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Nội dung text मुरादाबाद मंडल.pdf

बिजनौर राजा दुष्यंत (कण्व आश्रम) के पुत्र भारत का जन्म स्थान ” भारत वंश ववदुर कु वि जो विजनौर से 12 वक०मी० दू र स्थस्थत है एक िहुत एवतहावसक महत्व रखती है|दुर्योधन से वववाद के िाद महात्मा ववदुर ने अपना समर्य र्यही वितार्या| गाथाओ के अनुसार भगवान कृ ष्ण ने भी विजनौर का दौरा वकर्या था| इसके अलावा, पांडवो और कौरवो के र्युद्व के दौरान महात्मा ववदुर ने दोनो पक्षो के पररवारो की मवहलाओ और िच्चो का संरक्षण वकर्या था पर्यााप्त क्षेत्र की कमी के कारण, ववदुर ने मवहलाओ और िच्चो के वलए एक ववशेष क्षेत्र का फै सला वकर्या, इस जगह को दारानगर के रूप मे जाना जाता है| र्यहां पर प्रचीन मंवदर और आश्रम है| अवभज्ञान शकु न्तलम के अनुसार हस्थिनापुर के राजा दुष्यंत वशकार के दौरान इस क्षेत्र में पहुंचे थे और शकु न्तलम से वमले और पहली नजर में ही उनसे प्रेम हो गर्या| इसके अलावा, सम्राि अकिर के दो नवरत्न अिु फजल औह उसके भाई फै जी पले िडे थे| नजीिुदौला वकला, जो नजीिािाद मे स्थस्थत है| मुगल वंश के पतन के िाद 18 वी सदी के दौरान गुलाम कावदर (नवजिुदौला) ने िनवार्या था| विजनौर वजले में अनेक प्रवसद्व और लोकवप्रर्य प्रर्यिन स्थल है| ववदुर कु वि विजनौर से 12 वक०मी० दू र स्थस्थत है| इस क्षेत्र मे अनेक प्रावचन मंवदर और आश्रम है| जहानािाद गंज से के वल 1 वकलोमीिर दू र स्थस्थत है| सीता का मंवदर जो सीता मंवदर नाम से प्रवसद्व है| चंदरपुर-जलीलपुर रोड पर ननौि गांव के समीप स्थस्थत है| विजनौर शहर में एक क्रीडा स्थल है| जो र्युवा प्रवतभओ को अवसर प्रदान कराता है| विजनौर में कई राज्य िरीर्य सवास्थ्य सुववधाएं, शोवपंग मोल, और वववभन्न संस्थान है| जो सम्पूणा क्षेत्र के ववकास में र्योगदान देते है| वसकाडा, जो नगीना-विजनौर रोड पर स्थस्थत है| वजले में एक प्रमुख पर्यािक आकषाण है| नजीिािाद-विजनौर राजमागा पर स्थस्थत शकरपुरी गांव आम और गन्ने के वलए आंगतुको के िीच िहुत लोकवप्रर्य है| कालागढ़ िांध ब्लॉक अफजलगढ़ में स्थस्थत है। विजनौर में वन ररजवा क्षेत्र अमनगढ़ है। बनजाि-उद-दुलाह बिला नजीिािाद नजीिािाद को लोकवप्रर्य रूप से “गेिवे ऑफ वहमालर्य” कहा जाता है। शहर नवाि नजीि-उद-दौल द्वारा स्थावपत वकर्या गर्या था वजसे नजीि खान भी कहा जाता है। प्रवसद्ध वनजाि-उद-दुलाह वकले इस क्षेत्र में स्थस्थत है, इसे अंग्रेजी ईस्ट इंवडर्या कं पनी द्वारा सुल्ताना डाकु के आवास के रूप में संिोवधत वकर्या गर्या था। बिदुर िुटी आश्रम कण्व आश्रम की तरह ववदुर कु िी का पौरावणक दृवि से िहुत महत्व है। वकवदस्थन्त है वक महाभारत काल में सुप्रवसद्ध नीवतज्ञ गगां के ति पर अवस्थस्थत था। ऐसी मान्यता है वक कृ ष्ण जी जव हस्थिनापुर में कौरवों को समझाने में असफल रहे थे तो वह कौरवों की 56 मांगों को ठु कराकर गंगा पार करके महात्मा ववदुर के आश्रम में आर्ये थे। ववदुर आश्रम में महात्मा ववदुर के पदवचन्ह आज भी संगमरमर पर सुरवक्षत है। अमरोहा विला अमरोहा (पूवावती ज्योवतिा फु लेनगर) वदनांक 15 अप्रैल 1997 को राज्य सरकार द्वारा स्थावपत