Content text Chapter 9 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसमी प्रणालियाँ.pdf
भूगोल अध्याय-9: वायुमंडलीय परिसंचिण तथा मौसमी प्रणाललयााँ
(1) 10 वाय ु मंडलीय परिसंचिण तथा मौसमी प्रणाललयााँ वाय ु मंडलीय दाब:- 1. सम ुद्रतल से वाय ु मंडल की अंततम सीमा तक एक इकाई क्षेत्रफल के वाय ुस्तंभ के भार को वाय ु मंडलीय दाब कहते हैं। 2. वाय ु मण्डलीय भार या दाब को ममलीबार तथा हैक्टोपास्कल में मापा जाता है। 3. महासागरीय सतह पर औसत वाय ुदाब 1013.25 ममलीबार होता है। 4. मानचित्र पर वाय ुदाब को समदाब अथवा समभार रेखाओं द्वारा दर्ााया जाता है। वाय ुदाब की हास (कमी आना):- वाय ुदाब वाय ु मंडल के तनिले हहस्से में अचिक तथा ऊँ िाई बढ़ने के साथ तेजी से घटता है यह ह्रास दर प्रतत 10 मीटर की ऊँ िाई पर 1 ममलीबार होता है। सम दाब िेखाओं Isobar:- सम ुद्र तल से एक समान वाय ुदाब वाले स्थानों को ममलाते हु ए खींिी जाने वाली रेखाओं को समदाब रेखाएँकहते हैं। ये समान अंतराल पर खीिी जाती है। सम दाब िेखाओं का पास या दिू होना क्या प्रकट किता है? सम दाब रेखायें यहद पास – पास हैतो दाब प्रवणता अचिक और दरू हैंतो दाब प्रवणता कम होती है। दाब प्रवणता:- एक स्थान से दसू रे स्थान पर दाब में अन्तर को दाब प्रवणता कहते हैं। स्थानीय पवनें :- तापमान की मभन्नता एंव मौसम सम्बन्िी अन्य कारकों के कारण ककसी स्थान ववर्ेष में पवनों का संिलन होता है जजन्हें स्थानीय पवनें कहते हैं। टािनैडो:-
(2) 10 वाय ु मंडलीय परिसंचिण तथा मौसमी प्रणाललयााँ मध्य अंक्षार्ों में स्थानीय तफ ू ान तंड़ित झंझा के साथ भयानक रूप ले लेते हैं। इसके के न्द्र में अत्यन्त कम वाय ुदाब होता है और वाय ुऊपर से नीिे आक्रामक रूप से हाथी की सू ं़ि की तरह आती हैइस पररघटना को टारनैडो कहते हैं। वाय ुिालि:- जब वाय ु ककसी ववस्ततृ क्षेत्र पर पयााप्त लम्बे समय तक रहती है तो उस क्षेत्र के गण ु ों (तापमान तथा आद्राता संबंिी) को िारण कर लेती है। तापमान तथा ववमर्ष्ट गण ु ों वाली यह वाय ु, वाय ुरामर् कहलाती है। ये सैंक़िों ककलोमीटर तक ववस्ततृ होती हैंतथा इनमें कई परतें होती हैं। कोरिऑललस बल:- पवन सदैव समदाब रेखाओं के आर – पार उच्ि दाब से तनम्न वाय ुदाब की ओर ही नहीं िलतीं। वे पथ् ृ वी के घ ू णना के कारण ववक्षेवपत भी हो जाती हैं। पवनों के इस ववक्षेपण को ही कोररऑमलस बल या प्रभाव कहते हैं। कोरिऑललस (Coriolis Force) प्रभाव ककस प्रकाि पवनों की ददिा को प्रभाववत किता है? 1. इस बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलाद्ाि में अपने दाई ओर तथा दक्षक्षणी गोलाद्ाि में अपने बाईं ओर म ु़ि जाती हैं। 2. कोररऑमलस बल का प्रभाव ववष ु वत वतृ पर र् ू न्य तथा ध्र ु वों पर अचिकतम होता है। 3. इस ववक्षेप को फे रेल नामक वैज्ञातनक ने मसद्ि ककया था, अतः इसे फे रेल का तनयम (Ferrel’s Law) कहते हैं। पवनों के प्रकाि:- पवनें तीन प्रकार की होती हैं:- • भ ू मंण्डलीय पवनें (PlanetaryWinds) • सामतयक पवन (Seasonal Winds)