Content text 10. मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार.pdf
(2) पक्ष्िामी पेविर्ां:- अझभनेत्र लैंस की वक्रता को झनयंझत्रत करती है। अझभनेत्र लैंस की वक्रता मेंपररवततन होनेपर इसकी फोकस दर ू ी भी पररवझततत हो िातीहैताझक हम वस्त ु का स्पष्ट प्रझतझबबं देख सकें । रेटीना :- यह एक कोमल सक्ष्ू म झिल्ली हैझिसमेंप्रकार्श सग्र ु ाही कोझर्शकाएंअझिक संख्या मेंपाई िाती हैं। प्रदीप्तहोनेपर प्रकार्श सग्र ु ाही कोझर्शकाएँसझक्रय हो िातीहैंतथा झवद्यत ु झसग्नल पैदा करतीहैं। येझसग्नल दृक्तंझत्रकाओंद्वारा मझस्तष्क तक पह चँ ा झदए िातेहैं। मझस्तष्क इनझसग्नलों की व्याख्या करताहैऔरहम वस्तओ ु ंको देख पातेहैं। द ू र व ंद ु :- वहदर ू तम झबंद ु झिस तक कोईनेत्र वस्तओ ु ंको सस् ु पष्टदेख सकताहै, नेत्र कादर ू झबंद ु कहलाता है। सामान्य नेत्र केझलए यह अनंत दर ू ी परहोता है।
(3) वनकट व दं ु :- वह न्यन ू तम दर ू ी झिस पर रखी कोई वस्त ु झबना तनाव केअत्यझिक स्पष्ट देखी िा सकती है, उसेनेत्र का झनकट झबंद ू कहतेहैं। समंजन क्षमता :- अझभनेत्र लेंस की वह क्षमता झिसकेकारण वह अपनी फोकस दर ू ी को समायोझित कर लेता हैसमंिन कहलाती है। स ु स्पष्ट दृवष्ट की न्र् ू नतम द ू री :- झकसी सामान्य दृझष्ट केकारण वयस्क केझलएझनकटझबंद ू आँख सेलगभग 25cm की दर ू ी परहोताहै। इसेसस् ु पष्टदृझष्ट की न्यन ू तम दर ू ी भी कहतेहैं दृवष्ट दोष तथा उनका संिोधन :- मोवतर्ाव ंद :- • अझिक उम्र केक ु छ व्यझक्तयों केनेत्र का झक्रस्टलीय लेंस दझ ू िया तथा िँि ु लाहो िाताहै। इस झस्थझत को मोझतयाझबंद कहतेहैं। इसकेकारण नेत्र की दृझष्ट मेंकमी या पण ू तरूप सेदृझष्ट क्षय हो िाती है। • मोझतयाझबंद की र्शल्य झचझकत्सा केबाद दृझष्ट का वापस लौटना सभं व होता है। वनकट–दृवष्ट दोष :-इस दोष मेंव्यझक्त झनकटरखी वस्तओ ु ंको तोस्पष्टदेख सकताहैपरंत ु दर ू रखी वस्तओ ु ं को वह सस् ु पष्ट नहीं देख पाता। ऐसेदोषयक्त ु व्यझक्त का दर ू– झबंद ु अनंत पर न होकर नेत्र केपास आ िाता है।