वकर्या गर्या वजसका मुख्यालर्य अमरोहा नगर को िनार्या गर्या नववनवमात जनपद में तीन तहसील शावमल की गर्यीं – अमरोहा, धनौरा, एवं हसनपुर। वतामान में नवीन तहसील नौगावां सादात को वमला कर 04 तहसील जनपद में शावमल हैं । ऐवतहावसक पररपेक्ष्य में जनपद का वतामान क्षेत्र िरेली जनपद में स्थस्थत उत्तरी पांचाल देश, वजसकी राजधानी अवहत छत्र थी, के राज्य में शावमल था। कहा जाता है वक मुग़ल शासक शाहजहााँ के शासन के समर्य में संभल के गवनार रुिम खां ने एक वकले का वनमााण र्यहााँ करार्या था तथा व्यापाररर्यों तथा खेवतहरों को इसके आसपास िसार्या था । 474 ई पूवा अमरोहा क्षेत्र में वंशी साम्राज्य के राजा अमरजोध का शासन था। तारीखे-अमरोहा नामक ऐवतहावसक पुिक में र्यह उल्लस्थखत है वक अमरोहा में 676 से 1148 ईस्वी तक राजपूत वंश का शासन था। िहराम शाह
(1240-42) ने मवलक जलालुद्दीन को अमरोहा के हकीम के पद पर वनर्युक्त वकर्या। प्राचीन समर्य में पांचाल प्रदेश के शासकों को, वजसका इस क्षेत्र पर प्रभाव था हस्थिनापुर के कु रु राजाओं द्वारा हिा वदर्या गर्या। कु षाण एवं नंद साम्राज्य के पतन के िाद इस क्षेत्र पर मौर्या वंश का भी शासन रहा तत्पश्चात समुद्रगुप्त का शासन स्थावपत हुआ। लगभग दो शतास्थिर्यों तक गुप्त वंश का शासन इस क्षेत्र पर रहा। गुप्त साम्राज्य के पतन के िाद कन्नौज के राजा मुखारी का वनर्यंत्रण इस क्षेत्र पर हो गर्या इसके पश्चात् 606 से 647 ईस्वी तक र्यह कन्नौज नरेश हषा के शासन क्षेत्र में रहा। हषा की मृत्यु के पश्चात जनपद का उत्तरी क्षेत्र तोमर वंश के साम्राज्य क्षेत्र में रहा। पृथ्वी राज चौहान की शाहिुद्दीन गौरी के हाथों हार के पश्चात् मुस्थिम प्रभुत्व िढ़ना प्रारम्भ हुआ एवं अन्ततः राजपूत वंश के कठे ररर्या, िड़गूजर, गौड़, तोमर एवं अन्य क्षेत्रीर्य वंश सर्युंक्त रूप से ववदेशी मुस्थिम आक्रमणकाररर्यों के विलाफ़ खड़े हुए। इनके प्रर्यासों के िावजूद जनपद के कु छ क्षेत्र में मुस्थिम चौवकर्यां स्थावपत हो गर्यीं। हालांवक मुस्थिमों को पूणा सफ़लता तभी वमली जि 1526 ईस्वी में िािर वदल्ली के वसंहासन पर िैठा। हुमार्यूाँ के कार्याकाल में कु छ समर्य के वलए क्षेत्र अफगानों, वजसका नेता शेरशाह सूरी था, के प्रभुत्व में आ गर्या, लेवकन अकिर के कार्याकाल में पुनः मुग़ल शासन के अधीन हो गर्या। रूहेलाओं ने भी समर्य-समर्य पर अपना प्रभुत्व इस क्षेत्र पर िनार्ये रखा। साथ- साथ मराठाओं ने भी इस क्षेत्र पर समर्य-समर्य पर आक्रमण वकर्ये परन्तु वह ववफ़ल रहे। िाद में र्यह क्षेत्र अवध के वनर्यंत्रण में आ गर्या। परन्तु 1801 में र्यह क्षेत्र विविश ईस्ट इंवडर्या कम्पनी के अधीन हो गर्या। मुरादािाद मुरादािाद उत्तर प्रदेश राज्य में एक शहर है। र्यह 1600 में मुगल सम्राि शाहजहां के पुत्र मुराद द्वारा स्थावपत वकर्या गर्या था; नतीजतन शहर मुरादािाद के रूप में जाना जाने लगा। र्यह मुरादािाद वजले का प्रशासवनक मुख्यालर्य है। मुरादािाद रािरीर्य राजधानी, नई वदल्ली से राम गंगा नदी (महान गंगा के वलए एक सहार्यक) के ति पर 167 वकमी (104 मील) की दू री पर स्थस्थत है। र्यह शहर उत्तरी अमेररका और