Content text 7. मानवीय पर्यावरण बस्तियाँ, परिवहन एवं संचार.pdf
सामाजिक विज्ञान (भ ू गोल) अध्याय-7: मानवीय पयाावरण बस्तियााँ, पररवहन एवंसंचार
(1) 07 मानवीय पयाावरण बस्तियााँ, पररवहन एवंसंचार ‘प्रारंभिक मानव‘ भोजन, वस्त्र एवं आवास के लिए पूर्णरूप सेप्रकृ ति पर तनभणर था ; िेककन समय के साथ नए कौशि ववकससि करके खाद्य पदाथो, घर बनाने, यािायाि एवं संचार के बेहिर साधनों का ववकास ककया। वह वृक्षों एवं गुफाओंमेंतनवास करिेथे। जब उन्होंनेफ़सिेउगाना आंरभ ककया िो उनके लिए एक जगह स्थायी घर बनाना आवश्यक हो गया। बस्तियों का ववकास नदी घाटियों के तनकि हुआ, क्योंकक वहााँपयाणप्त मात्रा मेंजि उपिब्ध िह एवं भूमम उपजाऊ। व्यापार, वालर्ज्य एवं ववतनमाणर् के ववकास के साथ ही मानव बस्तियााँबड़ी होिी गई। नदी घािी के तनकि बिी पनपनेिगींएवं सभ्यिा का ववकास हुआ। ससिंधुघािी (ससिंधुनदी), मेसोपोिाममया (टिगररस), ममस्र सभ्यिा (नीि नदी), नकदयों के ककनारेववकससि हुई। बस्तिय ाँ बस्तिय ाँ, वे तथ न हैंजह ाँलोग अपने ललए घर बन िे हैं। प्र रंलिक मन ु ष्य वक्षृ ों एवं गफ ु ओं में ननव स करिे थे। जब उन्होंने फसलें उग न आरंि ककय , िो उनके ललए एक जगह तथ यी घर बन न आवश्यक हो गय । बस्तियों क ववक स नदी घ टियों के ननकि हु आ, क्योंकक वह ाँ पय ाप्ि म त्र में जल उपलब्ध थ एवं ि ू लम उपज ऊ थी। व्य प र, व णिज्य एवं ववननम ाि के ववक स के स थ ही म नव बस्तिय ाँ बड़ी होिी गर्इं। नदी घ िी के ननकि बतिी पनपने लगीं एवं सभ्यि क ववक स हु आ। बस्तियो के प्रक र बस्तिय ं तथ यी य अतथ यी हो सकिी हैं। जो बस्तिय ाँक ु छ समय के ललए बन ई ज िी हैं, उन्हें अतथ यी बस्तिय ाँ कहिे हैं। घने जंगलों, गमा एवं ठंडे रेगगति नों िथ पवािों के ननव सी अक्सर अतथ यी बस्तियों में रहिे है। वे आखेि, संग्रहि, तथ न ंिरी क ृ वि एवं ऋिु-प्रव स करिे हैं। यद्यवप अगधक ंश बस्तिय ाँ आज तथ यी बस्तिय ाँ हैं। र्इन बस्तियों में लोग रहने के ललए घर बन िे हैं। लोगों के मौसमी आव गमन को ऋिु-प्रव स कहिे हैं। जो लोग पश ु प लिे हैं, वे मौसम में पररविना के अन ुस र नए चर ग हों की खोज में ननकल ज िे हैं।
(2) 07 मानवीय पयाावरण बस्तियााँ, पररवहन एवंसंचार गााँव:- ग्रामीर् बिी होिी है; जहााँिोग कृ षि, मत्स्य पािन, वातनकी, दिकारी एवं पशुपािन संबंधी कायणकरिेहैं। सघन बस्ती:- घर पास-पास बनेहोिेहैं। प्रकीर्णबस्ती:- घर दरू-दरू बनेहोिेहैं। पहाड़ी क्षेत्रों, घनेजंगि, अतिवविम जिवायुवािेक्षेत्र। मनुष्य नेअपनेआवास वािावरर् के अनुकू ि बनाया। ग्रमीर् क्षेत्रों मेंिोग अपनेपयाणवरर् क अनुकू ि घर बनािेहैं।