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Nội dung text 6. समकालीन विश्व में सुरक्षा.pdf

राजनीति तिज्ञान अध्याय-6: समकालीन तिश्व मेंसुरक्षा
(1) 06 समकालीन विश्ि मेंसुरक्षा सुरक्षा का अर्थ:- सुरक्षा का ब ु नियादी अर्थ है खतरे से आजादी। परन्तु के वल उि चीजों को ‘ सुरक्षा ‘ से ज ुडी चीजों का ववषय बिाया जाय जजिसे जीवि के ‘ के न्रीय म ू ल्यों को खतरा हो। सुरक्षा की धारणाएँ:- 1. पारंपररक धारणा i. बाहरी खतरा:- • सैन्य हमला • जिसंहार • शजतत – संतु लि • गठबंधि • शस्त्रीकरण ii. आंतररक खतरा:- • काि ू ि व्यवस्त्र्ा • अलगाववाद • गहृ य ुद्ध 2. गैर पारंपररक धारणा i. मानिता की सुरक्षा:- • (व्यापक अधथ में भ ू खा / महामारी और प्राक ृ नतक ववपदा से सुरक्षा) ii. विश्ि सुरक्षा:- • िवीि च ु िौनतयों, आतंकवाद, बीमाररयों, जलवाय ुसंकट से सुरक्षा शाममल है। (1) सुरक्षा के पारंपररक धारणा – (बाहरी सुरक्षा) इस धारणा से हमारा तात्पयथ है राष्ट्रीय सुरक्षा की धरणा से होता है। सुरक्षा की पारंपररक अवधरणा में सैन्य ख़तरे को ककसी देश के मलए सबसे ज्यादा ख़तरिाक मािा जाता है। इस ख़तरे का स्रोत कोई दसू रा म ु ल्क होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभ ुता, स्त्वतंरता और क्षेरीय अखंडता जैसे ककसी देश के के न्रीय म ू ल्यों के मलए ख़तरा पैदा करता है।
(2) 06 समकालीन विश्ि मेंसुरक्षा (2) सुरक्षा के पारंपररक धारणा – (आतंररक सुरक्षा) इस धारणा से हमारा तात्पयथ है देश के भीतर अंदरूिी खतरों से जजसमें आपसी लडडयााँ, गहृ य ुद्ध, सरकार के प्रनत असंतज ु ष्ट्ट से है। यह सुरक्षा आंतररक शांनत और काि ू ि – व्यवस्त्र्ा पर निभथर करता है। इसमें अपिे ही देश के लोगों से खतरा होता है। सुरक्षा की अपारम्पररक धारणा:- सुरक्षा की अपारम्पररक धारणा में उि सभी खतरों को शाममल ककया जाता है जो ककसी एक देश िहीं बजल्क प ूरे ववश्व के मलए खतरिाक हैऔर इिका समाधाि कोई एक देश अके ले िहीं कर सकता। दसू रे शब्दों में कहें तो ऐसे खतरे जो कक परू ी मािव जानत के मलए खतरिाक हो। जैसेकक:- • ग्लोबल वाममिंग • प्रदष ू ण • प्राक ृ नतक आपदाएं • निधथिता • महामारी • आतंकवाद • शरणार्र्थयों की समस्त्या • बढ़ती हुई जिसंख्या आदद गैर – पारंपररक धारणाएँ:- सुरक्षा की गैर – पारंपररक धारणाएं सैन्य खतरों से परे जाती हैंजजिमें मािव अजस्त्तत्व की जस्त्र्नत को प्रभाववत करिे वाले खतरों और खतरों की एक ववस्त्ततृ श्खं ृ ला शाममल है। सुरक्षा के गैर – पारंपररक ववचारों को मािव सुरक्षा ‘ या ‘ वैजश्वक सुरक्षा ‘ कहा गया है। मािव सुरक्षा से हमारा मतलब है कक राज्यों की सुरक्षा से ज्यादा लोगों की सुरक्षा।
(3) 06 समकालीन विश्ि मेंसुरक्षा मािव सुरक्षा की संकीणथ अवधारणा के समर्थकों ( समर्थकों ) िे व्यजततयों को दहंसक खतरों पर ध्याि कें दरत ककया। दसू री ओर, मािव सुरक्षा की व्यापक अवधारणा के समर्थकों का तकथ है कक खतरे के एजेंडे में भ ू ख, बीमारी और प्राक ृ नतक आपदा शाममल होिी चादहए। वैजश्वक सुरक्षा का ववचार 1990 के दशक में ग्लोबल वाममिंग, एड्स और इतिे पर जैसे खतरों की वैजश्वक प्रक ृ नत के जवाब में उभरा। ककसी सरकार के पास य ुद्ध की स्थर्तत में विकल्प:- ब ु नियादी तौर पर ककसी सरकार के पास यद्ु ध की जस्त्र्नत में तीि ववकल्प होते है। 1. आत्मसमपथण करिा 2. दसू रे पक्ष की बात को बबिा य ुद्ध ककए माि लेिा अर्वा य ुद्ध से होिे वाले िाश को इस हद तक बढ़ािे के संके त देिा कक दसू रा पक्ष सहमकर हमला करिे से बाज आये या य ुद्ध ठि जाय तो अपिी रक्षा करिा ताकक हमलावर देश अपिे मकसद में कामयाब ि हो सके और पीछे हट जाए अर्वा 3. हमलावार को पराजजत कर देिा। अपरोध:- य ुद्ध में कोई सरकार भले ही आत्मसमपथण कर दे लेककि वह इसे अपिे देश की िीनत के रूप में कभी प्रचाररत िहीं करिा चाहेगी। इस कारण, सुरक्षा – िीनत का संबंध य ुद्ध की आशंका को रोकिे में होता है जजसे ‘ अपरोध ‘ कहा जाता है। रक्षा:- य ुद्ध को सीममत रखिे अर्वा उसको समाप्त करिे से होता है जजसे रक्षा कहा जाता है। परम्परागत सुरक्षा तनतत के तत्ि:- i. शस्तत – संतु लन ii. गठबंधन बनाना

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