PDF Google Drive Downloader v1.1


Report a problem

Content text CH 9 AUDIT

Audit 9.1 CH 9 SPECIAL FEATURES OFAUDIT OFDIFFERENT TYPES OF ENTITIES
Audit 9.2 GOVERNMENT AUDIT Background संसद और रा ज्यों के मा मले में,मेंरा ज्य वि धा नमंडल अनुदा न की मां ग पर जो र देकर सभी सरका री व्यय को नि यंत्रि त करते हैं । इस नि यंत्रण में अंतर्नि हि त मुख्यमु वि चा र यह है कि को ई भी व्यय तब तक नहीं कि या जा सकता जब तक कि उस पर संसद या रा ज्य वि धा नमंडलों द्वा रा मतदा न न कि या गया हो और ऐसे प्रत्येक व्यय के लि ए धन भा रत या रा ज्य की समेकि त नि धि से प्रदा न कि या जा ना चा हि ए । व्यय कि ए जा ने और खा ते बंद हो ने के बा द, वि नि यो ग खा ते तैया र कि ए जा ते हैं जि नकी लो क लेखा समि ति (Public Accounts Committee) द्वा रा जां चजां की जा ती है । सरका री लेखा परी क्षा ने न केवल सरका री लेन-देन की आवश्यकता ओं के अनुरूप पेशेपे शेमें ज्ञा त और प्रचलि त लेखा परी क्षा के बुनि या दी सि द्धां तोंद्धां तों को अपना या है बल्कि लेखा परी क्षा पेशे में नई अवधा रणा एँ, तकनी कें और प्रक्रि या एँ भी जो ड़ी हैं । सरका री लेखा परी क्षा और वि का सशी ल देशों पर U.N. Handbook में सरका री लेखा परी क्षा को व्या पक रूप से परि भा षि त कि या गया है,है जो इस प्रका र है:है सरका री लेखा परी क्षा (Government auditing), ● कि सी सा र्वजर्व नि क इका ई के वि त्ती य, प्रशा सनि क और अन्य का र्यों की वस्तुनि ष्ठ, व्यवस्थि त, पेशेवर और स्वतंत्र जां च है,है ● जो उनके नि ष्पा दन के बा द उनके मूल्यांमू ल्यांकल्यां न और सत्या पन के उद्देश्य से की जा ती है,है ● लेखा परी क्षा नि ष्कर्षों पर व्या ख्या त्मक टि प्पणि यों के सा थ-सा थ ● जि म्मेदा र अधि का रि यों द्वा रा भवि ष्य की का र्रवा इयों के लि ए नि ष्कर्ष और सि फा रि शें युक्त एक रि पो र्ट प्रस्तुत की जा ती है और ● वि त्ती य वि वरणों की जां च के मा मले में, प्रस्तुति की नि ष्पक्षता के संबंध में उचि त पेशेवर रा य व्यक्त की जा ती है । OBJECTIVES : (उद्देश्य) (क) सा र्वजर्व नि क नि धि यों का लेखा -जो खा :- सरका री लेखा -परी क्षा सरका री नि धि यों के सा र्वजर्व नि क लेखा -जो खा के लि ए एक तंत्र या प्रक्रि या के रूप में का र्य करती है । (ख) सरका री नी ति यों का मूल्यांमू ल्यांकन:- यह सा र्वजर्व नि क प्रशा सन के परि चा लन, प्रबंधन, का र्यक्रम और नी ति गत पहलुओं के सा थ-सा थ उन्हें प्रशा सि त करने वा ले अधि का रि यों की जवा बदेही का सा र्वजर्व नि क लेखा -जो खा भी प्रदा न करता है । (ग) सुधा रा त्मक का र्रवा इयों के लि ए आधा र:- तथ्या त्मक डेटा संग्रह पर आधा रि त लेखा -परी क्षा अवलो कन नि चले पदा नुक्रम की खा मि यों को उजा गर करने का भी का म करते हैं,हैंजि ससे पर्यवेक्षीवे क्षी स्तर के अधि का रि यों को सुधा रा त्मक उपा य करने में मदद मि लती है । प्रशा सनि क जवा बदेही :- Administrative accountability सरका री लेखा परी क्षा न तो जां चजां एजेंसी के रूप में का र्य करने के लि ए सुसज्जि त है और न ही इसका उद्देश्य हर अनि यमि तता या दुरादुराचा र को उसके ता र्कि क नि ष्कर्ष तक ले जा ना है । लेखा परी क्षा का मुख्यमु उद्देश्य प्रशा सन की वि धा यि का के प्रति जवा बदेही सुनि श्चि त करना और प्रशा सन के लि ए सहा यता के रूप में का र्य करना है । भा रत में,मेंसरका री लेखा परी क्षा का का र्य भा रती य लेखा परी क्षा और लेखा वि भा ग की एजेंसी के मा ध्यम से नि यंत्रक और महा लेखा परी क्षक के स्वतंत्र वैधा नि क प्रा धि करण द्वा रा कि या जा ता है ।
