Content text Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास.pdf
भूगोल अध्याय-2: पृथ्वी की उत्पत्ति एवं ववकास
(1) 02 पथ् ृ वी की उत्पत्ति एवं त्तवकास पथ् ृ वी:- पथ् ृ वी, जिसे मानव का ननवास स्थान माना िाता है मानव के साथ – साथ समस्त सिीव – ननिीव घटकों का भी ननवास स्थान है। पथ् ृ वी की उत्पत्ति कै से ह ुई ? यह प्रश्न वैज्ञाननकों के लिए सदा से चिन्तन का ववषय रहा है। यह अध्याय पथ् ृ वी ही नहीीं वरन्ब्रहमाींड एवीं इसके सभी खगोिीय वपींडो की ननमााण प्रक्रिया का सींक्षिप्त वववरण प्रस्ततु करता है। इस अध्याय को प्रश्नों के माध्यम से िानना एक नया अन ु भव होगा। पथ् ृ वी के त्तवकास अवस्था (चरण):- 1. प्रारींभ में हमारी पथ् ृ वी िट्टानी गमा तथा ववरान थी। इसका वाय ु मण्डि भी बहु त ही ववरि था, जिसकी रिना हाइड्रोिन तथा हीियम गैसों सेहुई थी। कािाींतर में क ु छ ऐसी घटनाएँघटी, जिनके कारण पथ् ृ वी सु न्दर बन गई और इसपर िि तथा िीवन के लिए अन ु क ू ि पररजस्थनतयों ववकलसत हुई। 2. पथ् ृ वी पर िीवन आि से िगभग 460 करोड़ वषा प ू वा ववकलसत हु आ। पथ् ृ वी की सींरिना परतदार है, जिसमें वाय ु मण्डि की बाहरी सीमा से पथ् ृ वी के के न्र तक प्रत्येक परत की रिना एक – दसू रे सेलभन्न है। कािाींतर में स्थिमण्डि तथा वाय ु मण्डि की रिना हुई। पथ् ृ वी पर िीवन की उत्पवि इसके ननमााण के अजन्तम िरण में हुई। पथ् ृ वी पर वायम ु ण्डल का त्तवकास:- पथ् ृ वी पर वाय ु मण्डि के ववकास की तीन अवस्थाएीं हैं। 1. पहली अवस्था में सौर पवन के कारण हाइड्रोिन व हीलियम पथ् ृ वी से दरू हो गयी। 2. दसू री अवस्था में पथ् ृ वी के ठींडा होने व ववभेदन के दौरान पथ् ृ वी के अींदर से बहु त सी गैसेंव ििवाष्प बाहर ननकिेजिसमेंििवाष्प, नाइट्रोिन, काबान–डाई–आक्साइड, मीथेन व अमोननया अचिक मात्रा में ननकिीीं, क्रकींतुस्वतन्त्र ऑक्सीिन बहु त कम थी। 3. तीसरी अवस्था में पथ् ृ वी पर िगातार ज्वािाम ु खी ववस्फोट हो रहे थेजिसके कारण वाष्प एींव गैसेंबढ़ रही थीीं। यह ििवाष्प सींघननत होकर वषाा के रूप में पररवनतात हु यी जिससे
(2) 02 पथ् ृ वी की उत्पत्ति एवं त्तवकास पथ्वी ृ पर महासागर बने एींव उनमें िीवन ववकलसत हु आ। िीवन ववकलसत होने के पश्िात्सींश्िेषण की प्रक्रिया तीव्र हुई एींव पथ् ृ वी के वाय ु मींडि मेंऑक्सीिन की अचिकता हुई। पथ् ृ वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित प्रारन्म्िक संकल्पनाय: ें- पथ् ृ वी की उत्पवि से सम्बचित प्रमख ु प्रािीन सींकल्पनायें ननम्नलिखखत थी:- 1. नीहाररका पररकल्पना:- इस पररकल्पना के िनक इमैनअ ु ि कान्ट थे। इनके अन ुसार गैस एींव अन्य पदाथो के घ ू मते हु ए बादि से ग्रहों की उत्पवि हुई। 