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Nội dung text 6.Evaluation System In Hindi-merged.pdf

Types Of Evaluation System In Teaching Aptitude: Assessment इसके अदं र हम स्टूडेंट के अनभु व, उसके वि चार उसके एटीट्यडू , और उसकी नॉलजे को समझनेकी कोशि श करतेहैंताकि हम बच्चेकी शि क्षा को और बहे तर बना सके. Evaluation ( मल्ूयाकं न ) : इसके अदं र हम मख्ुय रूप सेयह देखनेकी कोशि श करतेहैंकि बच्चेनेक्या सीखा. इसके लि ए हम टेस्ट, ग्रडे , और परफॉर्मेंसर्में इत्यादि का इस्तमे ाल करतेहैं जि ससेबच्चेका अच्छी तरह सेजजमटें कि या जा सके. • शि क्षा मेंसबसेपहलेAssessment आता है और फि र Evaluation यानी A-E. Difference between Assessment and Evaluation Assessment Evaluation Ongoing Provides Closure Positive It is Judgmental Provide Feedback It show marks It is Qualitative It is Quantitative It have Diagnostic Formative, Summative It have only summative यह हम शि क्षा को बहे तर बनानेकेलि ए समय समय पर करतेरहतेहै इसको हम आखि री में करतेहैऔर देखतेहैकी बच्चेनेक्या सीखा ह.ै Types of Evaluation 1. Continuous and Comprehensive Evaluation (ССЕ) 2. Placement Evaluation (स्थानन मल्ूयाकं न) 3. Formative Evaluation (नि र्मा णर्मा ात्मक मल्ूयाकं न) 4. Diagnostic Evaluation (नि दानात्मक मल्ूयाकं न) 5. Summative Evaluation (अतिं तिम मल्ूयाकं न) 6. Criterion-Referenced Evaluation (नि कष सदं र्भि तर्भि परीक्षण) 7. Norm-referenced Evaluation (मानक-सदं र्भि तर्भि परीक्षण) 8. Continuous and Comprehensive Evaluation (CCE) : ● Continuous and comprehensive evaluation is an education system newly introduced by Central Board of Secondary Education in India, for students of sixth to tenth grades.The main aim of CCE is to evaluate every aspect of the child during their presence at the school. This is believed to help reduce the pressure on the child during/before examinations as the student will have to
sit for multiple tests throughout the year, of which no test or the syllabus covered will be repeated at the end of the year, whatsoever. यह cbse बोर्ड द्वारा अपनाई गई मल्ूयाकं न प्रणाली ह.ै इस प्रणाली का मख्ुय उद्दश्ेय बच्चों मेंतनाव को दूर करना ह.ै इसमेंसमय-समय पर बच्चेकेप्रत्यके पहलू का मल्ूयाकं न कि या जाता ह.ै बच्चा क्या पढ़ रहा ह,ै क्या सीख रहा ह,ैक्या खले रही ह,ैऔर कि स तरह के वातावरण मेंवह रह रहा ह.ै इस तरह सेबच्चेका सपं र्णू र्णमल्ूयाकं न कि या जाता ह.ै 2. Placement Evaluation : This is a type of evaluations carried out in order to fix the students in the appropriate group or class. In some schools for instance, students are assigned to classes according to their subject combinations, such as science, Technical, arts, Commercial etc. before this is done an examination will be carried out. इस तरह का मल्ूयाकं न तब कि या जाता हैजब कि सी बच्चेका कि सी स्कूल मेंएडमि शन होता है. उस समय टीचर यह देखतेहैकि बच्चेको कि तनी नॉलजे हैऔर इसेकौन सी क्लास मेंएडमि शन देना चाहि ए, यह बच्चेकी कमि यों उसकी रुचि इत्यादि के बारेमेंबताती ह.ै 3. Formative Evaluation: This is a type of evaluation designed to help both the student and teacher to pinpoint areas where the student has failed to learn so that this failure may be rectified. It provides a feedback to the teacher and the student and thus estimating teaching Success e.g. weekly tests, terminal examinations etc. इस तरह का मल्ूयाकं न समय-समय पर कि या जाता हैताकि हमेंयह पता चल सके कि बच्चेमें कि तना इंप्रवू मटें आया है. जसै ेकि स्कूलों मेंहर महीने बच्चों का टेस्ट लि या जाता ह.