Nội dung text Chapter 6 प्राकृतिक आपदाएं और संकट.pdf
भूगोल अध्याय- 6: प्राकृ तिक आपदाएंऔर संकट
(1) 07 प्राक ृ तिक आपदाएं और संकट पररचय:- 1. प्रकृ ति और मानव का आपस मेंगहरा सम्बन्ध है। प्रकृ ति नेमानव जीवन को बहुि अधिक प्रभाववि ककया है। 2. जो प्रकृ ति हमेंसब कु छ प्रदान करके खुशियाां देिी हैंकभी – कभी उसी का ववकराल रूप हमें दखु ी कर देिा है। 3. िरिी का िांसना, पहाड़ों का खखसकना, सूखा, बाढ़, बादल फटना, चक्रवाि, ज्वालामुखी ववस्फोट, भूकम्प, समुद्री, िूफान, सुनामी, आकाल आकद अनेक प्राकृ तिक आपदाओांसेमनुष्य को समय – समय पर हातन उठानी पडी है। 4. पररवितन प्रकृ ति का तनयम है। यह लगािार चलनेवाली प्रकक्रया है। 5. कु छ पररवितन अपेशिि व अच्छेहोिेहै। िो कु छ अनपेशिि व बुरेहोिेहै। प्राकृ तिक आपदाओां का मनुष्य पर गहारा प्रभाव पडिा है। इससेहोनेवाली हातनयााँिथा इनसेबचाव के उपाय़ों िथा नुकसान को कम करनेके उपाय़ों के बारेमेंजानना आवश्यक है। आपदा:- आपदा प्रायः एक अनपेशिि घटना होिी है, जो ऐसी िाकि़ों द्वारा घटटि होिी है, जो मानव के तनयांत्रण मेंनहीांहैं। यह थोडेसमय मेंऔर तबना चेिावनी के घटटि होिी हैशजसकी वजह से मानव जीवन के कक्रयाकलाप अवरुद्ध होिेहैंिथा बडेपैमानेपर जानमाल का नुकसान होिा है। प्राक ृ तिक आपदा िथा संकट में अन्िर:- 1. प्राकृ तिक आपदा िथा सांकट मेंबहुि कम अन्तर है। इनका एक – दूसरेके साथ गहरा सम्बन्ध है। कफर भी इनमेंअन्तर स्पष्ट करना अतनवायतहै। 2. प्राकृ तिक सांकट, पयातवरण मेंहालाि के वेित्व हैंशजसमेंजन – िन को नुकसान पहुाँचने की सम्भावना होिी है। जबकक आपदाओांसेबडेपैमानेपर जन – िन की हातन िथा सामाशजक व आर्थथक व्यवस्था ठप्प हो जािी है। प्राक ृ तिक आपदाओं का वर्गीकरण:-
(2) 07 प्राक ृ तिक आपदाएं और संकट प्राकृ तिक आपदाओांको उनकी उत्पशि के आिार पर वगीीकृ ि ककया जािा है। जैसे; 1. वायुमण्डलीय:- िकडिझांझा, टारनेडो, उष्णकटटबांिीय चक्रवाि, सूखा, िुषारपाि आकद। 2. भौममक:- भूकां प, ज्वालामुखी, भू– स्खलन, मृदा अपरदन आकद। 3. जलीय:- बाढ़, सुनामी, ज्वार, महासागरीय िाराएां, िूफान आकद िथा 4. जैतवक:- पौि़ों व जानवर उपतनवेिक के रूप मेंटटड्डीयााँकीट, ग्रसन फफूां द, बैक्टीररया, वायरल सांक्रमण, बडतफलू, डेंगूइत्याकद। ककस स्थथति में ववकास कायय आपदा का कारण बन सकिा है ? 1. सांकट सांभाववि िेत्ऱों मेंववकास कायतआपदा का कारण बन सकिेहैं। ऐसा उस स्थस्थति में होिा है, जब पयातवरणीय पररस्थस्थतिकी की परवाह ककए तबना ही ववकास कायतककया जािा है। 2. उदाहरणिया बाढ़ को तनयांत्रत्रि करनेके शलए बाांि बनाया जािा हैिाकक बाढ़ का पानी और अधिक नुकसान न कर सके, लेककन कु छ समय पश्चाि उस रूके हुए पानी सेमहामाररयाां फै लनी आरम्भ हो जािी हैंइसीशलए हम कह सकिेहैंकक अक्सर ववकास कायतआपदा का कारण बन जािेहैं। आपदा तनवारण और प्रबन्धन की अवथथाऐ:- 1. आपदा सेपहले:- आपदा के ववषय मेंआांकडेऔर सूचना एकत्र करना, आपदा सांभाववि िेत्ऱों का मानधचत्र िैयार करना और लोग़ों को इसके बारेमेंजानकारी देना। 2. आपदा के समय:- युद्ध स्तर पर बचाव व राहि कायतकरना। आपदा प्रभाववि िेत्ऱों से पीकडि व्यक्तिय़ों को तनकालना, राहि कैं प मेंभेजना, जल और धचककत्सा सुवविा उपलब्ध कराना। 3. आपदा के पश्चाि:- आपदा प्रभाववि लोग़ों को पुनतवास की व्यवस्था करना। चक्रवािीय आपदा:-
(3) 07 प्राक ृ तिक आपदाएं और संकट चक्रवाि:- चक्रवाि तनम्न वायुदाब का वह िेत्र हैजो चाऱों ओर सेउच्च वायुदाब द्वारा घघरा होिा है। वायुचारो ओर सेचक्रवाि के तनम्न वायुदाब वालेिेत्र की ओर चलिी है। चक्रवािीय आपदा मेंवषातसामान्य से50-100 सेमी िक अधिक होिी हैसाथ ही िेज हवाओांका पररसांचरण भी होिा है। चक्रवािीय आपदा के ववनाशकारी प्रभाव:- 1. चक्रवाि़ों का आकार छोटा होिा हैऔर दाब प्रवणिा िीव्र होनेके कारण वायुबडी िीव्र गति सेचलिी है। अिः इससेजान – माल की भारी हातन होिी है। हजाऱों की सांख्या मेंलोग मर जािेहैं। 2. पेड, तबजली िथा टेलीफोन के खम्बेउखड जािेहैंऔर इमारिेंधगर जािी हैंअथवा जरजर हो जािी हैं। इन चक्रवाि़ों सेभारी वषातहोिी है। शजससेबाढ़ की स्थस्थति उत्पन्न हो जािी है। समुद्र मेंचक्रवाि सेऊां ची – ऊां ची लहरेंउठिी हैंशजससेमछुवाऱों व नाववक़ों की जान का खिरा हो जािा हैऔर िटीय िेत्ऱों के तनवाससय़ों को जान – माल की भारी हातन उठानी पडिी है। सू खा:- सूखा : – ककसी वविेष िेत्र में, वविेष समय में, सामान्य सेकम वषातकी मात्रा को सूखा कहिेहैं। सू खा के प्रकार:- इसके तनम्न चार प्रकार हैं। 1. मौसम तवज्ञान संबंधी सूखा:- यह एक स्थस्थति हैशजसमेंलम्बेसमय िक अपयातप्त वषात होिी है। (वषातकी कमी) 2. कृ ति सूखा:- इसेभूधम आद्रतिा सूखा भी कहिेहैं। जब जल के अभाव सेफसलेंनष्ट हो जािी हैंउसेकृ षष सूखा कहिेहैं। (अपयातप्त मानसून)