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फतेहपुर इततहास तिले के नाम की उत्पति जिले का नाम मुख्यालय फतेहपुर के नाम रखा गया है। स्थानीय परंपरा के अनुसार यह नाम िौनपुर के इब्राहीम शाह द्वारा अथगजिया के रािा सीतानन्द पर िीती गयी लड़ाई से जलया गया है। यह जिश्वास पूरी तरह से परंपरा पर आधाररत है और जििेता का नाम कभी-कभी बंगाल के शासक िलालुद्दीन के रूप में जलया िाता है। नाम की एक और व्युत्पजि फतेहमंद खान से लगायी िाती है, जिन्होने शहर की स्थापना की थी। यह तहसील खागा में डेण्डासई में पाये गये एक खण्डण्डत जशलालेख से आधाररत है। जिसके जलये सुल्तान अलाउद्दीन के एक अजधकारी फतेहमंद खान ने 1519 ई0 में उनसे एक आदेश प्राप्त जकया था। हालांजक यहाॅ एक कजिनाई इस तथ्य के कारण है जक 1519 ई0 में अलाउद्दीन नाम का कोई रािा नही था और तारीख सही होने पर सुल्तान का शीर्षक गलत होना। पुनः डेण्डासई फतेहपुर से लगभग 48 जकमी0 से कम नही है। यह फतेहपुर शहर के संस्थापक के नाम के साथ िहाॅ पाये गये अजभलेख को िोड़ने के जलये बहुत दू र प्रतीत होता है। स्थान, सीमायें, क्षेत्र एवं िनसंख्या प्रयागराि (इलाहाबाद) मण्डल मे शाजमल यह जिला गंगा -यमुना दोआब के पूिी या जनचले जहस्से में ण्डस्थत है और अक्ांश 25°26′ N एिं 26°16′ N और देशान्तर 80°14′ E एिं 81°20′ E के बीच ण्डस्थत है। यह उिर -पजिम मेॅे कानपुर नगर और दजक्ण-पूिष में जिला इलाहाबाद/प्रयागराि से जिरा है। गंगा के पार उिर में उन्नाि,रायबरेली जिले और थोड़ी दू र तक प्रतापगढ़ जिला पड़ता है। िबजक दजक्ण मेॅे यमुना नदी इसे बांदा और हमीरपुर जिलो से अलग करती है। आकार में यह लगभग आयताकार है। िनगणना 2011 के अनुसार जिले का क्ेत्रफल 406499 िगष जकमी0 है और 2011 की िनगणना के अनुसार जिले की िनसंख्या 2632733 है जिसमे 1248011 मजहलायें एिं 1384722 पुरूर् हैं। प्रशासतनक इकाई के रूप में तिले का इततहास परंपरा के अनुसार जिले का एक बड़ा जहस्सा अगषल के रािाओं के कब्जे में था और कन्नौि साम्राज्य का जहस्सा था। प्रारण्डिक मुण्डिम काल के दौरान इसे कोड़ा प्रान्त में शाजमल जकया गया था और 15िीं शताब्दी में िौनपुर के अल्पकाजलक राज्य का जहस्सा बना था। अकबर के तहत जिले का पजिमी आधा जहस्सा के सरकार का जहस्सा था, िबजक पूिी आधा कड़ा में शाजमल था। जदल्ली राििंश की क्रजमक जगरािट के दौरान फतेहपुर को अिध के राज्यपाल को सौंपा गया था लेजकन 1736 ई0 में यह मरािों के अधीन हो गया जिन्होने 1750 ई0 तक फतेहपुर पर कब्जा रखा। जिसे फतेहपुर के पिानो द्वारा पुनः प्राप्त कर जलया गया। तीन साल बाद सफदरिंग द्वारा पुनः जििय प्राप्त कर जलया गया और 1801 ई0 में इसे अंग्रेिो को सौंप जदया गया। बावनी इमली यह स्मारक स्वतंत्रता सेनाजनयों द्वारा बजलदानों का प्रतीक है 28 अप्रैल, 1858 को, जब्रजटश सेना ने “इमली” पेड़ पर बािन स्वतंत्रता सेनाजनयों को फांसी दी थी। “इमली” पेड़ अभी भी मौिूद है,