र्यूरोप में पीतल हिवशल्प के अपने ववशाल वनर्याात के वलए प्रवसद्ध है, और इस प्रकार इसे ‘िास वसिी’ र्या पीिल नागरी (स्थानीर्य भाषा में) भी कहा जाता है। इसमें वववभन्न जावतर्यों और धमों के करीि 4 वमवलर्यन नागररक हैं। मुरादािाद पीतल के काम के वलए प्रवसद्ध है और दुवनर्या भर में हिवशल्प उद्योग में खुद के वलए एक जगह िना है। आधुवनक कारीगरों द्वारा िनाए गए आधुवनक, आकषाक, और कलात्मक पीतल के ितान, गहने और िर ावफर्यां मुख्य वशल्प हैं। आकषाक पीतल के ितान संर्युक्त राज्य अमेररका, वििेन, कनाडा, जमानी और मध्य पूवा एवशर्या जैसे देशों को वनर्याात वकए जाते हैं। हाल ही में आर्यरन शीि मेिलवार्यर, एल्यूवमवनर्यम आिावका और ग्लासवेर्यर जैसे अन्य उत्पादों को ववदेशी खरीदारों की आवश्यकता के अनुसार भी शावमल वकर्या गर्या है। मुरादािाद से कई करोड़ में मेन्था भी वनर्याात वकर्या जाता है। र्ये उत्पाद ववदेशी िाजार में िहुत लोकवप्रर्य हैं और हर साल हजारों करोड़ में वनर्याात वकए जा रहे हैं। ववशेष रूप से र्यूरोप, अमेररका, इिली और अन्य देशों में वनर्याात में लोकवप्रर्यता और लोकवप्रर्यता में वृस्थद्ध के कारण, िड़ी संख्या में वनर्याातक अपनी इकाइर्यां स्थावपत कर रहे हैं और अपना वनर्याात शुरू कर वदर्या है। राज्य सरकार द्वारा घोवषत सात औद्योवगक गवलर्यारों में से। औद्योवगक नीवत 1999-2002 में, मुरादािाद उनमें से एक है। रामगंगा नदी उत्तर पूवा में िहती है और शहर के दवक्षण पवश्चम में गंगान नदी है। संस्कृ बि और बिरासि लोकवप्रर्य रूप से ‘िास वसिी’ के रूप में जाना जाता है, मुरादािाद अपने हिवशल्प उद्योग के वलए प्रवसद्ध है। जविलतापूवाक वडजाइन वकए िास हिवशल्प दुवनर्या भर के कई देशों में वनर्याात वकए जाते हैं। शहर में मनाए गए मेल और त्यौहार संस्कृ वत की महत्वपूणा वव सम्भल सम्भल, भारतीर्य राज्य उत्तर प्रदेश के मुरादािाद मण्डल में स्थस्थत एक वजला है। सतर्युग में इस स्थान का नाम सत्यव्रत था, त्रेता में महदवगरर, द्वापर में वपंगल और कलर्युग में सम्भल है। इसमे ६८ तीथा और १९ कू प हैं र्यहां एक अवत ववशाल प्राचीन मस्थिर है, इसके अवतररक्त तीन मुख्य वशववलंग है, पूवा में चन्द्रशेखर, उत्तर में भुिनेश्वर और दवक्षण में सम्भलेश्वर हैं। प्रवतवषा कावताक शुक्ल चतुथी और पंचमी को र्यहााँ मेला लगता है और र्यात्री इसकी पररक्रमा करते हैं। सम्भल में रेलवे स्टेशन पर मुग़ल सम्राि िािर द्वारा िनवाई गई “िािरी मस्थिद” भी है। र्यह कृ वष उत्पादों
का व्यावसावर्यक कें द्र भी है। िॉलमी द्वारा उस्थल्लस्थखत संिकल को संभल से समीकृ त वकर्या जाता है। र्यहााँ ऐसी पौरावणक मान्यता है वक कवलर्युग में कस्थि अवतार शंिल नामक ग्राम में होगा। लोक मान्यता में सम्भल को ही शंिल माना जाता है। मध्यकाल में सम्भल का सामररक महत्त्व िढ़ गर्या, क्ोंवक र्यह आगरा व वदल्ली के वनकि है। सम्भल की जागीर िािर के आक्रमण के समर्य अफ़गान सरदारों के हाथ में थी। िािर ने हुमार्यूाँ को संभल की जागीर दी लेवकन वहााँ वह िीमार हो गर्या, अतः आगरा लार्या गर्या। इस प्रकार िािर के िाद हुमार्यूाँ ने साम्राज्य को भाइर्यों में िााँि