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Nội dung text Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 6- Meri Maa हिन्दी (मल्हार) पाठ 6 – मेरी माँ Book Solution.pdf

कक्षा 6हिन्दी (मल्िार) पाठ्य-पुस्तक समाधान © kvsecontent.com पाठ 6 – मेरी मााँ कहठन शब्द शब्द अर्थ वाक्य प्रयोग आधिपत्य - प्रभत्ुव, शासन अंग्रेजों का भारत पर आधिपत्य था। अत्याचार - अन्याय, जल्ुम धिधममल नेजेल मेंअंग्रेजों केअनेक अत्याचार सहे। धनिःमवाथथ- मवाथथरधहत, परोपकारी मााँका प्यार धनिःमवाथथहोता है। प्रोत्साहन - हौसला िढाना माता जी केप्रोत्साहन सेधिधममल देश-सेवा मेंसंलग्न हो सके । िष्टृ तापर्ूथ- ढीठता सेभरा धिधममल कभी मााँको िष्टृ तापर्ूथउत्तर नहीं देतेथे। गोय - धिपाकर अपनेमन की िात को गोय रखना कभी-कभी अच्िा होता है। अधठलैहैं- हसं ेंगे, मजाक उडाएंगे वाक्य: लोग दसूरों की परेशाधनयों पर अक्सर अधठलैहैं, इसधलए अपनी सममयाएंखदु सेसलु झाना िेहतर है। उऋर् - कजथसेमक्तु माता-धपता केप्यार सेकभीउऋर् नहीं हुआ जा सकता। तरुवर - पेड तरुवर की िाया मेंिैठकर पढना िहुत सखु द होता है। सरवर - तालाि गााँव केसरवर मेंिच्चेनहातेहुए आनंद लेतेहैं। (क) नीचे धदए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा िनाइए- (1) ‘धकंतुयह इच्िा पर्ूथहोती नहीं धदखाई देती।’ धिधममल को अपनी धकस इच्िा के पर्ूथन होने की आशंका थी? ▪ भारत माता के साथ रहने की
कक्षा 6हिन्दी (मल्िार) पाठ्य-पुस्तक समाधान © kvsecontent.com ▪ अपनी प्रीधतज्ञा पर दृढ रहने की ▪ अपनी मााँ की जीवनपयंत सेवा करने की ▪ भोग धवलास तथा ऐश्वयथभोगने की (2) रामप्रसाद धिधममल की मााँ का सिसे िडा आदेश क्या था? ▪ देश की सेवा करें ▪ कभी धकसी के प्रार् न लेना ▪ कभी धकसी से िल न करना ▪ सदा सच िोलना (ख) अि अपने धमत्रों के साथ तकथपर्ूथचचाथ कीधजए धक आपने यह ही उत्तर क्यों चनुे? उत्तर- पहलेप्रश्न का उत्तर पाठ मेंमपष्ट रूप सेधदया गया हैजहााँधिधममल कहतेहैंधक उनकी इच्िा हैधक वेअपनी मााँकी सेवा कर सकें, लेधकन यह परूी होती नहीं धदखाई देती। दसूरेप्रश्न का उत्तर भी पाठ मेंमपष्टहैजहााँधलखा हैधक उनकी मााँका सिसेिडा आदेश था धक धकसी की प्रार्हाधन न हो। पाठ में से चनुकर कुि पंधक्तयााँनीचे दी गई हैं। इन्हें पढकर समधझए और इन पर धवचार कीधजए। आपको इनका क्या अथथ समझ में आया? कक्षा में अपने धवचार साझा कीधजए और धलधखए। (क) “यधद मझुेऐसी माता न धमलतीं, तो मैं भी आती सािारर् मनुष्यों की भााँधत संसार-चक्र में फाँ सकर जीवन धनवाथह करना।” उत्तर- अर्थ: धिधममल मानतेहैंधक उनकी मााँकेमागथदशथन और प्रोत्साहन केधिना, वेएक सािारर् जीवन जीतेहुए संसार के दैधनक कायों मेंही उलझेरहते। उनकी मााँनेउन्हेंएक उच्च लक्ष्य की ओर प्रेररत धकया। (ख) “उनके इस आदेश की पधूतथकरने के धलए मझुेमज़िरून दो-एक िार अपनी प्रधतज्ञा भंग भी करनी पडी थी।” उत्तर- अर्थ: धिधममल की मााँका आदेश था धक धकसी की प्रार्हाधन न हो। इस आदेश का पालन करनेकेधलए धिधममल को कभी-कभी अपनी अन्य प्रधतज्ञाओं(संभवतिः क्रांधतकारी गधतधवधियों सेसंिंधित) को तोडना पडा।

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