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सहारनपुर मंडल शाममल मिले – सहारनपुर / मुिफ्फरनगर / शामली
मिला - सहारनपुर पुरातात्विक सर्वेक्षण ने साबित कर बिया है बक इस क्षेत्र में बर्वबिन्न संस्कृ बतय ं के साक्ष्य उपलब्ध हैं। बिले के बर्वबिन्न बहस् ं में खुिाई की गई, अर्ाात् अंिाखेडी, िडगांर्व, हुलास, िहािरािाि और नसीरपुर आबि। इन उत्खनन ं के िौरान कई चीिें बमली हैं, बिनके आधार पर यह स्थाबपत ह ता है बक सहारनपुर बिले में, शुरुआती बनर्वाबसय ं क 2000 ईसा पूर्वा के रूप में पाया गया र्ा। अंिाखेडी, िडगांर्व, नसीरपुर और हुलास हडप्पा संस्कृ बत के कें द्र र्े क् ंबक इन क्षेत्र ं में हडप्पा सभ्यता के समान कई चीिें बमली र्ीं। समय िीतने के सार् इसका नाम तेिी से ििला है। इल्तुतबमश के समय सहारनपुर गुलाम र्वंश का बहस्ा िन गया र्ा। 1340 में बशर्वाबलक रािाओं के बर्वद्र ह क कु चलने के बलए मुहम्मि तुगलक उत्तरी ि आि में पहुंचा र्ा। र्वहां उसे 'पौंध ई' निी के बकनारे एक सूफी संत की मौिूिगी के िारे में पता चला। र्वह उनसे बमलने गया और आिेश बिया बक अि से इस िगह क संत शाह हारुन बचश्ती के नाम पर 'शाह-हारुनपुर' के नाम से िाना िाए।
अकिर पहला मुगल शासक र्ा बिसने सहारनपुर में नागररक प्रशासन की स्थापना की और इसे बिल्ली प्रांत के अंतगात 'सहारनपुर-सरकार' िनाया और एक गर्वनार बनयुक्त बकया। सहारनपुर की िागीर रािा साह रणर्वीर बसंह क िी गई बिन् ंने सहारनपुर शहर की स्थापना की। उस समय सहारनपुर एक छ टा सा गााँर्व र्ा और सेना की छार्वनी के रूप में काया करता र्ा। उस समय सिसे नज़िीकी ित्वियााँ शेखपुरा और मल्हीपुर र्ीं। सहारनपुर का अबधकांश िाग िंगल ं से बिरा हुआ र्ा और 'पांर्वध ई' 'धम ला' और 'गंिा नाला' (क्रे गी नाला) िलिली/िलिली र्े। साह रणर्वीर बसंह ने बिस शहर की स्थापना की र्ी, र्वह 'नखासा', 'रानी िािार', 'शाह िहल ल' और 'पौंध ई' निी के बकनारे 'लाखी गेट' से बिरा हुआ र्ा। सहारनपुर एक चारिीर्वारी र्वाला शहर र्ा और इसके चार द्वार र्े: 1. सराय गेट 2. माली गेट 3.िुररया गेट 4.लाखी गेट
1803 में सहारनपुर अंग्रेि ं के हार् ं में चला गया। िारुल उलूम िेर्विंि के संस्थापक ं ने बर्वद्र ह में सबक्रय रूप से िाग बलया, बिल्ली के िाहर ल ग ं क संगबित बकया और कु छ समय के बलए अपने कायाक्षेत्र से बिबटश सत्ता क िाहर बनकालने में सफल रहे। उनकी गबतबर्वबधय ं का कें द्र मुिफ्फरनगर बिले का एक छ टा सा शहर शामली र्ा। 1857 के िाि, मुसलमान ं का सांस्कृ बतक और रािनीबतक इबतहास अलीगढ़ और िेर्विंि के इिा-बगिा िूमता रहा। काबसम नानौतर्वी ने िेर्विंि का प्रबतबनबधि बकया। िेर्विंि ने अंग्रेि ं के बर्वर ध का प्रबतबनबधि बकया, िारतीय राष्ट्र र्वाि, बहंिू मुत्विम एकता और अखंड िारत का पक्ष बलया। िेर्विंि ने शाह र्वलीउल्लाह के क्रांबतकारी बर्वचार ं का समर्ान बकया ि सामाबिक और रािनीबतक िागृबत के बलए बिम्मेिार र्े। मौलाना नानौतर्वी और मौलाना रशीि अहमि गंग ही ने 1867 में िेर्विंि में एक स्कू ल की स्थापना की। यह िारुल उलूम के नाम से ल कबप्रय हुआ। प्रबसद्ध क्रांबतकारी मौलाना महमूिुल हसन मिरसे के पहले छात्र र्े।