अत्यमधक विाणवािेक्षेत्रों मेंढाि वािी छि बनािेहैं। लजन स्थानों मेंविाणके समय जि का जमाव होिा है, वहााँऊाँ चेप्लेिफॉमण अथवा स्टिल्ट पर घर बनाए जािेहैं। गमणजिवायुवािेक्षेत्रों मेंममट्टी को मोिी दीवार वािेघर पाए जािेहैं, लजनकी छिेंफू स की बनी होिी हैं। पररवहन पररवहन शब्द संतक ृि के ‘‘वह’’ ध िुसे लमलकर बन हु आ है स्जसक अथा ‘‘वहन’’ से है िथ ‘परर’’ उपसगा जोड़कर पररवहन शब्द क अथा लग य ज ि है स्जसक श स्ब्दक अथा ि र को वहन करन है। र्इसके अल व कं धे से उठ कर ले ज न य लसर पर वहन करने जैसे ि व था लग य ज ि है। पररवहन में य ंत्रत्रकी के प्रयोग से िी लग य ज ि है। जैसे स र्इककल क प्रयोग करन , च र पटहये, छ: य दस पटहये क प्रयोग करन िी होि है, यह पररवहन सड़क म गा द्व र संच ललि ककये ज िे हैं। र्इसके स थ ही रेल य ट्रेन स्जसे संतक ृि में लौह पथ ग लमनी के न म से िी ज न ज ि है। व य ु य न य जलय न िी पररवहन क प्रक र है। पररवहन क अथा उन गनिववगधयों से है, स्जनके अंिगाि स म न और व्यस्क्ियों को एक तथ न सेदसू रे तथ न पर ल ने-ले ज ने में सह यि लमलिी है। व्यवस य में र्इसको एक सह यक किय के रूप में म न ज ि है, जो कच्चे म ल को उत्प दन के तथ न िक और िैय र सम न को उपिोग/त्रबिी के ललए लोगों िक पहु ाँच ने में व्य प र और उद्योग की सह यि करिी है। जो व्यस्क्ि अथव व्य वस नयक र्इक र्इय ाँ र्इस गनिववगध में लगी हैं, उन्हें ट्र ंसपोिार कह ज ि है।
(3) 07 मानवीय पयाावरण बस्तियााँ, पररवहन एवंसंचार ट्र ंसपोिार कच्चे म ल, िैय र स म न, व्यस्क्ियों आटद को एक तथ न से दसू रे तथ न पर ले ज िे हैं। पररवहन क महत्व ऊपर हम ववच र ववमशा कर च ु के हैंकक पररवहन, दरू ी की ब ध को सम प्ि कर देि है, क्योंकक आजकल एक तथ न पर बन ई गई (िैय र की गई) वतिु अलग-अलग तथ नों पर उपलब्ध हो ज िी है। च हे प ूरे संस र में दरू ी स्जिनी िी हो। त्रबन पररवहन के कोई िी व्य प र एक कदम िी आगे नहीं बढ़ सकि है। 1. ननम ाि ओं और उत्प दकों को कच्च म ल उपलब्ध कर न : पररवहन के म ध्यम से ही कच्चे म ल को उसके उपलब्ध ्होने के तथ नों से उन तथ नों िक ले ज न संिव हो प ि है, जह ाँउसे ससं स्ध्ि िथ एककत्रि करके उससे अर(्ननलमिा अथव प ूिाि: ननलमाि वतिु एाँिैय र की ज िी हैं। 2. उपिोक्ि ओं को वतिु एं उपलब्ध कर न : पररवहन की सह यि से वतिओ ु ं को एक तथ न से दसू रे तथ न िक बड़ी आस नी और िजे ी से पहु ंच य ज सकि है। र्इस प्रक र दरू-दर ज के तथ नों पर िैय र स म न देश के ववलिन्न क्षेत्रों में पैफले उपिोक्ि ओं द्व र उपिोग ककय ज सकि है। 3. लोगों क जीवन-तिर बेहिर बन न : पररवहन-स ध्नों की सह यि से कम ल गि में बड़े पैम ने पर स म न क उत्प दन होि है। र्इससे लोगों में अपनी पसंद क और अलग- अलग कीमि व ल बटढ़य ककतम क स म न खरीदने की र्इच्छ ज गिी है। र्इससे लोगों क जीवन-तिर ऊाँ च उठि है। 