Audit 9.3 का र्यपा लि का की संसद के प्रति और व्यय एजेंसि यों के का र्यपा लि का ओं के भी तर मंजूरी देने वा ले या नि यंत्रण करने वा ले अधि का रि यों के प्रति जवा बदेही सुनि श्चि त करने के लि ए लेखा परी क्षा एक आवश्यक का र्य है । लेखा परी क्षा के उद्देश्य या लक्ष्यों को सा र्वजनि क जवा बदेही की कसौ टी पर परखा जा ना चा हि ए । नि यंत्रक और महा लेखा परी क्षक (C&AG), अपने का र्यों के नि र्वहर्व न में,मेंयह देखता है कि वि त्ती य मा मलों के संबंध में वि भि न्न प्रा धि करण संवि धा न और संसद द्वा रा बना ए गए का नूनों के अनुसा र का र्य करते हैं,हैंऔर उसके तहत बना ए गए नि यमों या आदेशों का पा लन करते हैं । Legal Framework and Comptroller & Auditor General का नूनी ढां चाढां चा और नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक भा रत के संवि धा न में C&AG की नि युक्ति , वेतवे न और कर्तव्यों तथा शक्ति यों के बा रे में वि शि ष्ट प्रा वधा न हैं । 1. नि युक्ति और हटा ना संवि धा न भा रत के C&AG की स्वतंत्रता की गा रंटी देता है,हैयह नि र्धा रि त करके कि उसे भा रत के रा ष्ट्रपति द्वा रा नि युक्त कि या जा एगा और उसे सि द्ध दुर्व्यदु र्व्य हा र या अक्षमता के आधा र पर ही पद से हटा या जा एगा । सर्वो च्च न्या या लय के न्या या धी श के मा मले में, उसे केवल तभी हटा या जा सकता है जब संसद का प्रत्येक सदन उपस्थि त और मतदा न करने वा ले सदस्यों के कम से कम 2/3 बहुमत से ऐसा करने का नि र्णय ले । वेतन और सेवा की अन्य शर्तों को नि र्धा रि त करने के लि ए का नून बना ने के लि ए संसद सक्षम है और उनकी नि युक्ति के बा द उनमें उनके नुकसा न के लि ए बदला व नहीं कि या जा सकता है । संवि धा न आगे यह भी प्रा वधा न करता है कि भा रती य लेखा परी क्षा और लेखा वि भा ग में सेवा रत व्यक्ति की सेवा की शर्तें और C&AG की प्रशा सनि क शक्ति याँ रा ष्ट्रपति द्वा रा उनके परा मर्श के बा द नि र्धा रि त की जा एँगी । 2. का र्यका ल संवि धा न के प्रा वधा नों के अनुसरण में पा रि त नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक (कर्तव्य, शक्ति यां और सेवा की शर्तें) अधि नि यम, 1971 में का र्या लय का एक नि श्चि त का र्यका ल नि र्धा रि त कि या गया है,हैजि समें यह नि र्धा रि त कि या गया है कि उसे उच्चतम न्या या लय के न्या या धी श के वेतवे न के बरा बर वेतन दि या जा एगा , जि ससे उसकी स्वतंत्रता और मजबूत हो गी । 