जहन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृजिकताष ब्रह्मा ने सृजि कायष पूणष होने के बाद प्रथम यज्ञ जकया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अथाषत यज्ञ से जमलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा िहााँ भगिान श्री ब्रम्हा िी ने सृजि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न जकया था। इस पािन नगरी के अजधष्ठाता भगिान श्री जिष्णु स्वयं हैं और िे यहााँ माधि रूप में जिरािमान हैं। भगिान के यहााँ बारह स्वरूप जिध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधि कहा िाता है। सबसे बड़े जहन्दू सम्मेलन महाकुं भ की चार स्थजलयों में से एक है, शेर् तीन हररद्वार, उज्जैन एिं नाजसक हैं। जहन्दू धमषग्रन्ों में िजणषत प्रयाग स्थल पजित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर ण्डस्थत है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में जमलती है, अतः ये जत्रिेणी संगम कहलाता है, िहां प्रत्येक बारह िर्ष में कुं भ मेला लगता है। प्रयाग सोम, िरूण तथा प्रिापजत की िन्मस्थली है। प्रयाग का िणषन िैजदक तथा बौद्ध शास्त्ों के पौराजणक पात्रों के सन्दभष में भी रहा है। यह महान ऋजर् भारद्वाि, ऋजर् दुिाषसा तथा ऋजर् पन्ना की ज्ञानस्थली थी। ऋजर् भारद्वाि यहां लगभग 5000 ई०पू० में जनिास करते हुए 10000 से अजधक जशष्ों को पढ़ाया। िह प्राचीन जिश्व के महान दाशषजनक थें। ितषमान झूंसी क्ेत्र, िो जक संगम के बहुत करीब है, चंद्रिंशी (चंद्र के िंशि) रािा पुरुरि का राज्य था। पास का कौशाम्बी क्ेत्र ित्स और मौयष शासन के दौरान समृण्डद्ध से उभर रहा था। 643 ई० में चीनी यात्री हुआन त्सांग ने पाया जक कई जहंदुओं द्वारा प्रयाग का जनिास जकया िाता था िो इस िगह को अजत पजित्र मानते थे। o 1575 ई० — संगम के सामररक महत्व से प्रभाजित होकर सम्राट अकबर ने “इलाहाबास” (ितषमान में प्रयागराि) के नाम से शहर की स्थापना की जिसका अथष “अल्लाह का शहर” है। मध्ययुगीन भारत में शहर का सम्मान भारत के धाजमषक-सांस्कृ जतक कें द्र के तौर पर था। एक लंबे समय के जलए यह मुगलों की प्रांतीय रािधानी थी जिसे बाद में मरािाओं द्वारा कब्जा कर जलया गया था। o 1801 ई० — शहर का जब्रजटश इजतहास इस िर्ष शुरू हुआ िब अिध के निाब ने इसे जब्रजटश शासन को सौंप जदया। जब्रजटश सेना ने अपने सैन्य उद्देश्ों के जलए जकले का इिेमाल जकया। o 1857 ई० — यह शहर आिादी के युद्ध का कें द्र था और बाद में अंग्रेिों के ण्डखलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की गढ़ बन गया। o 1858 ई० — आिादी के प्रथम संग्राम 1857 के पिात ईस्ट इंजडया कं पनी ने जमंटो पाकष में आजधकाररक तौर पर भारत को जब्रजटश सरकार को सौंप जदया था। इसके बाद शहर का नाम इलाहाबाद रखा गया तथा इसे आगरा-अिध संयुि प्रांत की रािधानी बना जदया गया। o 1868 ई० — प्रयागराि न्याय का गढ़ बना िब इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना हुई। o 1871 ई० — जब्रजटश िािुकार सर जिजलयम ईमरसन ने कोलकाता में जिक्टोररया मेमोररयल जडिाइन करने से तीस साल पहले आल सैंट कै थेडर ल के रूप में एक भव्य स्मारक की स्थापना की।