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गया िै, यि माना िाता िै जक मोिाल वांश के रािा हुमायूां वन में आश्रय लेते िैं पीिानी की िब वि शेरशाि सूरी द्वारा िार गया था जपिानी भी सम्राट अकबर के मांिी सद्रेििाांि के साथ सांबांजधत िै उनकी मकबरा और पेंजटांग अभी भी यिाां िैं। कु छ लोगोां के जवचार के अनुसार, ऋजर् साांजडजलया ने सांडीला को वश में कर जिया था। सांडीला भी पुराने भवनोां, मस्थिि और बाराखांबा के जलए प्रजसि िै पययटन - प्रहलाि घाट हरिोई भगवान नरजसांि के अवतार और भि प्रह्लाि के साथ िोजलका ििन की पौराजणक कथा को लेकर कमोवेश सभी ने पढ़ा िै और भि प्रह्लाि की भस्थि की गाथा अपने आप में अनूिी िै। यिाां िम आपको बता रिें िैं जक नैजमर्ारण्य िो जक िरिोई की सीमा पर स्थित िै और नैजमर्ारण्य धाम की तरि िी िरिोई को लेकर भी धमग अध्यात्म में मान्यता िै। िरिोई शिर में स्थित भि प्रह्लाि का िाट और नरजसांि भगवान का मांजिर िमें जिरणाकश्यप की नगरी की याि जिलाता िै। इस पररसर से करीब तीन कोस की िू री पर भगवान वामन अवतार का मांजिर िै जिस िान को वाबन कस्बा के रूप में िाना िाता िै िब जक इन पररसरोां से करीब 12 कोस पर नैजमर्ारण्य िै और 6 कोस की िू री पर िम्हावतग साांडी झील के पास िै राजा नरपि तसंह स्मारक,माधोगंज हरिोई िेश के िू सरे तमाम सामान्य गाांवोां की तरि यिाां भी बििाली मुांि बाये खडी िै, लेजकन आिािी की लडाई में रूइया गढ़ी का नाम सुनकर गोरी हुकू मत काांपती थी। उस िौर में रूइया गढ़ी एक ररयासत हुआ करती थी। रािा थे नरपत जसांि। अवध के ज्यािातर इलाकोां में काजबि िोने के बाि अांग्रेि फौि िरिोई में भी कब्जा करने की जफराक में थी, लेजकन नरपत जसांि की अिम्य बिािुरी और रणनीजत के कारण अांग्रेिोां को चार मतगबा करारी िार का सामना करना पडा। पाांचवे युि में अांग्रेिोां ने बडी सांख्या में सैजनकोां और तोप के साथ िमला बोला। इस िांग में भी नरपजत जसांि और रूइया गढ़ी के सैजनकोां ने मुांितोड िवाब जिया। अांग्रेिोांके पैर उखडन ेलगेथे, इसी िौरान अचानक रािा शिीि िो गए।