Nội dung text बरेली मंडल full.pdf
बदाय ूँ इतिहास बदायूूँ सूफ़ी संतो औलियाओ, वलियों व पीरों की भूलि और ज्यारतों का स्थान भी है| यह लहंदुस्तान की बहुत ही पलवत्र भूलि है| प्रो० गोटी जॉन के अनुसार प्राचीन लििािेखों िें इसका नाि “वेदािूथ” था जो लििािेख िखनऊ म्यूलजयि िें संरलित है| रोज़ा िकबरा इखिास खां का लनिााण 1094 लहजरी (सन् 1690) िें कराया गया। इस िकबरे की िंबाई 152 और चौड़ाई 150 लिट है। ककइया ईटों से तािीर लकया गया। यह िकबरा िुगिकाि की यादगार इिारत है। नवाब इखिास खां की बेगि ने अपने िौहर की याद िें िकबरे का लनिााण कराया था। लजसे इखिास खां के रोजा के नाि से जाना जाता है। यह अिग बात है लक इस िकबरे को ताजिहि की तरह प्रलसद्धि नहीं लििी। मख्बरा िुग़ि िहारानी िुिताज़ िहि की बहन “परवर बानों” का िख्बरा िेखुपुर लजिा बदायूूँ िें द्धस्थत है| बरेली इतिहास पुराताद्धिक दृलि से बरेिी लजिा कािी सिृि िाना जाता है। लजिे की आंविा तहसीि के रािनगर गांव के पास उत्तरी पांचाि की राजधानी अलहच्छत्र के व्यापक अविेष लििे हैं। गुप्त काि से भी पहिे के करीब पांच हजार लसक्के अलहच्छत्र से लििे हैं। िौजूदा सािग्री के आधार पर िेत्र का पुराति हिें दू सरी सहस्राब्दी ईसा पूवा से िेकर 11वीं िताब्दी ईस्वी तक के सांस्कृ लतक क्रि का अंदाजा िगाने िें िदद करता है। रोलहिखंड लवश्वलवद्यािय के प्राचीन इलतहास एवं संस्कृ लत लवभाग ने लजिे िें लतहाड़-खेड़ा (ितेहगंज पलिि), पचौिी, रहटुइया, कादरगंज और सेंथि िें कु छ प्राचीन टीिे भी खोजे हैं। िहाकाव्य िहाभारत के अनुसार बरेिी िेत्र (पंचाि) को द्रौपदी का जन्मस्थान कहा जाता है। िोककथाओं िें यह भी कहा गया है लक गौति बुि एक बार बरेिी के प्राचीन लकिे वािे िहर अलहच्छत्र िें आए थे। देि की आज़ादी की िड़ाई िें बरेिी लजिे ने सलक्रय भागीदारी लदखाई। द्धखिाित आंदोिन के दौरान बरेिी िें भारतीय रािरीय कांग्रेस की प्रिुखता तब आई जब गांधीजी नेइस िहर का दो बार दौरा लकया और कई लहंदूऔर िुसििानों को लगरफ्तार लकया गया। गांधीजी के आह्वान पर लजिे िें सलवनय अवज्ञा आंदोिन 26 जनवरी 1930 को िुरू लकया गया था। 1936 िें आचाया नरेंद्र देव की अध्यिता िें बरेिी िें कांग्रेस का एक सम्मेिन आयोलजत लकया गया था। इसे जवाहरिाि नेहरू, एिएन रॉय, पुरुषोत्ति दास टंडन और रिी अहिद लकदवई ने संबोलधत लकया था। उस सिय बरेिी सेंटर ि जेि िें जवाहरिाि नेहरू, रिी अहिद लकदवई, िहावीर त्यागी, िंजर अिी सोखता और िौिाना लहिाजुि रहिान जैसे प्रिुख नेता बंद थे। अतहछत्र मंतदर अलहछत्र, िहाभारत िें वलणात उत्तरी पंचाि प्रदेि की राजधानी बताई जाती है | इसके भग्नावेि बरेिी की आंविा तहसीि के रािनगर नािक गाूँव िें लििते है | उत्खनन के पिात लििने वािी इिारतों के भग्नावेि 600 से 1100 ईस्वी पूवा के बताये जाते है | आला हजरि दरगाह अहिद राजा खान, अहिद राजा खान बरेिवी, अहिद ररदा खान अथवा आिा हजरत (14 जून 1856 से 28 अक्टू बर 1921) एक िहान इस्लालिक लवद्वान्, न्यायलवद, लसि व्यद्धि तथा िहान सिाज सुधारक थे | उन्ोंने कानून, धिा, दिान तथा लवज्ञान लवषयों पर अनेक पुस्तकों की रचना की | उनकी दरगाह बरेिी िें अवद्धस्थत है | पीलीभीि
