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Audit 11.1 CH 11 ETHICS AND TERMS OF AUDIT ENGAGEMENTS नैति कता का अर्थ Meaning Of Ethics मन की एक अवस्था "नैति कता " शब्द का अर्थ नैति क सि द्धां तद्धां है जो कि सी व्यक्ति के व्यवहा र या उसकी गति वि धि के संचा लन को नि यंत्रि त करता है । यह ज्ञा न की वह शा खा है जो नैति क सि द्धां तोंद्धां तों से संबंधि त है । नैति कता एक ऐसी ची ज़ है जो व्यक्ति से आंतरि क रूप से आती है । इसे व्यक्ति की आदत और स्वभा व में शा मि ल करना हो गा , ता कि नैति कता की समग्र संस्कृति वि कसि त हो ; कि सी भी स्वा र्थी मकसद या प्रलो भन का सा मना करने के लि ए बल को पर्या प्त मजबूतबू हो ना चा हि ए । यह नैति क सि द्धां तोंद्धां तों के अनुसा र का र्य करने और प्रदर्शन करने की मन की स्थि ति है । नैति कता मा नव आचरण में नैति कता का वि ज्ञा न है । ऐसे नैति क सि द्धां तद्धां और आचरण के नि यम व्यक्ति यों पर दा यि त्व थो पते हैंIहैं पेशेपे वशे र नैति कता की आवश्यकता का नून, चि कि त्सा जैसे व्यवसा यों की अपनी आचा र संहि ता हो ती है ऑडि टिं ग पेशा को ई अपवा द नहीं है.है बल्कि ऑडि टिं ग के पेशे में नैति कता की आवश्यकता कई गुनागु ना है.है इसका का रण यह है कि आम तौ र पर समा ज, सरका रों ,रों ग्रा हकों ,कों कर अधि का रि यों ,यों कर्मचा रि यों ,यों नि वेशकों ,कों वि शेष रूप से व्या पा र और वि त्ती य समुदामुदाय ने चा र्टर्ड अका उंटेंट द्वा रा प्रदा न की जा ने वा ली सेवा ओं पर जबरदस्त भरो सा जता या है ।आश्वा सन का र्यों का उद्देश्य इच्छि त उपयो गकर्ता ओं का वि श्वा स बढ़ा ना है । इसलि ए, उपयो गकर्ता ओं को उस व्यक्ति पर भरो सा करने की आवश्यकता है जो ऐसी सेवा एं प्रदा न कर रहा है । पेशेपे शेवर नैति कता नैति कता पर आधा रि त है (Professional ethics are based on morality)। मा नव स्वभा व जैसा है,हैमनुष्य अक्सर अपने व्यक्ति गत ला भ को सेवा से ऊपर रखता है । इसलि ए, जो व्यक्ति व्यक्ति गत रूप से और एक वर्ग के रूप में,मेंसा र्वजनि क हि त को अपने व्यक्ति गत ला भ से ऊपर रखने के इच्छुक हैं,हैंउन्हों नेन्हों नेसम्मा न और सम्मा न का आनंद लि या है । लेकि न इस तरह के रि श्ते को केवल तभी बना ए रखा या बढ़ा या जा सकता है,है जब जि स पेशेवर नि का य से वे जुड़े हैं,हैंवह सा र्वजर्व नि क हि त की अवधा रणा की यथा संभव व्या पक रूप से व्या ख्या करेगा । कि सी पेशेपे शेको प्रा प्त सम्मा न और वि श्वा स का फी हद तक उस कठो रता और ईमा नदा री पर नि र्भर करता है जि सके सा थ आत्म-अनुशा सन द्वा रा ऐसी नैति कता का पा लन कि या जा ता है।है अका उंटेंसी पेशेपे शेकी एक वि शि ष्ट वि शेषशे ता सा र्वजर्व नि क हि त में का र्य करने की जि म्मेदा री को स्वी का र करना है । पेशेपे वशे र नैति कता समग्र रूप से पेशेपे शेके हि तों की रक्षा करना चा हती है और एक ढा ल के रूप में का र्य करती है जो हमें सम्मा न पा ने में सक्षम बना ती है । एक चा र्टर्ड अका उंटेंट को , चा हे प्रैक्टिप्रैक्टिस में हो या सेवा में,मेंनैति क व्यवहा र का पा लन करना हो ता है । उनसे अपेक्षा की जा ती है कि वे अपने कर्तव्यों का पा लन करते समय पेशेपे शेवर नैति कता के बुनि या दी सि द्धां तों का पा लन करें । पेशेपे वशे रों के सेवा उपयो गकर्ता ओं को सुरक्षि त महसूस करने में सक्षम हो ना चा हि ए कि पेशेवर नैति कता का एक ढां चा मौ जूद है जो उन सेवा ओं के प्रा वधा न को नि यंत्रि त करता है । इसी भा वना के सा थ इंस्टी ट्यूट ऑफ चा र्टर्ड अका उंटेंट्स ऑफ इंडि या (आईसी एआई) अपने सदस्यों से अपने कर्तव्यों का पा लन करते समय नैति कता के सि द्धां तों का पा लन करने की अपेक्षा करता है । इसलि ए, चा र्टर्ड अका उंटेंट के लि ए नैति कता को संहि ता बद्ध
