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Nội dung text Chapter 10 एक कहानी यह भी.pdf

हिन्दी अध्याय-10: एक कहानी यह भी
(1) 10 एक कहानी यह भी -मन्नूभंडारी सार प्रस्तुत पाठ मेंलेखिका नेअपनेजीवन के महत्वपूर्णतथ्यों को उभारा है। लेखिका का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा गााँव हुआ था परन्तुउनकी यादेंअजमेर के ब्रह्मापुरी मोहल्लेके एक-दो मंजजला मकान मेंपपता के बिगड़ी हुई मनःस्थिबत सेशुरू हुई। आरम्भ मेंलेखिका के पपता इंदौर मेंरहते थे, वहााँसंपन्न तथा प्रबतष्ठित व्यक्ति थे। कााँग्रेस सेजुड़ेहोनेके साथ वेसमाज सेवा सेभी जुड़ेथे परन्तुककसी के द्वारा धोिा कदए जानेपर वेआर्थथक मुसीित मेंफाँ स गए और अजमेर आ गए। अपनेजमानेके अलग तरह के अंग्रेजी-हहिंदी शब्दकोष को पूरा करनेिाद भी जि उन्हेंधन नही ममला तो सकरात्मकता घटती चली गयी। वेिेहद क्रोधी, जजद्दी और शक्की हो गए, जि ति वे अपना गुस्सा लेखिका के बिन पढ़ी मााँपर उतारनेके साथ-साथ अपनेिच्चों पर भी उतारनेलगे पांच भाई-िहनों मेंलेखिका सिसेछोटी थी ं। काम उम्र मेंउनकी िड़ी िहन की शादी होनेके कारर् लेखिका के पास ज्यादा उनकी यादेंनही थी ं। लेखिका काली थी ंतथा उनकी िड़ी िहन सुशीला के गोरी होनेके कारर् पपता हमेशा उनकी तुलना लेखिका सेककया करतेतथा उन्हेंनीचा कदिाते। इस हीनता की भावना नेउनमेंववशेष िननेकी लगन उत्पन्न की परन्तुलेिकीय उपलब्धियााँ ममलनेपर भी वह इससेउिार नही पाई। िड़ी िहन के वववाह तथा भाइयों के पढ़नेके जलए िाहर जानेपर पपता का ध्यान लेखिका पर कें पित हुआ। पपता नेउन्हेंरसोई मेंसमय ख़राि न कर देश दबुनया का हाल जाननेके जलए प्रेररत ककया। घर मेंजि कभी ववमभन्न राजबनबतक पाटणयों के जमावड़ेहोतेऔर िहस होती तो लेखिका के पपता उन्हेंउस िहस में िैठातेजजससेउनके अंदर देशभक्ति की भावना जगी। सन 1945 मेंसाववत्री गर्ल्णकॉलेज के प्रथम वषणमेंहहिंदी प्राध्यापपका शीला अग्रवाल नेलेखिका मेंन के वल हहिंदी साहहत्य के प्रबत रूमच जगाई िब्धि साहहत्य के सच को जीवन मेंउतारनेके जलए प्रेररत भी ककया। सन 1946-1947 के कदनों मेंलेखिका नेघर सेिाहर बनकलकर देशसेवा में सक्रीय भूममका बनभायी। हड़तालों, जुलूसों व भाषर्ों मेंभाग लेनेसेछात्राएाँभी प्रभाववत होकर कॉलेजों का िहहष्कार करनेलगी ं। पप्रिंससपल नेकॉलेज सेबनकाल जानेसेपहलेपपता को िुलाकर
(2) 10 एक कहानी यह भी जशकायत की तो वेक्रोमधत होनेके िजाय लेखिका के नेतृत्व शक्ति को देिकर गद्गद हो गए। एक िार जि पपता नेअजमेर के वयस्त चौराहेपर िेटी के भाषर् की िात अपनेपपछड़ेममत्र सेसुनी जजसनेउन्हेंमान-मयाणदा का जलहाज करनेको कहा तो उनके पपता गुस्सा हो गए परन्तुरात को जि यही िात उनके एक और अमभन्न ममत्र नेलेखिका की िड़ाई करतेहुए कहा जजससेलेखिका के पपता नेगौरवाब्धित महसूस ककया। सन 1947 के मई महीनेमेंकॉलेज नेलेखिका समेत दो-तीन छात्राओ ंका प्रवेश थर्णईयर में हुड़दंग की कारर् बनपषद्ध कर कदया परन्तुलेखिका और उनके ममत्रों नेिाहर भी इतना हुड़दंग मचाया की आखिर उन्हेंप्रवेश लेना ही पड़ा। यह ख़ुशी लेखिका को उतना िुश न कर पायी जजतना आजादी की ख़ुशी नेदी। उन्होंनेइसेशताब्दी की सिसेिड़ी उपलब्धि िताया है।