इतिहास 1801 िें जब रोलहिखंड को अंग्रेजों को सौंप लदया गया था, तो पीिीभीत लजिा बरेिी का परगना था, लजसे 1833 िें हटा लदया था यह व्यवस्था अस्थायी थी और 1841 िें बरेिी के साथ एक बार लिर से एकजुट हुआ । 1871 िें परगना जहानाबाद, पीिीभीत और पुरनपुर के इिाके को संयुि कर पीिीभीत तहसीि का लनिााण हुआ। लजसे अंततः 1879 िें एक लजिे िें बदि लदया गया । लिलटि िासन की िुरूआत िें पीिीभीत, जहानाबाद और बीसिपुर परगना को अिग अिग तहसीि बनाया गया था तथा पूरनपुर को तहसीि बनाने के लिए परगना पूरनपुर को खुटार के साथ जोड़ा गया | 1824 िें िेत्र के पुनलवातरण के पररणािस्वरुप, जब बीसिपुर तहसीि के अंतगात परगना बीसिपुर और िरौरी आते थे, जो बाद िें एक िेत्र बन गया; जहानाबाद को ररच्छा के साथ लििाकर तहसीि परेवा और पीिीभीत के साथ लबिहरी के साथ लििाकर तहसीि पीिीभीत को िुख्यािय बनाया गया था। 1895 िें लबिहरी और अन्य तराई परगना को प्रत्यि प्रबंधन के तहत लिया गया और 1863 िें ररच्छा को बहेड़ी तहसीि से जोड़ा गया तथा परगना जहांनाबाद को पीिीभीत को सौंपा गया | 1865 िें पीिीभीत के हस्तांतरण पर पुरनपुर भी पीिीभीत िें िालिि कर लदया गया । कु छ सिय बाद 1871 िें पूरनपुर, पीिीभीत पर लनभार एक उप तहसीि बन गयी, जो 1879 िें पूणा तहसीि िें पररवलतात हो गयी, जबलक पूरा बीसिपुर एक अिग उपखंड बना रहा। 2015 िें तहसीि पूरनपुर के कु छ गावों को संयुि कर तहसीि किीनगर तथा तहसीि पीिीभीत के कु छ गांवों को संयुि कर तहसीि तहसीि अिररया बनाया गया | इस प्रकार अब यह िेत्र पांच तहसीिों और चार परगनाओं िें लवभालजत है। ओढ़ाझार मंतदर ओढ़ाझार िंलदर जनपद पीिीभीत के तहसीि किीनगर के ग्राि ओढ़ाझार िें द्धस्थत है पीलीभीि टाइगर ररज़र्व पीलीभीि टाइगर ररज़र्वउत्तर प्रदेि के पीलीभीि लजिे और शाहजहाूँपुर लजिे िें द्धस्थत है, जो ऊपरी गंगा के िैदान बायोग्रालिकि प्रांत िें तराई आका िैंडस्के प का लहस्सा है। ररज़वा से कु छ नलदया, जैसे िारदा, चूका और िािा, खाननॉट होकर लनकिती है। साि के जंगिों, िंबी घास के िैदानों और नलदयों से सिय-सिय पर बाढ़ द्वारा बनाए गए दिदि यहाूँ की लविेषता है। ररजवा की सीिा पर िारदा सागर बांध है जो 22 लकिी (14 िीि) की िंबाई तक िै िा है। यह भारत-नेपाि सीिा पर लहिािय की तिहटी और उत्तर प्रदेि िें तराई के िैदानों के साथ द्धस्थत है। यह तराई आका िैंडस्के प का लहस्सा है। यह भारत के 51 प्रोजेक्ट टाइगर टाइगर ररजवा िें से एक है। राजा र्ेणु का टीला लजिा पीिीभीत के पूरनपुर तहसीि िें, रेिवे स्टेिन से एक लकिोिीटर दू र िाहगढ़ िें एक टीिा द्धस्थत है, इस टीिे िें राजा वेणु का एक िहि था। आजकि इस िहि के अविेष और खंडहर बताते हैं उस सिय राजा की उन्नलत लकस प्रकार हुयी थी। शाहजहांपुर इतिहास िाहजहांपुर िहर से जुड़ने वािे दो “िज़ार” हैं एक “िज़ार” िहीद “अहिद उल्लाह िाह” का है- 1857 के संघषा का एक िहान स्वतंत्रता सेनानी और दू सरा “िालहद अििाक़उल्ला खान (काकोरी कं ड)” का है। िौिवी अहिद उल्लाह िाह ने िै जाबाद (यू.पी.) से अपना संघषा िुरू लकया। वहां से, वह िाहजहाूँपुर िें आए। उनका जीवन िाहजहांपुर िें सिाप्त हुआ। 70 साि बाद, अििाक़उल्ला खान ने लिलटि सरकार के द्धखिाि संघषा िुरू लकया। एक िहान स्वतंत्रता सेनानी के कारण, लिलटि सरकार ने उसे िै जाबाद की जेि िें िांसी दी थी। लजस तरह से इन “िज़ार” को जोड़ता है उसे “िहीद रािप्रसाद लबद्धिि िागा” कहा जाता है आया सिाज िंलदर की एक पुरानी इिारत लजस तरह रािप्रसाद लबद्धिि ने स्वतंत्रता आंदोिन के दौरान लनवास लकया था। “िहीद रोिन लसंह” िाहजहांपुर का भी है।