ै इसे हम Internal evaluation भी कहतेह।ैं 4. Diagnostic Evaluation : Diagnostic Evaluation is a type of evaluation given before instruction. It aims to identify the strengths and weaknesses of the students regarding the topics to be discussed. इसमेंहम बच्चेकी वीकनसे और गडुनसे को देखते हैं. अगर हमेंबच्चेमेंवीकनसे पाई जाती हैतो उसे कि स तरह सेइंप्रवू मटें कि या जा सकता ह।ैइसकेबारे मेंवि चार कि या जाता हैऔर गडुनसे पाए जानेपर उसे और कि स तरह सेनि काला जा सकता हैइसकेबारेमें वि चार कि या जाता ह.ै 5. Summative Evaluation : This is the type of evaluation carried out at the end of the course of instruction to determine the extent to which the objectives have been achieved. It is called a summarizing evaluation because it looks at the entire course of instruction or program and can pass judgment on the teacher and students, the curriculum and the entire system. It is used for certification. इस तरह का मल्ूयाकं न हमारी क्लास और कोर्स के बि ल्कुल लास्ट मेंकि या जाता है. जसै ेकि हमारा साल केअतं मेंएग्जाम होता ह.ैइसमेंयह पता लगाने का प्रयास कि या जाता हैकि बच्चेनेपरूेसाल मेंक्या
सीखा ह.ै इस दौरान बच्चेको अकं , ग्रडे और सर्टि फ़ि केट भी दि या जाता है. • इसे हम External evolution भी कहतेहैं. 6. Criterion-Referenced Evaluation: Evaluation of performance by judging an individual’s behavior, performance, or knowledge against specific criteria or standards. Based on a predetermined set of criteria. For instance, 90% and Up = A, 80% fo89.99% = B , 70% fo79.99% = C, 60% fo 69.99% = D, 59.99% and below = F ● इसमेंबच्चेका मल्ूयाकं न करनेकेलि ए पहलेसे ही कुछ ग्रडे , अकं , पोजीशन या कि सी अन्य तरह का क्राइटेरि या नि र्धा रिर्धारित कर दि या जाता ह.ै जि सकेजरि ए हमेंपता चल जाता हैकि बच्चेका लवे ल कहांतक का ह.ैइसमेंकि सी बच्चेका कि सी दूसरेबच्चेकेसाथ कंपये र नहींकि या जाता. 7. Norm-referenced Evaluation: ●Norm-referenced measures are designed to compare students performance according to relative position in some known group. It determines individual performance in comparison to others. ●Norm-Referenced Evaluation is a measure to find out how well a student performs on a defined set of tasks in relation with the performance of other students who take the same test. इस मल्ूयाकं न केअदं र एक बच्चेकी परफॉर्मेंसर्में को दूसरेबच्चेकी परफॉर्मेंसर्में केसाथ कंपरिेरिजन कि या जाता है. और देखा जाता हैकि कि सनेअच्छेग्रडे प्राप्त कि ए या फि र कि स की परफॉर्मेंसर्में अच्छी रही और इसकेपीछेक्या कारण था. CBCS : Choice Based Credit System University Grants Commission has come up with the Choice Based Credit System (CBCS) programme in which the students have a choice to choose from the prescribed courses, which are referred as core, elective or minor or soft skill courses and they can learn at their own pace and the entire assessment is graded-based on a credit system. This Shift in focus from teacher-centric to student-centric education. इस प्रोग्राम के अदं र वि द्यार्थि यों को अपनी इच्छा के अनसु ार कोर्स चनुने कि आजादी होती ह.ै यह शि क्षक-केंद्रि त सेछात्र-केंद्रि त शि क्षा केंद्रि त पर ध्यान देता ह।ै

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