4. कम ल गि मेंं ं अस्ध्क उत्प दन को सु ववधजनक बन ि है : हम ज नि ंे है कक बड़े पैम ने पर उत्प दन सद हम री पसंद के तथ न पर होन सम्िव नहीं है, क्योंकक र्इसके ललए बड़ेब ु ननय दी ढ चं ेकी आवश्यकि होिी है, ववशेिि: जमीन की, जो आस नी से हर जगह उपलब्ध ्नहीं होिी है। परन्िु पररवहन, सु गमि से म नव शस्क्ि एवं आवश्यक कच्च म ल ववननम ाि के ललए अंनिम रूप से चयननि तथ न पर उपलब्ध कर देि है। बड़े पैम ने पर उत्प दन से प्रनि र्इक ई ल गि कम आिी है।
(4) 07 मानवीय पयाावरण बस्तियााँ, पररवहन एवंसंचार 5. आप िक ल और प्र ्र क ृ निक आपद की स्तथनि में सह यि पहु ाँच न : य ु( य आंिररक गड़बड़ी (अश ंनि) जैसी र ष्ट्रीय संकि की स्तथनि में पररवहन सशतत्र सेन ओं और उनके ललए जरूरी स म न को शीघ्रि से संकि के तथ न पर पहु ंच ने में मदद करि है। 6. रोजग र सज ृ न मेंं ं सह यि करन : पररवहन से लोगों को ड्र र्इवर, कं डक्िर, प यलि, ववम न कमाच री, सम ुद्री जह ज के कैप्िन आटद के पदों पर रोजग र लमलि है। र्इन लोगों को पररवहन व्यवस य में प्रत्यक्ष रूप से रोजग र लमलि है। र्इसके अल व क ु छ लोगों को पररवहन से अप्रत्यक्ष रूप से िी रोजग र लमलि है जैसे पररवहन के ववलिन्न स धनों और पररवहन के उपकरिों क ननम ाि करने व ले क रख नों में लोगों को क म लमलि है। लोग पररवहन के स धनों की मरम्मि और रख-रख व के ललए सु ववध जनक तथ नों पर सववास सेंिर िी खोल सकिे हैं। 7. मजदरू ों की गनिशीलि में सह यि : पररवहन सु ववध एाँमजदरू ों को क या के तथ नों िक पहु ाँच ने में बहु ि मदद करिी हैं। आपको म ल ू म होग कक दसू रे देशों के उद्योगों और क रख नों में क म करने के ललए हम रे देश से लोग दसू रे देश ज िे हैंऔर ववदेशी िी हम रे देश में क या करने के ललए आिे हैं। देश में िी लोग रोजग र की खोज में एक तथ न से दसू रे तथ न पर ज िे हैं। स थ ही यह हमेश संिव नहीं होि कक क रख नेके आस-प स से ही मजदरू लमल ज ए। अगधक शं उद्योगों में लोगों को उनके ननव स तथ न से क या तथल िक ल ने ले ज ने के ललए पररवहन की अपनी व्यवतथ है। 8. र ष्ट्रों को ननकि ल ने में सह यि : पररवहन से लोगों िथ म ल के एक देश से दसू रे देश में आव गमन में सह यि लमलिी है। र्इससे ववलिन्न देशों के लोगों में संतक ृ नि, ववच रों और रीनि ररव जों क आद न-प्रद न होि है। र्इससे लोगों में अन्य देशों के ब रे में बेहिर समझ िथ ज्ञ न उत्पन्न होि है। र्इस प्रक र पररवहन अंिर ाष्ट्रीय ि ईच र बढ़ ने में सह यि करि है। पररवहन के म ध्यम मोिर स यकल, ट्रक, बस, क र, जीप में बठै कर एक तथ न से दसू रे तथ न िक ज ने के ललए हमें सड़क म गा की आवश्यकि होिी है। रेलग ड़ी और म लग डड़य ं रेल की पिररयों पर ही दौड़िी हैं। जल म गा से ज ने के ललए हम नौक , तिीमर, जलय न क उपयोग करिे है, उसी