3. वि भि न्न संवैधावै धानि क प्रा वधा न a. अनुच्छेद 149 में कहा गया है कि C&AG संघ और रा ज्यों तथा कि सी अन्य प्रा धि करण या नि का य के खा तों के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पा लन करेगा और ऐसी शक्ति यों का प्रयो ग करेगा , जैसा कि संसद द्वा रा बना ए गए कि सी का नून द्वा रा या उसके तहत नि र्धा रि त कि या जा सकता है । नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक (कर्तव्य, शक्ति यां और सेवा की शर्तें) अधि नि यम, 1971 इन का र्यों और शक्ति यों को वि स्ता र से परि भा षि त करता है । b. संवि धा न के अनुच्छेद 150 में यह प्रा वधा न है कि संघ और रा ज्यों के खा तों को ऐसे रूप में रखा जा एगा , जैसा कि रा ष्ट्रपति C&AG की सला ह पर नि र्धा रि त कर सकते हैं । c. अनुच्छेद 151 के अनुसा र संघ/रा ज्य के खा तों से संबंधि त नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक की रि पो र्ट रा ष्ट्रपति /रा ज्यपा ल को प्रस्तुत की जा एगी , जो उन्हें संसद/रा ज्य वि धा नमंडल के सदन के समक्ष रखवा एंगे । Comptroller and Auditor General’s — Duties and Powers नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक के कर्तव्य एवं शक्ति याँ नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक (कर्तव्य, शक्ति याँ एवं सेवा की शर्तें) अधि नि यम, 1971 में का र्यों एवं शक्ति यों को वि स्ता र से परि भा षि त कि या गया है । प्रा संगि क प्रा वधा नों पर नी चे चर्चा की गई है-है नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक के कर्तव्य: (i) संघ एवं रा ज्यों के खा तों का संकलन एवं प्रस्तुतीस्तु तीकरण - नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक संघ एवं प्रत्येकत्ये रा ज्य के खा तों का संकलन करने के लि ए उत्तरदा यी हो गा , जो ऐसे खा तों के रख-रखा व के लि ए उत्तरदा यी को षा गा रों ,रों का र्या लयों या वि भा गों द्वा रा उसके नि यंत्रणा धी न लेखा परी क्षा एवं लेखा का र्या लयों को प्रस्तुत कि ए गए प्रा रंभि क एवं सहा यक खा तों से हो गा । नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक, अपने द्वा रा या [सरका र या उस नि मि त्त उत्तरदा यी
Audit 9.4 कि सी अन्य व्यक्ति द्वा रा ] संकलि त लेखा ओं से प्रत्येक लेखा (अपने द्वा रा संकलि त लेखा ओं की स्थि ति में वि नि यो ग लेखा सहि त) तैया र करेगा , जि समें संघ, प्रत्येक रा ज्य और वि धा न सभा वा ले प्रत्येक संघ रा ज्य क्षेत्र के प्रयो जन के लि ए वा र्षि क प्रा प्ति यां और व्यय संबंधि त शी र्षकोंर्ष कों के अंतर्गतर्ग दर्शा ए जा एंगे, और उन लेखा ओं को रा ष्ट्रपति या कि सी रा ज्य के रा ज्यपा ल या वि धा न सभा वा ले संघ रा ज्य क्षेत्र के प्रशा सक को , जैसा भी मा मला हो , ऐसी ति थि यों को या उससे पूर्वपू र्वप्रस्तुत करेगा , जि से वह संबंधि त सरका र की सहमति से नि र्धा रि त करे । नो ट:- नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक अधि नि यम, 1971 में संघ और रा ज्यों को सूचना देने और सहा यता प्रदा न करने के दा यि त्व से मुक्तमु करने के प्रा वधा न हैं:हैं नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक, जहां तक उन खा तों का संबंध है,हैजि नके संकलन या रखरखा व के लि ए वह उत्तरदा यी है,हैउसे ऐसा करने में समर्थ बना एगा , संघ सरका र, रा ज्य सरका र या वि धा न सभा वा ले संघ शा सि त प्रदेशों की सरका रों को , जैसा भी मा मला हो , ऐसी सूचना देगा , जि सकी उन्हें समय-समय पर आवश्यकता हो और वा र्षि क वि त्ती य वि वरण तैया र करने में ऐसी सहा यता प्रदा न करेगा , जि