वदर्या और सम्भल अस्करी को वमला। शेरशाह सूरी ने हुमार्यूाँ सूरी को खदेड़ वदर्या और अपने दामाद मुिाररि िााँ को सम्भल की जागीर दी। अब्बास िााँ शेरवानी के अनुसार िािर के सेनापवतर्यों ने र्यहााँ कई मस्थिरों को तोड़ा था और जैन मूवतार्यों का खण्डन वकर्या था। सम्भल एक पुराना उपवनवेश है जो मुस्थिम शासन के समर्य भी महत्वपूणा था व वसकं दर लोदी की १५वीं सदी के अंत व १६वीं सदी के शुरू में प्रांतीर्य राजधावनर्यों में से एक था। र्यह प्राचीन शहर एक समर्य महान चौहान सम्राि पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था व संभवतः र्यह वहीं है जहााँवह अफगावनर्यों द्वारा वद्वतीर्य र्युद् घ में मारे गए। “मकान िू िे लोग झूठे ” के वलए भी इसे जाना जाता है लेवकन इसका वािववकता से कोई लेना देना नहीं है। कु छ वनवावसर्यों के द्वारा इसका वतामान में सत्य होने का दावा वकर्या जाता है। १९९१ की जनगणना में सम्भल को पूरे देश में न्यूनतम साक्षरता वाला पार्या गर्या था। लेवकन समर्य के साथ स्थस्थवतर्यों में सुधार आर्या है। िे ला देिी मंबदर कै ला देवी मंवदर का लंिा इवतहास रहा है। देश में मां कै ला के दो मंवदर हैं। पहला राजस्थान में और दू सरा संभल के भांगा इलाके में। नवरावत्र में र्यहां कहा जाता है वक वसंह के देव दशान हो रहे हैं। मंवदर पररसर में स्थस्थत िरगद के पेड़ का भी िहुत महत्व है। कहा जाता है वक र्यह िरगद का पेड़ सात सौ साल पुराना है। सोमवार को र्यदुवंश कु लदेव की मां कै लादेवी के दशान का ववशेष महत्व है। िोिा मैना िी िब्र संभल मे स्थस्थत र्यह तोता मैना की कि एक रहस्यमर्यी कि है। वजसके िारे मे कहा जाता है वक तोता-मैना की मजार का इवतहास एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। कहते हैं वक पृथ्वीराज चौहान इस जंगल में तोता-मैना के जोड़े को देखकर िहुत खुश होते थे और वे अक्सर उन्हें देखने आते थे। जि र्ये तोता-मैना नहीं रहे तो राजा ने उनकी र्याद में र्ये मजार र्यावन कि िनवा दी। साथ ही उनके वकस्से भी इसके ऊपर दजा करवा वदए, लेवकन इस कि के ऊपर क्ा वलखा है र्ये आज तक कोई पढ़ नहीं पार्या है। वहंदी, उदूा,अरिी और न जाने वकन-वकन भाषाओं के लोगों ने इसे पढ़ने समझने की कोवशश की, लेवकन कोई इस भाषा को नहीं समझ सका। रामपुर रामपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर वजलेमें स्थस्थत एक शहर एवं नगर पावलका है। र्यह मुरादािाद एवं िरेली के िीच में पड़ता है। रामपुर नगर उपर्युाक्त विले का प्रशासवनक कें द्र है तथा कोसी के िाएाँ वकनारे पर स्थस्थत है। रामपुर नगर में उत्तरी रेलवे का स्टेशन भी है। रामपुर का चाकू उद्योग प्रवसद्ध है। चीनी, वस्त्र तथा चीनी वमट्टी के िरतन के उद्योग भी नगर में हैं। रामपुर नगर में अरिी भाषा का एक ववद्यालर्य है। रामपुर व़िला, रामपुर रिा पुिकालर्य और कोठी िास िाग़ रामपुर के प्रमुख पर्यािन स्थलों में से है। रामपुर जगह का कु ल क्षेत्रफल 2367 वगा वकलोमीिर है। रामपुर की स्थापना नवाि फै जुल्लाह खान ने की थी। उन्होंने 1774-1794 तक र्यहााँ शासन वकर्या।

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