Content text Chapter 10 वायुमंडल में जल.pdf
(1) 11 वाय ु मंडल मेंजल आर्द्रता (Humidity):- वाय ु मण्डल में उपस्थित जल वाष्प को वाय ुमण्डल की आर्द्रता कहते हैं। आर्द्रता को ग्राम प्रतत घनमीटर में मापा जाता है आर्द्रता के प्रकार:- आर्द्रता तनम्नललखित तीन प्रकार की होती है:– 1. निरपेक्ष आर्द्रता:- वाय ु की प्रतत इकाई आयतन में ववद्यमान जलवाष्प की मात्रा को तनरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसे प्रतत घन मीटर में व्यक्त ककया जाता है। 2. ववशिष्ट आर्द्रता:- वाय ु के प्रतत इकाई भार में जलवाष्प के भार को ववलिष्ट आर्द्रता कहते है। इसे ग्राम प्रतत ककलोग्राम में व्यक्त ककया जाता है। 3. सापेक्ष आर्द्रता:- ककसी भी तापमान पर वाय ु में उपस्थित जल वाष्प तिा उसी तापमान पर उसी वाय ु की जलवाष्प धारण करने की क्षमता के अन ु पात को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसे प्रततित मात्रा में व्यक्त ककया जाता है। सापेक्ष आर्द्रता ज्ञात करिे का सू त्र:- सापेक्ष आर्द्रता = तनरपेक्ष आर्रता – आर्द्रता की सहनिस्क्त x100 संतप् ृत वाय: ु- जब ककसी वाय ु में उसकी क्षमता के बराबर जलवाष्प आ जाए तो उसे संतप् ृत वाय ुकहते हैं। वाष्पीकरण (evaporation):- जल के तरल से गैसीय अवथिा में पररवततरत हाने की प्रकिया को वाष्पीकरण कहते हैं। वाष्पीकरण ककि बातों पर निर्रर करता है। वाष्पीकरण की मात्रा तापमान, ववथतार तिा पवन का वेग आदर् पर तनभरर करती है। वाष्पीकरण की ग ु प्त ऊष्मा (Latent Heat):-
(2) 11 वाय ु मंडल मेंजल एक ग्राम जल को जलवाष्प में पररवततरत करने के ललए लगभग 600 कै लोरी ऊजार का प्रयोग होता है। इसे वाष्पीकरण की ग ु प्त ऊष्मा (Latent Heat) कहते हैं। संघिि:- जल की गैसीय अवथिा के तरल या ठोस अवथिा में पररवततरत होने की किया को संघनन कहते हैं। ओस, तु षार, कोहरा और बार्ल संघनन के रूप है। संतप् ृत:- ित प्रततित सापेक्ष आर्द्रता वाली वाय ुसतं प् ृत होती हैं। ओसांक:- वाय ुस्जस तापमान पर संतप् ृत हो जाती हैउसे ओसांक कहते हैं। ओस (Dew):- ओस संघनन का रूप है। दर्न के समय पथ् ृ वी गमर हो जाती हैऔर रात्रत्र को ठण्डी हो जाती है। कभी – कभी पथ् ृ वी का तल इतना अधधक ठण्डा जाता है कक उससे छू ने वाली वाय ु का तापमान इतना कम हो जाता है कक वाय ु में उपस्थित जलवाष्प का संघनन हो जाता हैऔर वह छोटी – छोटी ब ू ंर्ो के रूप में पौधों की पवियों तिा अन्य प्रकार के तलों पर जम जाती है। इसे ओस कहते हैं। ओस बििे के शलए अि ु क ू ल पररस्थिनतयााँ:- ओस बनने कक ललए तनम्नललखित पररस्थिततयां अनक ुू ल होती है – • लम्बी रातें। • मेघरदहत आकाि। • िांत वाय ु। • सापेक्ष आर्द्रता का अधधक होना। • ओसांक का दहमांक से ऊं चा होना।
(3) 11 वाय ु मंडल मेंजल तु षार:- जब संघनन तापमान के जमाव त्रबन्र्ूसे नीचे अिारत (0° से.) से नीचे चले जाने पर होता है अिातर ्ओसांक जमाव त्रबन्र्ूपर या उसके नीचे होता हैतब ठंडी सतहों पर तु षार बनता है। कोहरा:- 1. जब बहु त अधधक मात्रा में जलवाष्प से भरी हुई वाय ु संहतत अचानक नीचे की और धगरती हैतब छोटे छोटे ध ू ल के कणों के ऊपर ही संघनन की प्रकिया होती है। 2. इसललए कोहरा एक बार्ल है स्जसका आधार सतह पर या सतह के बहु त नजर्ीक होता है। कोहरा और क ुहासे मेंअंतर:- 1. कोहरा:- • कोहरा क ुहासे की अपेक्षा अधधक ि ु ष्क होता है। • कोहरे छोटे बार्ल होते हैंस्जसमे ध ू लकण और ध ु ंए के कण होते हैं। 2. क ुहासा:- • क ुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधधक होती है। • क ुहासा पहाडों में अधधक पाया जाता है। बादल:- बार्लों का तनमारण वाय ु मेंउपस्थित महीन ध ू लकणों के कें र्द्कों (Nuclei) के चारों ओर जलवाष्प के संघतनत होने से होता है। बादलों के रूप:- च ू ंकक बार्ल का तनमारण पथ् ृ वी की सतह से क ु छ ऊँ चाई पर होता है इसललए उनके ववथतार, घनत्व तिा पारर्लिरता या अपारर्लिरता के आधार पर बार्लों को चार रूपों में वगीक ृत ककया जाता है:-