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विज्ञान अध्याय-11: हमारेचारों ओर िायु
(1) हमारे चारों ओर वाय ु 11 िायु:- वायुगैसों का मिश्रण होती है। जिसिेंनाइट्रोिन 78% , ऑक्सीिन 21%, ऑगगन 0.9% और अन्य गैसे0.1 प्रततशत होती है। इस प्रकार हि कह सकतेहैंकक वायुगैसों के 100% मिश्रण सेबनती है। जिसका कोई भी रंग नह ंहोता और यह सभी किशाओंिेंअपना प्रभाव डालती है। वायुके तबना पृथ्वी पर िीवन संभव नह ंहै। सभी िीवों ,पौधों इत्याकि को िीववत रहनेके जलए कई चीिों की आवश्यकता होती हैजिसिेंसेवायुभी िुख्य है। वायुगंधह न ,स्वािह न तथा रंगह न होती है। वायुहिारेचारों ओर हर िगह होती है। हि वायु को नह ंिेख सकतेलेककन हि वायुकी उपस्थितत को िहसूस कर सकतेहैं। िब वायुबहती हैतो हि उसेअपनेशर र पर ,पेड़ों की पजियों पर और अन्य िगह िहसूस कर सकतेहैं। हिार पूर
(2) हमारे चारों ओर वाय ु 11 पृथ्वी वायुके आवरण सेढकी रहती हैजिसेवायुिण्डल (Atmosphere) कहतेहैं। वायुएक सवागमधक िहत्वपूणगप्राकृ ततक संसाधन है। यह सिस्त िीववत प्राजणयों की श्वसन प्रकिया के जलए आवश्यक है। ईंधन िैसे-लकड़ी ,कोयला आकि को िलनेके जलए भी वायुकी आवश्यकता होती है। िायुमंडल:- पृथ्वी के चारों ओर सेघिरेहुए वायुके ववस्तृत फै लाव को वायुिंडल कहतेहैं। वायुिंडल हिारे पृथ्वी का एक अमभन्न अंग है। िो पृथ्वी के गुरूत्वाकर्गण कारण पृथ्वी सेिुड़ा हुआ है। वायुिीवन के जलए एक िहत्वपूणगभाग है। वायुके तबना कोई भी िीव िीववत नह ं रह सकता।