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Nội dung text कक्षा 4 हिंदी (वीणा) पाठ 1- चिड़िया का गीत पुस्तक समाधान (कविता).pdf

कक्षा 4ह िंदी (वीणा) पुस्तक समाधान ©kvsecontent.com पाठ 1- हिहिया का गीत (कहवता) कविता का भाि यह कविता एक प्रार्थना हैविसमेंकवि भगिान सेअच्छेगुणों का िरदान मााँग रहेहैं। कवि चाहतेहैंवक हम फूलों की तरह विलें और सबकेवलए प्रेम और सगुंध वबिेरें। िेअाँधेरेसेलड़नेकी शवि मााँगतेहैंऔर सत्य केमागथपर चलनेकी प्रेरणा देतेहैं। इस कविता मेंमानिीय मूल्यों और अच्छेव्यिहार पर िोर वदया गया है। यह कविता श्री हिलोक हसिं ठकुरेला द्वारा रवचत है। कहठन शब्द शब्द अर्थ वाक्य प्रयोग वर आशीिाथद, िरदान माता-वपता का िर बच्चों को सदा सफल बनाता है। सद्गुण अच्छेगणु सच्चाई और ईमानदारी हमारेिीिन केसद्गणु हैं। परह त दसूरों की भलाई परवहत मेंकाम करनेसेमन को शांवत वमलती है। दीपक दीया दीपक की लौ अाँधेरेको दरूकरती है। तम अंधकार ज्ञान का प्रकाश अज्ञान केतम को वमटा देता है। ज्योहतमथय प्रकाशमय दीपािली पर सारा घर ज्योवतमथय हो िाता है। पाठ 1- कहवता- हिहिया का गीत कविता का भाि इस कविता मेंएक वचवड़या केिीिन केविवभन्न चरणों का िणथन है। शुरू मेंिब िह अंडेमेंर्ी, उसेलगता र्ा वक संसार बहुत छोटा है। वफर िब िह हरी-भरी शािाओंपर वनकली, तब भी उसका संसार सीवमत र्ा। घोंसलेमेंभी उसका संसार छोटा ही र्ा। लेवकन िब िह आसमान मेंउड़ी, तब उसेसमझ आया वक संसार बहुत बड़ा है। यह कविता हमेंवसिाती हैवक िैसे-िैसेहमारे अनभुि बढ़तेहैं, िैसे-िैसेहमारा दृविकोण भी विस्ततृ होता िाता है। यह कविता श्री हनरिंकार देव ‘सेवक’ द्वारा रवचत है। कहठन शब्द शब्द अर्थ िाक्य अिंडे पक्षी का अंडा वचवड़या नेघोंसलेमेंअंडेवदए हैं। आकार रूप, शक्ल गेंद का आकार गोल होता है। शाखों पेड़ की डावलयााँ पक्षी पेड़ की शािों पर बैठकर गातेहैं। सुकुमार कोमल फूल केपत्तेसकुुमार होतेहैं। घोंसला पवक्षयों का घर वचवड़या नेपेड़ पर घोंसला बनाया है। पिंख पसार पंि फै लाकर वचवड़या नेपंि पसार कर उड़ान भरी।


कक्षा 4ह िंदी (वीणा) पुस्तक समाधान ©kvsecontent.com प्रश्न 8. वचवड़या को यह संसार कब-कब छोटा लगा? उत्तर- वचवड़या को संसार तीन बार छोटा लगा- पहलेिब िह अंडेमेंर्ी, वफर िब िह हरी-भरी शािाओंपर वनकली, और तीसरी बार िब उसका घर घोंसला बना। प्रश्न 9. िलुेआकाश मेंउड़तेसमय वचवड़या नेक्या-क्या देिा होगा विससेउसेलगा वक संसार बहुत बड़ा है? उत्तर- िलुेआकाश मेंउड़तेसमय वचवड़या नेहरे-भरेिंगल, विशाल पहाड़, चमकती नवदयााँ, बड़े-बड़ेिेत, गााँि और शहर देिे होंगे। उसनेअन्य पवक्षयों को उड़तेहुए, िानिरों को चलतेहुए और इसं ानों को अपनेकाम मेंव्यस्त देिा होगा। उसनेविशाल आकाश, बादल, और दरू-दरूतक फै ली धरती देिी होगी। इन सबको देिकर उसेसमझ आया होगा वक संसार बहुत बड़ा है। प्रश्न 10. प्रायः सबुह-शाम पवक्षयों की चहचहाहट (कलरि) सनुाई देती है। ऐसा क्यों होता है? उत्तर- पक्षी सबुह-शाम चहचहातेहैंक्योंवक- ▪ सबुह िेअपनेवदन की शरुुआत का स्िागत करतेहैंऔर भोिन की तलाश करनेवनकलतेहैं। ▪ शाम को िेअपनेघोंसलों मेंलौटतेहैंऔर एक-दसूरेको अपनेस्र्ान की िानकारी देतेहैं। ▪ इस समय मौसम भी सहुािना होता हैऔर आिाि दरूतक िाती है। ▪ िेअपनेसावर्यों या पररिार को पकुारतेहैंऔर एक-दसूरेसेसंिाद करतेहैं। प्रश्न 11.िब कोई वशशुवचवड़या घोंसलेसेबाहर आती हैतो उसेलगता हैवक संसार बहुत बड़ा है। क्या आपको भी घर सेबाहर वनकलतेसमय ऐसा ही अनभु ि होता हैऔर क्यों? उत्तर- हााँ, कभी-कभी मझुेभी ऐसा ही अनभुि होता है। िब मैंपहली बार वकसी नई िगह िाता/िाती ह , ाँ तो िह बहुत बड़ी और अनिान लगती है। िैसेिब मैंपहली बार बड़ेशहर गया/गई, तो ऊाँ ची-ऊाँ ची इमारतेंऔर भीड़-भरी सड़केंदेिकर आश्चयथ हुआ। यह अनभुि हमेंनया सीिनेका मौका देता हैऔर हमारी दवुनया को बढ़ाता है, ठीक िैसेही िैसेवचवड़या का अनभुि बढ़ता है।

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