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सामाजिक विज्ञान (अर्थशास्त्र) अध्याय-2: संसाधन के रूप मेंलोग
(1) 02 संसाधन के रूप मेंलोग संसाधन हमारे पर्ाावरण मेंउपलब्ध हर वह वस्तुसंसाधन कहलाती है जिसका इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकताओंकी पूर्तत के जलर्ेकर सकतेहैं, जिसेबनानेके जलर्ेहमारेपास प्रौद्योगिकी हैऔर जिसका इस्तेमाल सांस्कृ ततक रूप सेमान्य है। प्रकृ तत का कोई भी तत्व तभी संसाधन बनता हैिब वह मानवीर् सेवा करता है। संसाधन के रूप मेंलोग • संसाधन के रूप मेंलोि वतामान उत्पादन कौशल और क्षमताओंके संदभामेंककसी देश के कार्ारत लोिों का वणान करनेका तरीका है। • उत्पादक पहलूकी दृष्टि सेिनसंख्या पर ववचार करना सकल रािरीर् उत्पाद के सृिन मेंउनके र्ोिदान की क्षमता पर बल देना है। • िब इस ववद्यमान मानव संसाधन को और अगधक जशक्षा और स्वास्थ्य द्वारा ववकससत ककर्ा िाता हैतब हम इसेमानव पूंिी तनमााण कहतेहैं। • मानव को मानव पूूँिी मेंतनवेश बदलता है। एक मानव ही हैिो भूगम और भौततक पूूँिी का सही उपर्ोि करता हैl बाद मेंदोनों अपनेआप ककसेकार्ाको पूरा नहींकर सकते। मानव प ंजी मानव पूंिी–कौशल और उनमेंतनहहत उत्पादन के ज्ञान का स्टॉक है। अथवा भौततक पूंिी पर लिने
(2) 02 संसाधन के रूप मेंलोग वालेश्रम को मानव पूंिी कहतेहैं। मानव पूूँिी सेअगभप्रार् ककसी देश मेंककसी समर् ववशेष पर पार्ेिानेवालेकौशल, क्षमता, सुववज्ञता, जशक्षा ज्ञान के भण्डार सेहै। दूसरेशब्दों में, मानव पूूँिी ऐसेव्यक्तिर्ों का स्टॉक हैिो अपनी जशक्षा, कौशल आकद के साथ देश की उत्पादन प्रकिर्ा मेंउत्पादकीर् र्ोिदान करतेहैं। मानवीर् पूंिी िठन शब्द का अथा, “व्यक्तिर्ों की संख्या को प्राप्त करनेऔर बढानेकी प्रकिर्ा जिनमेंकौशल, जशक्षा और अनुभव होता हैिो देश के आर्थथक और रािनीततक ववकास के जलए महत्वपूणाहोतेहैं। इस प्रकार, र्ह मनुष्य मेंतनवेश और उसके ववकास के साथ एक रचनात्मक उत्पादक संसाधन के रूप मेंिुडा होता है।” मानव प ंजी ननमााण मानवीर् पूंिी तनमााण का अथाहै“ऐसेलोिों की प्राप्तप्त और उन की संख्या मेंवृजि जिनके पास तनपुणताएं, जशक्षा और अनुभव हैतथा िो देश के आर्थथक और रािनैततक ववकास के जलर्ेमहत्व रखतेहैं। अत: एक रचनात्मक उत्पादक साधन के रूप में, र्ह व्यक्ति और उसके ववकास पर तनवेश सेसम्बप्तित हैं।” मानव प ंजी ननमााण के स्त्रोत:- (1) स्वास्थ्य पर व्यर् (2) जशक्षा एवं प्रजशक्षण पर व्यर् (3) कौशल अगभनवीकरण पर व्यर् (4) प्रवासन पर व्यर् मानव संसाधन मानव संसाधन (HUMAN RESOURCES) वह अवधारणा हैिो िनसंख्या को अथाव्यवस्था पर दातर्त्व सेअगधक पररसंपजि के रूप मेंदेखती है। जशक्षा प्रजशक्षण और गचककत्सा सेवाओंमेंतनवेश