Audit 11.2 कि या गया है क्यों किक्योंकि नैति क अनुपा लन हमेशा पेशेपे शेका एक दर्शन रहा है । चा र्टर्ड अका उंटेंट, चा हे वह प्रैक्टि स में हों या सेवा में, उन्हें आचा र संहि ता के प्रा वधा नों का पा लन करना आवश्यक है । नैति क जि म्मेदा रि यों से को ई भी वि चलन चा र्टर्ड अका उंटेंट के खि ला फ अनुशा सना त्मक तंत्र को का र्रवा ई में ला ता है जि सके परि णा मस्वरूप जुर्मा ना , सदस्यता का नि लंबन, सदस्यता से नि ष्का सन या अन्य अनुशा सना त्मक का र्रवा ई हो सकती है । सि द्धां तद्धां आधा रि त दृष्टि को ण बना म नि यम आधा रि त दृष्टि को ण नैति कता (नैति क या का नूनी ) Principles Based Approach Vs Rules Based Approach To Ethics (Ethical Or Legal) सि द्धां तद्धां आधा रि त दृष्टि कोण नि यम आधा रि त दृष्टि कोण नैति क मा र्गदर्ग र्शनर्श सि द्धां तद्धां -आधा रि त दृष्टि को ण या नि यम-आधा रि त दृष्टि को ण का पा लन कर सकता है । नैति कता के प्रति सि द्धां तद्धां -आधा रि त दृष्टि को ण का सा र यह है कि इसमें नैति कता की भा वना के अनुपा लन की आवश्यकता हो ती है । इसमें अका उंटेंट्स को अपने पेशेपे वशे र ज्ञा न, कौ शल और वि शेषशे ज्ञता के आधा र पर हर स्थि ति में पेशेवशे र नि र्णयर्ण लेने की आवश्यकता हो ती है । इसके लि ए आवश्यक है कि लेखा का रों को नि ष्कर्ष पर पहुंचहुं ने के लि ए हर स्थि ति का मूल्यांमू ल्यांकल्यां न करने के लि ए पेशेपे शेवर नि र्णय का उपयो ग करना चा हि ए । नैति कता के लि ए नि यम-आधा रि त दृष्टि को ण स्पष्ट रूप से स्था पि त नि यमों का सख्ती से पा लन करता है । इससे संकी र्ण दृष्टि को ण पैदा हो सकता है और नि यमों का सख्ती से पा लन करते समय नैति कता की भा वना की अनदेखी हो सकती है । इसके अला वा , नि यम-आधा रि त दृष्टि को ण कुछ हद तक कठो र है क्यों किक्योंकि नि यमों पर नि र्भर हो कर हर व्या वहा रि क स्थि ति से नि पटना संभव नहीं हो सकता है । अत: यह आवश्यक है कि संहि ता की भा वना का पा लन कि या जा ये । व्या वसा यि क नैति कता के मौ लि क सि द्धां तद्धां नैति कता के मूलमू भूत सि द्धां तद्धां एक पेशेपे शेवर एका उंटेंट से अपेक्षि त व्यवहा र के मा नक स्था पि त करते हैं । एक पेशेवर लेखा का र प्रत्येक मूलमू भूत सि द्धां तद्धां का अनुपा लन करेगा । व्या वसा यि क नैति कता के मूलमू सि द्धां तद्धां इस प्रका र हैं:हैं- 1. अखंडता 2. नि ष्पक्षता वा द 3. व्या वसा यि क यो ग्यता और उचि त देखभा ल 4. गो पनी यता 5. व्या वसा यि क व्यवहा र
