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Content text Chapter 2 संरचना तथा भू आकृति विज्ञान.pdf

भूगोल अध्याय-2: संरचना तथा भूआकृ तत तिज्ञान
(1) 02 संरचना तथा भूआकृ तत तिज्ञान ररचय (पृथ्वी):- 1. पृथ्वी लगभग 460 करोड़ वर्षपुरानी है। इस संपूर्षअवधि मेंपृथ्वी के भूपृष्ठ पर आंतररक तथा बाह्य शक्तियों की गततशीलता कारर् बहुत से पररवतषन हुए हैं। ये पररवतषन भारतीय उपमहाद्वीप मेंभी हुए हैंजो गौंडवाना लैंड का भाग था। 2. करोड़ों वर्ष पहले‘ इंडडयन प्लेट ‘ भूमध्य रेखा के दक्षिर् मेंस्थित थी जो डक आकार में ववशाल थी तथा आस्ट्रेक्षलयन प्लेट भी इसी का हहस्सा थी। 3. करोड़ों वर्ों के दौरान यह प्लेट कई हहस्सों मेंटूट गई और आस्ट्रेक्षलयन प्लेट दक्षिर् – पूवषकी ओर तथा इंडडयन प्लेट उत्तर डदशा मेंखखसकनेलगी। भारत का भू– िैज्ञाननक खंडो मेंतिभाजन:- भू– वैज्ञातनक संरचना व शैल समूह की धभन्नता के आिार पर भारत को तीन भू– वैज्ञातनक खंडो मेंववभाक्षजत डकया गया है:- 1. प्रायद्वीप खंड। 2. हहमालय और अन्य अततररि प्रायद्वीपीय पवषत मालाएं। 3. ससिंिु– गंगा – ब्रह्मपुत्र मैदान। प्रायद्वीप खंड:- 1. प्रायद्वीप खंड की उत्तरी सीमा कटी – फटी है, जो कच्छ सेआरंभ होकर अरावली पहाडड़यों के पक्षिम सेगुजरती हुई डदल्ली तक और डफर यमुना व गंगा नदी के समानांतर राजमहल की पहाडड़यों व गंगा डेल्टा तक जाती है। 2. प्रायद्वीपीय भाग मुख्यतः प्राचीन नीस व ग्रेनाईट सेबना हैजो कै स्थियन कल्प सेएक कठोर खंड के रूप मेंखड़ा है। प्रायद्वीपीय पठार की तिशेषताऐ:-
(2) 02 संरचना तथा भूआकृ तत तिज्ञान 1. प्रायद्वीपीय पठार ततकोनेआकार वाला कटा – फटा भूखंड है। उत्तर – पक्षिम मेंडदल्ली – कटक, पूवष मेंराजमहल पहाडड़यााँ, पक्षिम मेंधगर पहाडड़यााँ, दक्षिर् मेंइलायची पहाडड़यााँ, प्रायद्वीपीय पठार की सीमाएाँतनिाषररत करती है। उत्तर – पूवषमेंक्षशलांग व काबीी– ऐंगलोंग पठार भी इस भूखंड का ववस्तार है। 2. प्रायद्वीपीय पठार मुख्यतः प्राचीन नीस व ग्रेनाइट सेबना है। 3. यह पठार भूपपषटी का सबसेप्राचीनतम भूखण्ड हैक्षजसकी औसत ऊाँ चाई 600 और 900 मीटर है। कै स्थियन कल्प सेयह भूखंड एक कठोर खंड के रूप मेंखड़ा है। 4. इस पठार के उत्तर – पक्षिमी भाग मेंअरावली की पहाडड़यों, उत्तर मेंववन्ध्ांचल और सतपुड़ा की पहाडड़यां, पक्षिम घाट और पूवषमेंपूवीीघाट स्थित है। सामान्य तौर पर प्रायद्वीप की ऊं चाई पक्षिम सेपूवषकी ओर कम होती जाती है। इस पठार के उत्तरी भाग का ढाल उत्तर डदशा की ओर है। 