Nội dung text Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति.pdf
भूगोल अध्याय-5: प्राकृ तिक वनस्पति
(1) 05 प्राकृ तिक वनस्पति परिचय:- इस अध्याय मेंहम प्राकृ तिक वनस्पतियों के बारेमेंपढ़नेवालेहैं। प्राकृ तिक वनस्पति:- प्राकृ तिक वनस्पति मेंवेपौधेसम्मिललि ककए जािेहैंजो मानव की प्रत्यक्ष या परोक्ष सहायिा के तबना उगिेहैंऔर जो अपनेआकर, संरचना िथा अपनी आवश्यकिाओ ंको प्राकृ तिक पयाावरण के अनुसार ढाल लेिेहैं। प्राकृ तिक वनस्पति के प्रकाि:- प्रमुख वनस्पति प्रकार िथा जलवायुपररम्मिति के आधार पर भारिीय वनों को पााँच वगों मेंरखा गया है। 1. उष्ण कटिबंधीय सदाबाहर एवं अधा– सदाबहार वन। 2. उष्ण कटिबंधीय पणापपिी वन। 3. उष्ण कटिबंधीय कााँिेदार वन। 4. पवािीय वन। 5. वेलाचली व अनूप वन। शोलास वन:- नीलगगरी अन्य मलाई और पालनी पहाक़ियों पर पायेजानेवालेशीिोष्ण कटिबंद को शोलास कहा जािा है। उष्ण कटिबंधीय सदाबहाि वन:- उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन आर्द्ािथा उष्ण भागों मेंगमलिेहैं। इन क्षेत्रों मेंऔसि वार्षिक विाा 200 सेमी सेअगधक और सापेक्ष आर्द्ािा 70 प्रतिशि सेअगधक होिी हैऔसि िापमान 24 किग्री सेहोिा है। येवन भारि मेंपलिमी घाि, उत्तर पूवीीपहाक़ियों एवं अंिमान व तनकोबार मेंपायेजािे हैं।
(2) 05 प्राकृ तिक वनस्पति उष्ण कटिबंधीय पर्णपािी वन:- 1. येवेवन हैंजो 100 से200 सेमी . वार्षिक विाावालेक्षेत्रों मेंपायेजािेहैं। इन वनों का ववस्तार गंगा की मध्य एवं तनचली घािी अथााि भाबर एवं िराई प्रदेश, पूवीी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग, झारखंि, पलिम बंगाल, उ़िीसा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कनाािक, िगमलनािुिथा के रल के कु छ भागों मेंगमलिेहै। प्रमुख पे़ि साल, सागवान, शीशम, चंदन, आम आकद है। 2. येपे़ि ग्रीष्म ऋिुमेंअपनेपत्तेगगरा देिेहैं। इसललए इन्हेंपिझ़ि वन भी कहा जािा है। उनकी ऊाँ चाई 30 से45 मीिर िक होिी है। येइमारिी लक़िी प्रदान करिेहैं। लजससेइनका आर्थथक महत्व अगधक है। येवन हमारेकु ल वन के क्षेत्र के 25 प्रतिशि क्षेत्र मेंफै लेहुए है। उष्ण कटिबंधीय कााँिेदाि वन:- 1. लजन क्षेत्रों में70 सेंिीमीिर सेकम बाररश होिी हैवहां किीलेवन िथा झाक़ियां पाई जािी है। 2. इस प्रकार की वनस्पति देश के उत्तर पलिम भाग मेंपाई जािी हैलजनमेंगुजराि राजिान छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश िथा हररयाणा के कु छ क्षेत्र शागमल हैं। 3. अकालशया खजूर नागफनी यहां की प्रमुख पादप प्रजातियां हैइन वनों के वृक्ष तबखरेहुए होिे हैंइनकी ज़िेंलंबी िथा जल की िलाश मेंफै ली हुई होिी है। 4. पलत्तयों का आकार काफी छोिा होिा है। इन जंगलों मेंचूहेखरगोश लोम़िी भेक़िए शेर ससिंह जंगली गधा और घो़िेिथा ऊं ि पाए जािेहैं। पर्णपािी वन:- 1. यह वन 100 से200 सेमी . विाावालेक्षेत्रों मेंपायेजािेहैं। येसहयाद्रर्द् के पूवीीढाल, प्रायद्वीप के उत्तर – पूवीीपठार, टहमालय की िलहिी के भाबर और िराई क्षेत्रों िथा उत्तर – पूवीीभारि मेंपायेजािेहैं। 2. येवन ग्रीष्म ऋिुमेंअपनेपत्तेगगरा देिेहैं। येकम घनेहोिेहैं। वृक्षों की ऊाँ चाई अपेक्षाकृ ि कम होिी है। 3. इन वनों की लक़िी कम कठोर होिी है। येवन लगभग पूरेभारि मेंपायेजािेहै।
(3) 05 प्राकृ तिक वनस्पति 4. इन वनों की लक़िी बहुि उपयोगी होिी है। अनूप वन:- 1. भारि के उन क्षेत्रों मेंजहााँजमीन हमेशा जलयुक्त अथवा आर्द्ाहोिी हैवहााँकी प्राकृ तिक वनस्पति को वेलांचली या अनूप वन कहिेहैं। भारि मेंइस िरह की आठ आर्द्ाभूगमयााँहैजो अपनेसघन वनों एवं जैव ववववधिा के ललए ववख्याि हैं। 2. भारि मेंप. बंगाल का सुंदर वन िेल्टा अपनेमैंग्रोव वनों के ललए ववश्व ववख्याि है। इन वनों मेंिाइगर सेलेकर सरीसृप िक ब़िे– छोिेजानवर पायेजािेहैं। 3. पयाावरण संरक्षण, जैवववववधिा एवं प्राकृ तिक वनस्पतियों के संरक्षण के ललयेइन वनों के अम्मस्तत्व की सुरक्षा की आवश्यकिा है। वन क्षेत्र:- येवेक्षेत्र हैंजहां राजस्व ववभाग के अनुसार वन होनेचाटहये। इसके अन्तगाि एक तनलिि क्षेत्र को वन क्षेत्र के रुप मेंअगधसूगचि ककया जािा है। वास्ततवक वन आविर्:- इसके अन्तगाि वह क्षेत्र आिा हैजो वास्तव मेंप्राकृ तिक वनस्पतियों के झुरमुि सेढका होिा है। भारि मेंसन्2001 मेंवास्तववक वन आवरण के वल 20.55 प्रतिशि था। सामाजिक वाननकी का अर्ण:- सामालजक वातनकी का अथाहैपयाावरणीय, सामालजक व ग्रामीण ववकास मेंमदद के उद्देश्य सेवनों के प्रबंधन मेंसमाज की भूगमका िय करना एवं ऊसर भूगम पर वन लगाना। सामाजिक वाननकी:- सामालजक वातनकी शब्दावली का प्रयोग सबसेपहलेराष्ट्रीय कृ द्रि आयोग ने(1976-79 ई 0) में ककया था।