Nội dung text वाराणसी मंडल.pdf
मााँ शीिला िौतकयाां शीतला चौदकयािं देवी का मस्न् दर बहुत पुराना है। दशव और शस् त की उपासना प्राचीन भारत के समय से चली आ रही है। इदतहास के आिार पर यह कहा जाता है दक दहन् दु राजाओिं के काल में जौनपुर का शासन अहीर शासकोिं के हाथ में था। जौनपुर का पहला अहीर शासक हीरा चन् द्र यादव माना जाता है। ऐसा माना जाता है दक चौदकयािं देवी का मस्न् दर कु ल देवी के रूप में यादवोिं या भरो द्वारा दनतदमत कराया गया, परन् तु भरोिं की प्रवृस्त् त को देखते हुए चौदकयािं मस्न् दर उनके द्वारा बनवाया जाना अदिक युस् तसिंगत प्रतीत होता है। भर अनायत थे। अनायो में शस् त व दशव की पूजा होती थी। जौनपुर में भरो का आदिपत् त भी था। सवतप्रथम चबूतरे अथातत चौकी पर देवी की स् थापना की गयी होगी, सिंभवत- इसीदलए इन् हे चौदकया देवी कहा गया। देवी शीतला आनन् ददायनी की प्रतीक मानी जाती है। अत: उनका नाम शीतला पडा। ऐदतहादसक प्रमाण इस बात के गवाह है दक भरोिं में तालाब की अदिक प्रवृस्त् त थी इसदलए उन् होने शीतला चौदकया के पास तालाब का भी दनतमाण कराया। शाही तकला नगर में गोमती तट पर स्स् थत इस दुगत का दनतमाण दफरोज शाह ने 1362 में कराया था। इस दुगत के भीतरी फाटक 26.5 फीट उिंचा तथा 16 फीट चौडा है। के न् द्रीय फाटक 36 फीट उिंचा है। इसके उपर एक दवशाल गुम् बद बना है। वततमान में इसका पूवी द्वार तथा अन् दर की तरफ मेहराबे आदद ही बची है, जो इसकी भव् यता की गाथा कहती है। इसके सामने के शानदार फाटक को मुनीम खािं ने सुरक्षा की दृस् ट से बनवाया था तथा इसे नीले एविं पीले पत् थरोिं से सजाया गया था। अन् दर तुकी शैली का हमाम एविं एक मस्स् जद भी है। इस दुगत से गोमती नदी एविं नगर का मनोहर दृश् य ददखायी देता है। इब्रादहम बरबक द्वारा बनवाई गई मस्स् जद की बनावट में दहन् दु एविं बौद्ध दशल् प कला की छाप है। अटाला मस् जद सन् 1408 ई0 में इब्रादहम शाह शकी ने इस मस्स् जद का दनतमाण कराया जो जौनपुर में अन् य मस्स् जदोिं के दनतमाण के दलये आदशत मानी गयी। इसकी उचाई 100 फीट से अदिक है। इसका दनतमाण सन् 1393 ई0 में दफरोज शाह ने शुरू कराया था। झझरी मस् जद यह मस्स् जद मुहल् ला दसपाह जनपद जौनपुर में गोमती के उत् तरी तट पर दवद्यमान है। इसको इब्रादहम शाह शकी ने मस्स् जद अटाला एविं मस्स् जद खादलस के दनतमाण के समय बनवाया था योिंदक यह मुहल् ला स् वयिं इब्रादहम शाह शकी का बसाया हुआ था। यहॉ पर सेना, हाथी, घोडे, उिंट एविं खच् चर रहते थे। सन् तोिं पिंदडतो का स् थल था। दसकन् दर लोदी ने इस मस्स् जद को ध् वस् त करवा ददया था। दसकन् दर लोदी द्वारा ध् वस् त दकये जाने के बाद यहॉ के काफी पत् थर शाही पुल में लगा ददये गये है। यह मस्स् जद पुरानी वास् तुकला का अत् यन् त सुन् दर नमूना है। मस् जद लाल दरवाजा नगर के बेगमगिंज मुहल् ले में स्स् थत लाल दरवाजा का दनतमाण सन् 1450 ई0 में इब्रादहम शाह शकी के पुत्र महमूद शाह शकी की पत् नी बीबी राजे ने करवाया था। इमारत का मुख् य दरवाजा लाल पत् थरोिं से दनदमतत है दजसे चुनार से मिंगवाया गया था। इमारत का बाहरी क्षेत्रफल 196 गुने 171 फीट के लगभग है। इसमें मध् य के हर तरफ मदहलाओिं के बैठने का स् थान है जहािं सुन् दर बारीक