Nội dung text Chapter 12 महासागरीय जल.pdf
भूगोल अध्याय-12: महासागरीय जल
(1) 13 महासागरीय जल पथ् ृ वी को नीला ग्रह क्यों कहा जाता है? पथ् ृ वी के क ु ल क्षेत्रफल के 71 प्रतिशि भाग पर महासागरों का ववस्िार हैं। अंिररक्ष से देखने पर यह नीली ददखाई देिी हैइसललए इसेनीला ग्रह कहिे हैं। जल चक्र:- 1. जल चक्र करोडों वर्षों से पथ् ृ वी पर काययरि एक चक्र है। इसमें जल अपनी अवस्था और स्थान तनरंिर बदलिा रहिा है और चक्र के रूप में महासागर से धरािल पर और धरािल से वापस महासागर में पहु ंचिा है। 2. महासागरों के िल से जल का वाष्पीकरण होिा है जजससे बादलों का तनमायण होिा है। वाय ु मंडल में उपजस्थि जलवाष्प संघतनि होकर धरिी पर वर्षयण के रूप में आिी है। 3. यही जल नददयों के रास्िे वापस महासागर में पहु ंच जािा है। जल के इसी चक्र को जल चक्र कहा जािा है। इस प्रकार जल चक्र स्थल मंडल, जल मंडल और वाय ु मडं ल को एक दसू रे से जोडे रहिा है। जल चक्र की गणितीय ववधि:- RF = RO + ET, यहााँRF- सभी प्रकार का वर्षाय जल, RO = Run off जो पथ् ृ वी द्वारा सोखा नहीं जािा, ET = Estimated Time महासागरीय खाइयााँ अथवा गतत:- महासागरीय तनिल पर जस्थि िीव्र ढाल वाले लम्बे, पिले और गहरे अवनमन को खाई या गिय कहिे हैं। ववश्व के सबसेगहरे गिय का नाम मेरीआना गिय हैइसकी गहराई 11033 मीटर है। जो प्रशान्ि महासागर में है। महाद्वीपीय सीमाांत:- महाद्वीपीय सीमांि प्रत्येक महादेश का ववस्ििृ ककनार होिा है जो कक अपेक्षाक ृि तििले सम ुद्री िथा खाडडयों का भाग होिा है। यह महासागर का सबसेतििला भाग होिा है, जजसकी औसि प्रवणिा 1 डडग्री या उससे भी कम होिी है। इस सीमा का ककनारा बहु ि ही खडे ढाल
(3) 13 महासागरीय जल जलमग्न कै ननयन Sub – marine Canyon:- 1. महासागरीय तनिल पर जलमग्न िीव्र ढालों वाली गहरी िथा संकरी अथवा गहरे गाों को जलमग्न के तनयन कहिे हैंये महाद्वीपीय मग्नढाल िथा गम्भीर सागरीय मैदान पर अधधक पाए जािे हैं। 2. शेयडय िथा बेयडय के अन ुसार ववश्व में 102 के तनयन हैं। सबसे अधधक कै तनयन प्रशांि महासागर में पाए जािे हैं। संसार के सबसे लम्बे जलमग्न कै तनयन बेररंग सागर में बेररंग, वप्रववलाफ िथा जेमच ु ग पाये जािे हैंववश्व का सबसे प्रलसद्ध कै तनयन हडसन कै तनयन हैजो हडसन नदी के म ुहानेसेशरू ु होकर अटलांदटक महासागर िक चला गया है। महाद्वीपीय ढाल (Continental Slop) महासागरीय बेलसनो िथा महाद्वीपीय तनमग्न िट के मर्धय जस्थि भाग को महाद्वीपीय ढाल कहिे हैं। इसकी प्रवणिा 2 - 5 के मर्धय होिी हैिथा इसकी गहराई 200 से 300 मीटर के बीच होिी है। सम ुद्री टीला:- सम ुद्री टीला नक ु ीले लशखरों वाला एक पवयि है जो सम ुद्री िली से ऊपर की ओर उठिा है। लेककन महासागरीय सिह िक नहीं पहु ंच पािा। इसकी ऊाँ चाई सम ुद्री की िली से 3000 मीटर से 4500 मीटर िक हो सकिी उदाहरण – एम्पेरर सम ुद्री टीला है जो प्रशांि महासागर में हवाई द्वीप सम ूहों का ववस्िार है। महासागरीय जल की लवि (Salinity):- सम ुद्र का जल खारा होिा है ऐसा उसमें उपजस्थि लवणिा के कारण है। इसका पररकलन 1000 ग्राम (1कक.ग्रा) सम ुद्री जल में घ ु ले हु ए नमक की मात्रा (ग्राम में) द्वारा व्यक्ि ककया जािा है। इसे प्रायः प्रति 1000 ग्राम या पी. पी. टी. के रूप में व्यक्ि ककया जािा है। महासागरीय जल की लविता को प्रभाववत करने वाले कारक:-