5. इंडो – आस्ट्रेक्षलयाई प्लेट का अग्र भाग होनेके कारर् यह खंड ऊर्ध्ाषिर हलचलों व भ्रंश से प्रभाववत है। नमषदा नदी, तापी और महानदी, भ्रंश घाहटयों के और सतपुड़ा, ब्लॉक पवषत का उदाहरर् हैं। हिमालय और अन्य अततररक्त प्रायद्वीपीय पिवत मालाएं:- 1. कठोर एवं स्थिर प्रायद्वीपीय खंड के ववपरीत हहमालय और अततररि – प्रायद्वीपीय पवषतमालाओंकी भूवैज्ञातनक संरचना तरूर्, दबु षल और लचीली है। 2. येपवषत वतषमान समय मेंभी बहहजषतनक तथा अंतजषतनत बलों की अंतडियाओंसेप्रभाववत हैं। इसके पररर्ामस्वरूप इनमेंवलन, अंश और िेप (thrust) बनतेहैं। 3. इन पवषतों की उत्पक्षत्त वववतषतनक हलचलों सेजुड़ी हैं। तेज बहाव वाली नडदयों सेअपरडदत ये पवषत अभी भी युवा अविा मेंहैं। गॉजष, V- आकार घाहटयााँ, क्षिप्रप्रकाएाँव जल – प्रपात इत्याडद इसका प्रमार् हैं। ससिंधु– गंगा – बह्मपुत्र मैदान:-
(3) 02 संरचना तथा भूआकृ तत तिज्ञान 1. भारत का तृतीय भूवैज्ञातनक खंड ससिंिु, गंगा और बह्मपुत्र नडदयों का मैदान है। मूलत : यह एक भू– अधभनतत गतषहैक्षजसका तनमाषर् मुख्य रूप सेहहमालय पवषतमाला तनमाषर् प्रडिया के तीसरेचरर् मेंलगभग 6.4 करोड़ वर्षपहलेहुआ था। 2. तब सेइसेहहमालय और प्रायद्वीप सेतनकलनेवाली नडदयााँअपनेसाथ लाए हुए अवसादों से पाट रही। इन मैदानों मेंजलोढ़ की औसत गहराई 1000 से2000 मीटर है। करेिा:- करेवा ‘ पीरपंजाल श्रेर्ी पर 1000-1500 मीटर की ऊाँ चाई पर स्थित हहमोढ़ के जमाव हैक्षजन्हें हहमनडदयों नेतनिेप्रपत डकया है। यहााँपर के सर (जाफरान) की खेती होती है। िृित्हिमालय श्ृंखला का अन्य नाम:- वृहत्हहमालय श्रृंखला को ‘ कें द्रीय अिीय श्रेर्ी ‘ अथवा महान हहमलाय भी कहा जाता है। इसकी पूवष– पक्षिम लम्बाई लगभग 2500 डकमी . तथा उत्तर – दक्षिर् चौड़ाई 160 से400 डकमी . तक है। भाबर:- 1. यह प्रदेश ससन्धुनदी सेततस्ता नदी तक ववस्तृत है। 2. यह पतली पट्टी के रूप में8 से10 डकमी . की चौड़ाई मेंफै ला है। 3. भाबर प्रदेश कृ प्रर् के क्षलए उपयुि नहींहै। 4. हहमालय सेतनकलनेवाली नडदयााँयहााँपर अपनेसाथ लाए हुए कं कड़, पत्थर, रेत, बजरी जमा कर देती है। तराई:- 1. तराई प्रदेश, भाबर प्रदेश के दक्षिर् मेंउसके साथ -2 ववस्तृत है। 2. भाबर के समांतर इसकी चौड़ाई 10 से20 डकमी . है। 3. तराई प्रदेश मेंवनों को साफ कर कृ प्रर् योग्य बनाया गया है।

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