(3) 02 संसाधन के रूप मेंलोग के पररणाम स्वरूप िनसंख्या मानव संसाधन के रूप मेंबदल िाती है। मानव संसाधन उत्पादन मेंप्रर्ुि हो सकनेवाली पूूँिी है। • अन्य संसाधनों सेश्रेष्ठ हैिैसेभूगम, पूंिी इत्याकद क्योंकक र्ेसंसाधन स्वर्ं अपना उपर्ोि नहींकर सकते। र्ह उत्पादन का एक सिीव, किर्ाशील तथा संवेदनशील कारक है। • िापान मेंमानव संसाधन पर अगधक तनवेश ककर्ा िर्ा है। अर्ाव्यवार्ा के क्षेत्रक • अथाव्यवस्था के ववगभन्न किर्ाकलापों को तीन प्रमुख क्षेत्रकों मेंबाूँटा िर्ा हैप्राथगमक, द्वद्वतीर् और तृतीर्क। • प्राथगमक क्षेत्रक (सीधेभूगम और िल सेिुडी किर्ाएूँ) • कृ द्वष। • वातनकी। • पशुपालन। • मत्स्य पालन। • मुिीीपालन। • खनन्। • द्वद्वतीर्क क्षेत्रक (उत्खनन एवं ववतनमााण किर्ाएूँ) • प्राथगमक क्षेत्रक की वस्तुओंको अन्य रूपों मेंपररवर्ततत करना। • िन्नेसेचीनी। • कपास सेसूत। • तृतीर् क्षेत्र (सेवाएूँ)। • स्वर्ं उत्पादन नहींकरती। • उत्पादन प्रकिर्ा मेंसहर्ोि। • प्राथगमक और द्वद्वतीर् क्षेत्रक का ववकास। • व्यापार। • बैंककिं ि।
(4) 02 संसाधन के रूप मेंलोग • बीमा। आर्थर्क क्रियाएँ उस किर्ा को आर्थथक किर्ा कहतेहैंजिसका सम्बि मानवीर् आवश्यकताओंको सन्तुि करनेके जलए सीगमत साधनों के उपर्ोि सेहोता है। सभी आर्थथक किर्ाएूँआर् सृजित नहींकरती अथाात्र्ह आवश्यक नहींकक आर्थथक किर्ा मेंआर् का सृिन हो भी सकता हैऔर नहीं भी। उदाहरण के जलए, उपभोि एक आर्थथक किर्ा है, ककन्तु वस्तुके उपभोि द्वारा आर् का सृिन नहींहोता। आर्थथक किर्ाएं वेकिर्ाएं हैंजिनका सम्बंध वस्तुओंएवं सेवाओंके उत्पादन उपभोि एवं तनवेश से है। एक अर्ाव्यवस्था मेंआर्थर्क क्रियाएं 3 प्रकार की होती हैं- 1. उत्पादन- उत्पादन एक आर्थथक प्रकिर्ा है। जिसमेंएक व्यक्ति र्ा फमाआवश्यक वस्तुओंएवं सेवाओंका बािार मेंउत्पादन करती है। 2. उपभोि- उपभोि वह आर्थथक किर्ा हैजिसका संबंध वस्तुओंएवं सेवाओंके प्रर्ोि सेहै। िैसे- कपडा पहनना, खरीदना, ब्रेड खाना आकद। 3. तनवेश- तनवेश वह आर्थथक किर्ा हैजिसके फलस्वरूप भौततक एवं मानवीर् पूूँिी मेंवृजि होती हैअथाात पूूँिी का तनमााण होता है। वह सभी किर्ाएूँिो रािरीर् आर् मेंमूल्यवधान करती हैं–आर्थथक किर्ाएूँकहलाती है। आर्थर्क क्रियाएँके प्रकार • आर्थथक किर्ाएूँदो प्रकार की है। • बािार किर्ाएूँ। • िैर बािार किर्ाएूँ।