। 2. इरेटोस्थनीि य ू नान के एक गणणतज्ञ, भ ू गोलपवि, कपव, खगोलपवि एवं संगीत र्सद्धानतकार थे। 3. Geography शब्ि का प्रयोग सवयप्रथम ग्रीक पवद्वान इरेटॉस्थेनीज़ ने फकया था। भ ू गोल:- 1. ‘ भ ू गोल ‘ ग्रीक भाषा में िो शब्िों GEO अथायत पथ् ृ वी तथा Graphos अथायत वणयन करना से बना है। इस तरह इसका शाजब्िक अथय ‘ पथ् ृ वी का वणयन करना है। 2. ‘ इरेटॉस्थनीि, नामक ग्रीक पवद्वान ने (276-194 ई• प•) ू में Geography शब्ि का प्रयोग फकया था। वतयमान समय में भ ू गोल शब्ि का अथय है फक ‘ पथ् ृ वी के धरातल पर पाई िाने वाली स्थातनक (Spatial) तथा सामातयक (Temporal) पवर्भन्नताओं (Varations) के अध्ययनं को भग ू ोल कहते हैं। िैज्ञाननक विषय के रूप मेंभ ू गोल:- भ ू गोल एक वैज्ञातनक पवषय है। एक पररपक्व वैज्ञातनक पवषय के रूप में भ ू गोल तनम्नर्लणखत तीन वगो के प्रश्नों से संबंधधत है:-
(2) 01 भ ू गोल एक विषय के रूप में 1. क्या? क ु छ प्रश्न ऐसेहोतेहैिो भ ूतल पर पाई िानेवाली प्राक ृ ततक तथा सांस्क ृ ततक पवशेषताओं के प्रततरूप की पहचान से ि ुड़े हु ए होते हैं, िो ‘ क्या ‘ प्रश्न का उत्तर िेते है। 2. कहााँ? क ु छ ऐसे भी प्रश्न होते हैंिो पथ् ृ वी पर भौततक एंव सांस्क ृ ततक तत्वों के पवतरण से ि ुड़े हु ए होते हैं, ये ‘ कहााँ‘ प्रश्न से संबद्ध होते हैं। 3. क्यों? क ु छ प्रश्न कौन – से तत्व कहााँ जस्थत हैं, से संबंधधत सू चीबद्ध सू चनाओं से ि ुड़े हु ए होते हैं। ये प्रश्न व्याख्या अथवा तत्वों एवं तथ्यों के मध्य कायय कारण संबंध से ि ुड़े हु ए होते हैं। भ ू गोल का यह पक्ष ‘ क्यों प्रश्न ि ुड़ा हु आ होता है। हमेंभ ू गोल विषय का अध्ययन क्यों करना चाहहये ? ‘ भ ू गोल का अध्ययन हमारे र्लए अतत आवश्यक हैक्योंफक:- 1. भ ू गोल के अध्ययन से हमें मानव समािों में पायी िाने वाली पवर्भन्नता को समझने में आसानी होती है। जिससे वैजश्वक शाजन्त और भाई – चारे की भावना प्रबल होती है। 2. भ ू गोल हमको भ ू पष् ृठ की पवपवधताओं को समझनेतथा स्थान व समय अथायत Space and Time के संिभय में ऐसी पवर्भन्नताओं को पैिा करने वालेकारकों की तलाश करने की योग्यता िेता है। 3. भ ू गोल मानधचत्र के िररये वास्तपवक पथ् ृ वी को िानने और धरातल पर पवर्भन्न तत्वों के दृश्य ज्ञान की क ु शलता पवकर्सत करता है। 4. भ ू गोल में आधत ु नक वैज्ञातनक तकनीकों िैसे:- भौगोर्लक सू चना तंत्र (GIS) संगणक मानधचत्र- कला (Computer Cartography) िरू संवेिन (Remote Sensing) के अध्ययन ने ज्ञान और क ु शलता को प्राप्त करने तथा राष्रीय पवकास में सहयोग करने की िक्षता प्रिान की है। 5. इसने पवश्व में व्यापार – वाणणज्य में वद्ृ धध के साथ – साथ प्रशासन चलाने, भ्रमण व पययटन को बढावा दिया है।
(3) 01 भ ू गोल एक विषय के रूप में भ ू गोल के अध्ययन की दो प्रम ु ख उपागम है। • क्रमबद्ध उपागम • प्रािेर्शका उपागम क्रमबद्ध भ ू गोल (Systematic Geography):- 1. क्रमबद्ध भ ू गोल में एक पवर्शष्ट भौगोर्लक तत्व का अध्ययन फकया िाता है। 2. क्रमबद्ध पवधध फकसी क्षेत्र का समाकर्लत (Integrated) रूप प्रस्तुत करती है। 3. यह पवधध रािनैततक इकाइयों पर आधाररत होती है। 4. यह अध्ययन, खोि व तथ्यों को प्रस्तुत करती है। 5. इस अध्ययन में एक घटक िैसे िलवाय ु के आधार पर पवर्भन्न प्रकार व उप – प्रकार तनजश्चत फकए िाते हैं। प्रादेशिक भ ू गोल (Regional Geography):- 1. प्रािेर्शक भग ू ोल में फकसी एक प्रिेश का सभी भौगोर्लक तत्वों के संिभय में एक इकाई के रूप में अध्ययन फकया िाता है। 2. प्रािेर्शक पवधध एकाकी रूप प्रस्ततु करती है। 3. यह पवधध भौगोर्लक इकाइयों पर आधाररत है। 4. यह पवधध फकसी प्रिेश के वातावरण तथा मानव के बीच अंतसंबंध प्रस्तुत करती है। 5. इस अध्ययन में प्रिेशों का सीमांकन फकया िाता है। इसे प्रािेशीकरण कहते हैं। प्रादेशिक भ ू गोल की विशभन्न िाखाएाँ:- • प्रािेर्शक उपागम पर आधाररत प्रािेर्शक भग ू ोल की तनम्नर्लणखत शाखाएाँहैं– • प्रािेर्शक/ क्षेत्रीय अध्ययन • प्रािेर्शक तनयोिन • प्रािेर्शक पवकास • प्रािेर्शक पववेचना/ पवश्लेषण