(3) 10 एक कहानी यह भी NCERT SOLUTIONS प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 100) प्रश्न 1 लेखिका के व्यक्तित्व पर ककन-ककन व्यक्तियों का ककस रूप मेंप्रभाव पड़ा? उत्तर- लेखिका के व्यक्तित्व पर दो लोगों का ववशेष प्रभाव पड़ा- 1. पपता का प्रभाव- लेखिका के व्यक्तित्व पर पपताजी का अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा, वह रंग-रूप के कारर् हीन भावना सेग्रस्त थी क्योंकक गौर वर्णके कारर् िड़ी िहन सुशीला को उनके पपता ज्यादा मानतेथे, इसी के पररमार् स्वरुप उनमेंआत्मववश्वास की कमी हो गई थी। पपता के द्वारा ही उनमेंदेश प्रेम की भावना जाग्रत हुई थी। पपता के समान कभी अपनी उपलब्धियों पर ववश्वास नही ंकर पाई। 2. जशजक्षका शीला अग्रवाल का प्रभाव- शीला अग्रवाल की जोशीली िातों नेएक ओर लेखिका के िोए आत्मववश्वास को पुनः लौटाया तो दूसरी ओर देशप्रेम की अंकु ररत भावना को अमभव्यक्ति का उमचत माहौल प्रदान ककया। जजसके फलस्वरूप लेखिका िुलकर स्वतंत्रता आन्दोलन मेंभाग लेनेलगी। शीला अग्रवाल नेलेखिका को अच्छा साहहत्य चुन कर पढ़ना ससिाया। प्रश्न 2 इस आत्मकथ्य मेंलेखिका के पपता नेरसोई को 'भहटयारिाना' कहकर क्यों संिोमधत ककया है? उत्तर- भहटयारिानेके दो अथणहैं- 1. जहााँहमेशा भट्टी जलती रहती है, अथाणत्चूल्हा चढ़ा रहता है। 2. जहााँिहुत शोर-गुल रहता है। भहटयारेका घर। कमीनेऔर असभ्य लोगों का जमघट। पाठ के संदभणमेंयह शब्द पहलेअथणमेंप्रयुि हुआ है। रसोईघर मेंहमेशा िाना-पकाना चलता रहता है। पपताजी अपनेिच्चों को घर-गृहिी या चूल्हे-चौके तक सीममत नही ंरिना चाहते थे। वेउन्हेंजागरूक नागररक िनाना चाहतेथे। इसजलए उन्होंनेरसोईघर की उपेक्षा करते हुए भहटयारिाना अथाणत्प्रबतभा को नष्ट करनेवाला कह कदया है।
(4) 10 एक कहानी यह भी प्रश्न 3 वह कौन-सी घटना थी जजसके िारेमेंसुननेपर लेखिका को न अपनी आाँिों पर ववश्वास हो पाया और न अपनेकानों पर उत्तर- जि पहली िार लेखिका के कॉलेज सेउनके पपता के पास जशकायत आई तो लेखिका िहुत र्री हुई थी। उनका अनुमान था कक उनके पपता गुस्सेमेंउनका िुरा हाल करेंगे। लेककन ठीक इसके उलट उनके पपता नेउन्हेंशािाशी दी। यह सुनकर लेखिका को न अपनी आाँिों पर ववश्वास हुआ और न अपनेकानों पर। प्रश्न 4 लेखिका की अपनेपपता सेवैचाररक टकराहट को अपनेशब्दों मेंजलखिए। उत्तर- लेखिका के अपनेपपता के साथ अक्सर वैचाररक टकराहट हुआ करती थी- 1. लेखिका के पपता यद्यपप ब्धियों की जशक्षा के ववरोधी नही ं थेपरन्तुवेब्धियों का दायरा चार दीवारी के अंदर ही सीममत रिना चाहतेथे। परन्तुलेखिका िुलेववचारों की महहला थी। 2. लेखिका के पपता लड़की की शादी जल्दी करनेके पक्ष मेंथे। लेककन लेखिका जीवन की आकााँक्षाओ ंको पूर्णकरना चाहती थी। 3. लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम मेंभाग लेकर भाषर् देना उनके पपता को पसंद नही ंथा। 4. पपताजी का लेखिका की मााँके साथ अच्छा व्यवहार नही ं था। िी के प्रबत ऐसेव्यवहार को लेखिका अनुमचत समझती थी। 5. िचपन के कदनों मेंलेखिका के कालेरंग रुप को लेकर उनके पपता का मन उनकी तरफ़ से उदासीन रहा करता था। प्रश्न 5 इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के पररदृश्य का मचत्रर् करतेहुए उसमें मन्नूजी की भूममका को रेिांककत कीजजए। उत्तर- सन्1942 से1947 तक का समय स्वतंत्रता-आंदोलन का समय था। इन कदनों पूरेदेश में देशभक्ति का ज्वार पूरेयौवन पर था। हर नगर मेंहड़तालेंहो रही थी ं। प्रभात-फे ररयााँहो रही थी ं। जलसेहो रहेथे। जुलूस बनकालेजा रहेथे।

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