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1 10 अध्याय - 2 विखंडित भारत पर ब्रिटिश विजय 15 अध्याय - 3 भारत में ब्रिटिश विस्तार 29 अध्याय - 4 संवैधानिक विकास एवं ब्रिटिश राज की संरचना 03 अध्याय - 1 भारत में यूरोपियों का आगमन 48 अध्याय - 5 गवर्नर-जनरल तथा उनके कार्य 65 अध्याय - 7 सामाजिक और धार्मिक सुधार आन्दोलन 55 अध्याय - 6 परिवर्तन के वाहक – शिक्षा एवं प्रेस 81 अध्याय - 8 ब्रिटिश काल के दौरान विद्रोह विषय-सूची
2 151 विगत वर्षों मे पूछे गए प्रश्न 111 अध्याय - 10 गांधीवादी राजनीति का युग 147 अध्याय - 13 सांप्रदायिकता का विकास 135 अध्याय - 11 राष्ट्रीय आंदोलन के अन्य पक्ष 145 अध्याय - 12 भारत में श्रमिक संघ आंदोलन 100 अध्याय - 9 प्रारंभिक भारतीय राष्ट्रवाद
3 “In the land of Hind, the caravans of the people of the world, kept coming in, and India kept getting formed.” —Firaq Gorakhpuri • भारत का इतिहास आव्रजन की निरंतर लहरों का इतिहास है। प्राचीन काल में आव्रजन करने वाली विभिन्न जातियों में यूनानी, शक और हूण शामिल थे। मध्यकाल में तुर्क, अफगान, मंगोल और अरब समूहों का आगमन हुआ। • मुगल साम्राज्य के आरंभ के समय, यूरोपीय देशों से यात्रियों और व्यापारियों का निरंतर आव्रजन प्रारंभ हुआ। प्रायः विदेशी भारत को अत्यधिक धन संपन्न स्थल के रूप में देखते थे तथा इससे व्यापार या शासन के माध्यम से अथवा विजय के पश्चात् लूट के माध्यम से धन अर्जित करना चाहते थे। • यूरोपीय, भारतीय सभ्यता पर प्रहार करने वाले अंतिम और सबसे दर्ु जेय शक्ति बन कर आये। इनसे पूर्व, किसी भी विदेशी समूह द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को इतना अधिक नियंत्रित नहीं किया गया था। • इसके अतिरिक्त, इस समय आक्रमणकारी भारत को साम्राज्य के रूप में अपनाने एवं उसे अपना स्‍वामी मानने हेतु तैयार नहीं थे। भारत के वल धन का एक स्रोत था जिसे लूटा जाना था और इस लूट को अपने मातृ देश में शासक के साथ साझा किया जाना था। • 1453 में, ओटोमन तुर्कों द्वारा कु स्तुनतुनिया का अधिग्रहण कर लिया गया। अभी तक भारत से यूरोपीय बाजारों में वस्तुओं का निर्यात अरब मध्यवर्तियों द्वारा किया जाता था। भारत तक विस्तारित लाल सागर से होकर गुजरने वाले समुद्री व्यापारिक मार्ग और स्थल व्यापारिक मार्गों, दोनों पर अरबों का अत्यधिक नियंत्रण था। इस नवीन स्थिति में, यूरोपीय लोग भारत के लिए सीधा समुद्री मार्ग खोजने हेतु विवश हुए। चित्र 1.1: यूरोप - भारत समुद्री मार्ग मादेइरा नाइजर भूमध्य रेखा मेडागास्कर मोजाम्बिक सेंट हेलेना की खाड़ी पोर्ट नटाल के प ऑफ गुड होप मालिंदी कांगो मोम्बासा कालीकट कालीकट एशिया यूरोप हिंद महासागर अटलांटिक महासागर जाते समय की यात्रा वापसी की यात्रा के प बोजडोर लिस्बन भयारत मेंयूरोवपयों कया आगमन (EUROPEAN ENTRY IN INDIAN POLITICS) अध्याय - १

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