Audit 11.3 1. सत्यनि ष्ठा Integrity: एक पेशेपे वशे र अका उंटेंट को सत्यनि ष्ठा के सि द्धां त का पा लन करना हो गा , जि सके लि ए अका उंटेंट को सभी पेशेवर और व्या वसा यि क संबंधों में सी धा और ईमा नदा र हो ना आवश्यक है । सत्यनि ष्ठा का ता त्पर्य नि ष्पक्ष व्यवहा र और सच्चा ई से है । एक पेशेपे वशे र अका उंटेंट को जा नबूझबू कर रि पो र्ट, रि टर्न, संचा र या अन्य जा नका री से संबद्ध नहीं हो ना चा हि ए, जहां अका उंटेंट का मा नना है कि जा नका री में वा स्तव में गलत या भ्रा मक बया न है;हैइसमें ला परवा ही से प्रदा न कि ए गए कथन या जा नका री शा मि ल है या आवश्यक जा नका री को छो ड़ दि या गया है या अस्पष्ट कर दि या गया है,हैजहां ऐसी चूक या अस्पष्टता भ्रा मक हो गी । 2. वस्तुनिस्तुनिष्ठता Objectivity: नि ष्पक्षता के सि द्धां तद्धां के लि ए एक ऑडि टर से अपेक्षा की जा ती है कि वह पूर्वा ग्रह, हि तों के टकरा व या दूसरों के अनुचि त प्रभा व के का रण पेशेपे वशे र नि र्णयर्ण से समझौ ता न करे । इसके लि ए आवश्यक है कि एक पेशेपे वशे र अका उंटेंट को को ई पेशेवर गति वि धि नहीं करनी चा हि ए यदि को ई परि स्थि ति या संबंध उस गति वि धि के संबंध में अका उंटेंट के पेशेपे शेवर नि र्णय को अनुचि त रूप से प्रभा वि त करता है । 3. व्या वसा यि क यो ग्यता और उचि त देखभा ल Professional Competence and Due Care: एक पेशेपे वशे र अका उंटेंट को पेशेपे शेवर क्षमता और उचि त देखभा ल के सि द्धां त का पा लन करना हो गा , जि सके लि ए एक अका उंटेंट को आवश्यक स्तर पर पेशेपे शेवर ज्ञा न और कौ शल प्रा प्त करने और बना ए रखने की आवश्यकता हो ती है ता कि यह सुनि श्चि त कि या जा सके कि एक ग्रा हक या नि यो क्ता संगठन को वर्तमा न तकनी की और पेशेवर के आधा र पर सक्षम पेशेवर सेवा प्रा प्त हो । मा नक और प्रा संगि क का नून; और लगन से और ला गू तकनी की और व्या वसा यि क मा नकों के अनुसा र का र्य करें । परि श्रम में कि सी असा इनमेंटमें की आवश्यकता ओं के अनुसा र सा वधा नी पूर्वक, पूरी तरह से और समय पर का र्य करने की जि म्मेदा री शा मि ल है । 4. गो पनी यता Confidentiality गो पनी यता सि द्धां तद्धां के लि ए एक पेशेपे वशे र एका उंटेंट को पेशेपे शेवर या व्या वसा यि क संबंधों के परि णा मस्वरूप प्रा प्त जा नका री की गो पनी यता का सम्मा न करने की आवश्यकता हो ती है । गो पनी यता सा र्वजर्व नि क हि त में का म करती है क्यों किक्योंकि यह पेशेवर अका उंटेंट के ग्रा हक या नि यो क्ता संगठन से अका उंटेंट तक जा नका री के मुक्तमु प्रवा ह की सुवि धा प्रदा न करती है,हैइस समझ के सा थ कि जा नका री कि सी ती सरे पक्ष को प्रकट नहीं की जा एगी । हा लाँ किलाँकि, ऐसी गो पनी य जा नका री का खुलाखु लासा कि या जा सकता है,है उदा हरण के लि ए, जब यह का नून द्वा रा आवश्यक हो , जब यह का नून द्वा रा अनुमति दी गई हो और ग्रा हक या नि यो क्ता द्वा रा अधि कृत हो या जब का नून द्वा रा नि षि द्ध न हो तो खुलाखु लासा करने का को ई पेशेवर कर्तव्य या अधि का र हो । 5. व्या वसा यि क व्यवहा र Professional Behaviour: इसके लि ए अका उंटेंट को प्रा संगि क का नूनों और वि नि यमों का पा लन करना हो गा और ऐसे कि सी भी आचरण से बचना हो गा जि सके बा रे में अका उंटेंट को पता हो या पता हो ना चा हि ए कि इससे उसके पेशेपे शेको बदना म कि या जा सकता है । एक पेशेपे वशे र एका उंटेंट जा नबूझबू कर कि सी भी रो जगा र, व्यवसा य या गति वि धि में शा मि ल नहीं हो गा जो पेशे की अखंडता , नि ष्पक्षता या अच्छी प्रति ष्ठा को ख़रा ब करता है या ख़रा ब कर सकता है,हैऔर परि णा मस्वरूप मौ लि क सि द्धां तों के सा थ असंगत हो गा ।