िाहजहांपुर ने 1857 के लजिा बरेिी और िखनऊ के बीच स्वतंत्रता आंदोिन िें एक बड़ी भूलिका लनभाई। एक सिय िें, लदल्ली से िेख जाद, नाना िहर पहोवा, िै जाबाद से अहिद उल्लाह िाह और बरेिी खान से खान बहरुढ़ खान ने यहां एकजुट लकया और संघषा िें और सुधार के लिए योजना बनाई। दुभााग्यवि, िौिवी अहिद उल्लाह िाह की िृत्यु लिलटि सरकार ने पोवायन िें की थी। यहां तक लक 1857 के स्वतंत्रता सेनालनयों िौिवी अहिद उल्लाह िाह, नाजीि अिी और बिी के संघषा िें सििता नहीं लििी िेलकन बाद िें िाहजहांपुर से िहीद रािप्रसाद लबद्धिि, अििाक़उल्ला खान और रोिन लसंह ने “स्वतंत्रता आंदोिन” िें अपना बड़ा योगदान लदया। रािप्रसाद लबद्धिि ने अपने दोस्तों के साथ श्री गेंदािाि दीलित के नेतृि िें एक सिाज “ित्रवदे सांघ” बनाया। इसका िुख्य उद्देश्य संघषा के लिए धन इकट्ठा करना था िेलकन, धन िें किी थी, इसलिए उन्ोंने रॉबरी िुरू की रािप्रसाद लबद्धिि का िुख्य आरोपी “िाइनपुरी कांड” था। “चोरर-चोरा कांड” के बाद, िहात्मा गांधी ने आंदोिन स्थलगत कर लदया। तब, रािप्रसाद लबद्धिि ने “लहंदुस्तान एसोलसएिन” को श्री योगेि चटजी के साथ बनाया। योजना को िागू करने के लिए, िं ड की आवश्यकता थी सबसे पहिे उन्ोंने “योगदान” एकत्र लकया िेलकन, यह योगदान प्लान पर काबू पाने के लिए पयााप्त नहीं था। तो, वे िूटने िगे। 9 अगस्त, 1925 को, चंद्रिेखर आज़ाद, लबद्धिि, अििाक़उल्ला खान और िालहरी ने “ककोरी” रेिवे स्टेिन के लनकट सरकारी िं ड को िूट लिया। 26 लदसंबर, 1 925, 40 व्यद्धियों को इस िाििे िें लगरफ्तार लकया गया। रािप्रसाद लबद्धिि, अश्िाक़ुल्ला खान, रोिन लसंह, प्रेिलकिन खन्ना, बनवारी िाि, हरगोलवंद, इंद्र भूषण, जगदीि और बनारसी िाहजहांपुर से थे। लिलटि सरकार ने 1 9 लदसंबर, 1 9 27 को यह िाििा तय लकया। श्री रािप्रसाद लबद्धिि को गोरखपुर की जेि िें िटका लदया गया, श्री अििाक़ुल्ला खान को िैजाबाद की जेि िेंिटका लदया गया और श्री रोिन लसंह ने ििका (इिाहाबाद) की जेि िें िांसी दी। यह स्वतंत्रता सेनालनयों के एक िहान प्रलतपादक थे जो “स्वतंत्रता आंदोिन” िें िाहजहांपुर के थे। संस्कृ ति और तर्रासि िाहजहांपुर की स्थापना दररया खान के बेलटयों लदिील र खान और बहादुर खान ने की थी, जो िुगि सम्राट जहांगीर की सेना िें एक सैलनक था। दररया खान िूि रूप से कं धार से थे, आधुलनक अिगालनस्तान िें लदिीर खान और बहादुर खान दोनों िाहजहां के िासन िें गणिान्य व्यद्धि थे। लदलिर खान की सेवाओं के साथ खुिी हुई, िाहजहां ने लवद्रोही कठे ररया राजपूतों के दिन के बाद 1647 िें एक लकिे के लनिााण के लिए 17 गांव लदए। 9 अगस्त 1 9 25 को, भारतीय स्वतंत्रता सेनालनयों राि प्रसाद लबद्धिि, अििाकु ल्ला खान, चंद्रिेखर आज़ाद और राजेंद्र िालहरी ने काकोरी रेिवे स्टेिन के पास सरकारी धन की एक डकै ती का आयोजन लकया। लबद्धिि और खान दोनों का जन्म िाहजहांपुर िें हुआ था। िाहजहाूँपुर घराने ने इनायत अिी (1883-1915), उस्ताद िुराद अिी खान, उस्ताद िोहम्मद अिीर खान, पंलडत रालधका िोहन िोइत्रा और पंलडत बुिदेव दास गुप्ता जैसे प्रलसि सरद द्धखिालड़यों िें योगदान लदया। वतािान सरोद कथा, अिजद अिी खान भी िाहजहाूँपुर घराने के है |