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इतिहास 1801 िें जब रोलहिखंड को अंग्रेजों को सौंप लदया गया था, तो पीिीभीत लजिा बरेिी का परगना था, लजसे 1833 िें हटा लदया था यह व्यवस्था अस्थायी थी और 1841 िें बरेिी के साथ एक बार लिर से एकजुट हुआ । 1871 िें परगना जहानाबाद, पीिीभीत और पुरनपुर के इिाके को संयुि कर पीिीभीत तहसीि का लनिााण हुआ। लजसे अंततः 1879 िें एक लजिे िें बदि लदया गया । लिलटि िासन की िुरूआत िें पीिीभीत, जहानाबाद और बीसिपुर परगना को अिग अिग तहसीि बनाया गया था तथा पूरनपुर को तहसीि बनाने के लिए परगना पूरनपुर को खुटार के साथ जोड़ा गया | 1824 िें िेत्र के पुनलवातरण के पररणािस्वरुप, जब बीसिपुर तहसीि के अंतगात परगना बीसिपुर और िरौरी आते थे, जो बाद िें एक िेत्र बन गया; जहानाबाद को ररच्छा के साथ लििाकर तहसीि परेवा और पीिीभीत के साथ लबिहरी के साथ लििाकर तहसीि पीिीभीत को िुख्यािय बनाया गया था। 1895 िें लबिहरी और अन्य तराई परगना को प्रत्यि प्रबंधन के तहत लिया गया और 1863 िें ररच्छा को बहेड़ी तहसीि से जोड़ा गया तथा परगना जहांनाबाद को पीिीभीत को सौंपा गया | 1865 िें पीिीभीत के हस्तांतरण पर पुरनपुर भी पीिीभीत िें िालिि कर लदया गया । कु छ सिय बाद 1871 िें पूरनपुर, पीिीभीत पर लनभार एक उप तहसीि बन गयी, जो 1879 िें पूणा तहसीि िें पररवलतात हो गयी, जबलक पूरा बीसिपुर एक अिग उपखंड बना रहा। 2015 िें तहसीि पूरनपुर के कु छ गावों को संयुि कर तहसीि किीनगर तथा तहसीि पीिीभीत के कु छ गांवों को संयुि कर तहसीि तहसीि अिररया बनाया गया | इस प्रकार अब यह िेत्र पांच तहसीिों और चार परगनाओं िें लवभालजत है। ओढ़ाझार मंतदर ओढ़ाझार िंलदर जनपद पीिीभीत के तहसीि किीनगर के ग्राि ओढ़ाझार िें द्धस्थत है पीलीभीि टाइगर ररज़र्व पीलीभीि टाइगर ररज़र्वउत्तर प्रदेि के पीलीभीि लजिे और शाहजहाूँपुर लजिे िें द्धस्थत है, जो ऊपरी गंगा के िैदान बायोग्रालिकि प्रांत िें तराई आका िैंडस्के प का लहस्सा है। ररज़वा से कु छ नलदया, जैसे िारदा, चूका और िािा, खाननॉट होकर लनकिती है। साि के जंगिों, िंबी घास के िैदानों और नलदयों से सिय-सिय पर बाढ़ द्वारा बनाए गए दिदि यहाूँ की लविेषता है। ररजवा की सीिा पर िारदा सागर बांध है जो 22 लकिी (14 िीि) की िंबाई तक िै िा है। यह भारत-नेपाि सीिा पर लहिािय की तिहटी और उत्तर प्रदेि िें तराई के िैदानों के साथ द्धस्थत है। यह तराई आका िैंडस्के प का लहस्सा है। यह भारत के 51 प्रोजेक्ट टाइगर टाइगर ररजवा िें से एक है। राजा र्ेणु का टीला लजिा पीिीभीत के पूरनपुर तहसीि िें, रेिवे स्टेिन से एक लकिोिीटर दू र िाहगढ़ िें एक टीिा द्धस्थत है, इस टीिे िें राजा वेणु का एक िहि था। आजकि इस िहि के अविेष और खंडहर बताते हैं उस सिय राजा की उन्नलत लकस प्रकार हुयी थी। शाहजहांपुर इतिहास िाहजहांपुर िहर से जुड़ने वािे दो “िज़ार” हैं एक “िज़ार” िहीद “अहिद उल्लाह िाह” का है- 1857 के संघषा का एक िहान स्वतंत्रता सेनानी और दू सरा “िालहद अििाक़उल्ला खान (काकोरी कं ड)” का है। िौिवी अहिद उल्लाह िाह ने िै जाबाद (यू.पी.) से अपना संघषा िुरू लकया। वहां से, वह िाहजहाूँपुर िें आए। उनका जीवन िाहजहांपुर िें सिाप्त हुआ। 70 साि बाद, अििाक़उल्ला खान ने लिलटि सरकार के द्धखिाि संघषा िुरू लकया। एक िहान स्वतंत्रता सेनानी के कारण, लिलटि सरकार ने उसे िै जाबाद की जेि िें िांसी दी थी। लजस तरह से इन “िज़ार” को जोड़ता है उसे “िहीद रािप्रसाद लबद्धिि िागा” कहा जाता है आया सिाज िंलदर की एक पुरानी इिारत लजस तरह रािप्रसाद लबद्धिि ने स्वतंत्रता आंदोिन के दौरान लनवास लकया था। “िहीद रोिन लसंह” िाहजहांपुर का भी है।
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