सकी वे उचि त रूप से मां गमां करें । (ii) लेखा परी क्षा से संबंधि त सा मा न्य प्रा वधा न - नि यंत्रक एवं महा लेखा परी क्षक का यह कर्तव्य हो गा कि - a. भा रत की संचि त नि धि और प्रत्येकत्ये रा ज्य तथा वि धा न सभा वा ले प्रत्येक संघ शा सि त प्रदेश से कि ए गए सभी व्यय का लेखा परी क्षा करे और उस पर रि पो र्ट दे तथा यह पता लगा ए कि खा तों में दि खा ए गए धन का वि तरण वि धि क रूप से उस सेवा या उद्देश्य के लि ए उपलब्ध था या नहीं ,हीं जि सके लि ए उनका उपयो ग या प्रभा र कि या गया है और क्या व्यय उस प्रा धि करण के अनुरूप है,हैजो इसे नि यंत्रि त करता है;है b. संघ और रा ज्यों के आकस्मि क नि धि और लो क लेखा से संबंधि त सभी लेन-देनों की लेखा परी क्षा करना और रि पो र्ट देना ; c. संघ या रा ज्य के कि सी वि भा ग में रखे गए सभी व्या पा र, वि नि र्मा ण और ला भ-हा नि खा तों तथा बैलेंस-शी ट और अन्य सहा यक खा तों की लेखा परी क्षा करना और रि पो र्ट देना । (iii) प्रा प्ति यों और व्यय की लेखा परी क्षा - जहां को ई व्यक्ति या प्रा धि करण भा रत या कि सी रा ज्य या वि धा न सभा वा ले कि सी संघ रा ज्य क्षेत्र की संचि त नि धि से अनुदा न या ऋण द्वा रा पर्या प्त रूप से वि त्तपो षि त है,हैवहां नि यंत्रक और महा लेखा परी क्षक, उस नि का य या प्रा धि करण पर ला गू कि सी का नून के प्रा वधा नों के अधी न रहते हुए, जैसा भी मा मला हो , उस नि का य या प्रा धि करण की सभी प्रा प्ति यों और व्यय की लेखा परी क्षा करेगा और उसके द्वा रा लेखा परी क्षि त प्रा प्ति यों और व्यय पर रि पो र्ट देगा । पर्या प्त रूप से वि त्तपो षि त का अर्थ:र्थ- जहां भा रत या कि सी रा ज्य या वि धा न सभा वा ले कि सी संघ रा ज्य क्षेत्र की संचि त नि धि से कि सी नि का य या प्रा धि करण को एक वि त्ती य वर्ष में दि या गया अनुदा न या ऋण 25 ला ख रुपये से कम नहीं है और ऐसे अनुदा न या ऋण की रा शि उस नि का य या प्रा धि करण के कुल व्यय के 75% से कम नहीं है,है ऐसे नि का य या प्रा धि करण को , इस प्रयो जन के लि ए, ऐसे अनुदा नों या ऋणों द्वा रा पर्या प्त रूप से वि त्तपो षि त मा ना जा एगा , जैसा भी मा मला हो । (iv) अनुदा नों या ऋणों की लेखा परी क्षा - जहां भा रत या कि सी रा ज्य या वि धा न सभा वा ले कि सी संघ रा ज्य क्षेत्र की संचि त नि धि से कि सी वि शि ष्ट प्रयो जन के लि ए को ई अनुदा न या ऋण कि सी प्रा धि करण या नि का य को दि या जा ता है,हैजो वि देशी रा ज्य या अंतर्रा ष्ट्री य संगठन नहीं है,हैवहां नि यंत्रक और महा लेखा परी क्षक उन प्रक्रि या ओं की जां चजां करेगा जि नके द्वा रा मंजूरी देने वा ला प्रा धि करण उन शर्तों की पूर्ति के बा रे में स्वयं को संतुष्ट करता है जि नके अधी न ऐसे अनुदा न या ऋण दि ए गए थे और इस प्रयो जन के लि ए उसे उचि त पूर्व सूचना देने के बा द उस प्रा धि करण या नि का य की पुस्तपु कों और खा तों तक पहुंचहुं का अधि का र हो गा ।

Related document

x
Report download errors
Report content



Download file quality is faulty:
Full name:
Email:
Comment
If you encounter an error, problem, .. or have any questions during the download process, please leave a comment below. Thank you.