Audit 11.4 लेखा परी क्षकों की स्वतंत्रता व्या वसा यि क अखंडता और स्वतंत्रता सभी व्यवसा यों की आवश्यक वि शेषता एँ हैं,हैंलेकि न अका उंटेंसी पेशे के मा मले में ऐसा और भी अधि क है । स्वतंत्रता का अर्थ है कि कि सी व्यक्ति का नि र्णय कि सी अन्य व्यक्ति की इच्छाओं या नि र्देशों के अधी न नहीं है,हैजि सने उससे का म लि या हो , या उसके अपने स्वा र्थ के अधी न नहीं है लेखा परी क्षकों की स्वतंत्रता के दो परस्पर जुड़े हुए दृष्टि को ण हैं,हैंएक, मन की स्वतंत्रता और दो , प्रकटन में स्वतंत्रता । स्वतंत्रता है:है मन की स्वतंत्रता मन की वह स्थि ति जो पेशेपे शेवर नि र्णयर्ण से समझौ ता करने वा ले प्रभा वों से प्रभा वि त हुए बि ना एक रा य के प्रा वधा न की अनुमति देती है,है जि ससे व्यक्ति को ईमा नदा री के सा थ का र्य करने और नि ष्पक्षता और पेशेवर संदेह का अभ्या स करने की अनुमति मि लती है;हैऔर प्रकटन में आज़ा दी उन तथ्यों और परि स्थि ति यों से बचना जो इतने महत्वपूर्णपू र्णहैं कि एक उचि त और सूचि त तृती य पक्ष, जि सके पा स ला गू कि ए गए कि सी भी सुरक्षा उपा यों सहि त सभी प्रा संगि क जा नका री का ज्ञा न है,है उचि त रूप से यह नि ष्कर्ष नि का लेगा कि कि सी फर्म या आश्वा सन टी म के सदस्य की अखंडता , नि ष्पक्षता या पेशेवर संदेह से समझौ ता कि या गया है । लेखा परी क्षक की स्वतंत्रता न केवल वा स्तव में अस्ति त्व में है,हैबल्कि सभी उचि त व्यक्ति यों के लि ए भी अस्ति त्व में है । ऑडि टर और उसके ग्रा हक के बी च संबंध ऐसा हो ना चा हि ए कि ● एक तो वह स्वयं अपनी स्वतंत्रता से संतुष्ट है और दूसरे, ● कि सी भी नि ष्पक्ष व्यक्ति को इस नि ष्कर्ष पर पहुंचहुं ने के लि ए मजबूरबू नहीं कि या जा एगा कि , परि स्थि ति यों के वस्तुनि ष्ठ मूल्यांमू ल्यांकल्यां न पर, लेखा परी क्षकों की स्वतंत्रता में कमी हो ने की संभा वना है । वि त्ती य वि वरणों के उपयो गकर्ता ओं को वि श्वा स प्रदा न करने के संदर्भ में एक लेखा परी क्षक की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण हो जा ती है । उदा हरण के लि ए, कि सी सूची बद्ध कंपनी के वैधा नि क लेखा परी क्षक के रूप में, चा र्टर्ड अका उंटेंट को ई भी उपयो गी का र्य करना बंद कर देगा यदि कंपनी के खा तों पर भरो सा करने वा ले व्यक्ति यों को चा र्टर्ड अका उंटेंट की स्वतंत्रता और अखंडता में को ई वि श्वा स नहीं है । ऐसे मा मलों में,मेंउससे अपेक्षापे क्षा की जा ती है कि वह अपने दृष्टि को ण में वस्तुनि ष्ठ हो , नि डर हो और का म के प्रदर्शन के आधा र पर एक ईमा नदा र रा य व्यक्त करने में सक्षम हो जैसे कि उसका प्रशि क्षण और अनुभव उसे ऐसा करने में सक्षम बना ता है । स्वतंत्रता व्यक्ति की मा नसि क स्थि ति और चरि त्र पर नि र्भर है और यह एक बहुत ही व्यक्ति परक मा मला है । एक व्यक्ति कि सी वि शेषशे परि स्थि ति में स्वतंत्र हो सकता है,है जबकि दूसरा व्यक्ति महसूस कर सकता है कि वह समा न परि स्थि ति यों में स्वतंत्र नहीं है । इसलि ए यह प्रत्येकत्ये चा र्टर्ड अका उंटेंट का कर्तव्य है कि वह स्वयं यह नि र्धा रि त करे कि वह कि सी मा मले की दी गई परि स्थि ति यों में का नूनी नि यमों से बि ल्कुल अलग हो कर स्वतंत्र रूप से का र्य कर सकता है या नहीं ,हीं कि सी भी स्थि ति में खुद को ऐसी स्थि ति में न रखें जि ससे उसकी स्वतंत्रता से समझौ ता हो ।

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