2. लाप्लेस ने इस पररकल्पना में सु िार करते हु ए कहा क्रक घ ू मती हुई नेब ु िा के कोणीय सींवेग बढ़ िाने से नबे ु ि सींक ु चित हो गयी और उसका बाहरी भाग छल्िों के रूप में बाहर ननकिा िो बाद में ग्रहों में पररवनतात हो गया। 3. चेम्बरलेन एवं मोल्टन के अन ुसार सू या के पास से एक अन्य तारा तीव्र गनत सेगि ु रा। जिसके ग ु रूत्वीय बि के कारण सू या की सतह सेलसगार के आकार का एक टु कड़ा अिग हो गया, कािान्तर में उसी टु कड़े से ग्रहों का ननमााण हु आ। पथ् ृ वी के ि ू– वैज्ञाननक कालक्रम का त्तविाजन:- पथ् ृ वी के भ–ू वैज्ञाननक काि िम को वहृत, मध्यम व िघ ुस्तरों में ववभाजित क्रकया गया है िोक्रक इस प्रकार है:- • इयान (Eons) • महाकल्प (Era) • कल्प (Period) • य ु ग (Epoch) इयान सबसे बड़ी और यग ु सबसे छोटी अवचि है। पथ् ृ वी की उत्पवि से अब तक पथ् ृ वी के भ ू – वैज्ञाननक इनतहास को िार इयान में ववभक्त क्रकया गया है। वतामान इयान फे नेरोिॉईक (Phanerozoic) इयान कहिाता है। इस इयान को तीन महाकल्पों में बाींटा गया है।
(3) 02 पथ् ृ वी की उत्पत्ति एवं त्तवकास • प ुरािीवी महाकल्प • मध्य िीवी महाकल्प • नविीवी महाकल्प उक्त महाकल्पों को कल्पों में तथा कल्पों को और छोटी अवचि यग ु ों मे ववभक्त क्रकया गया है। नीहाररका:- नीहाररका या नेब ु िा से तात्पया गैस एवीं ि ू ि तथा अन्य पदाथों के घ ू मते हु ए बादि से है। क्षुद्रग्रह:- सौरमींडि मे बाहयग्रहों एींव पाचथाव ग्रहों के बीि में िाखों छोटे वपींडो की एक पट्टी हैउन्हें िुर ग्रह कहते हैं। वैज्ञाननकों के अनसु ार पथ् ृ वी की आय ु ककतनी है? 4.6 अरब वषा। बबग बगैं ससद्िाधत:- ‘ बबग बैंग लसद्िान्त ‘ ब्रहमाींड की उत्पवि सींबींिी सवामान्य लसद्िान्त है। बबग बैंग लसद्िान्त के अींतगात ब्रहमाींड का ववस्तार ननम्नलिखखत अवस्थाओीं में हु आ है बबग बगैं ससद्िाधत के अन ुसार ब्रहमांड के त्तवकास की तीन अवस्थाए:- 1. आि ब्रहमाींड जिन पदाथों सेबना हैवह समस्त पदाथा एकाकी परमाण ु के रूप मेंजस्थत था जिसका आयतन अत्याचिक सूक्ष्म एींव घनत्व बहु त ही अचिक था। 2. परमाण ु में अत्याचिक ऊिाा सींचित हो िाने के कारण इसमें ववस्फोट हु आ एींव ववस्फोट के एक सेकीं ड के अन्दर ही ब्रहमाींड का ववस्तार हु आ। 3. बबग बैंग से 3 िाख वषों के दौरान, तापमान 4500 ° के जल्वन तक कम हो गया एींव परमाणवीय पदाथों का ननमााण हु आ। ग्रहों का ननमााण:- वैज्ञाननकों द्वारा ग्रहों के ननमााण की तीन अवस्थाएीं मानी गई हैं:-