Content text Chapter 5 भू – आकृतिक प्रक्रियाएँ.pdf
भूगोल अध्याय- 5: भू– आकृ तिक प्रक्रियाएँ
(1) 06 भ ू– आक ृ तिक प्रक्रियाएँ विििततिक शक्तियाँ:- 1. पथ् ृ वी का धरातल असमान है। इस असमानता के पीछे पथ् ृ वी की आन्तररक शक्ततयााँ क्िम्मेदार हैं। ये शक्ततयााँ स्थलमंडलीय प्लेटों को गततमान करती हैं। क्िससे धरातल पर ववभिन्न स्थलरूपों की रचना होती हैऔर पथ् ृ वी का धरातल असमतल हो िाता है। इन शक्ततयों को वववतततनक शक्ततयााँ (Tectonic Forces) कहा िाता है। 2. पथ् ृ वी का धरातल ज्योंही असमतल होता है सू यत की शक्तत से उत्पन्न बहहिततनक शक्ततयााँतोड़फोड़ कर तथा तिस – तिस कर समतल करने का प्रयास करती हैं। भ ू– आक ृ तिक प्रक्रियाएं:- 1. अन्तिततनत अथातत आन्तररक शक्ततयों (Endogenic Forces) एवं बहहतितनक अथातत बाहरी शक्ततयों (Exogenic Forces) के इस खेल से पथ् ृ वी पर ि ू– आक ृ ततयााँबनती संवरती िाती हैं। 2. ये दोनो प्रक्रियाएाँपथ् ृ वी के धरातल पर तनंरतर सक्रिय रहती हैं। इन्हीं को ि ू– आक ृ ततक प्रक्रियाएं कहतेहैं। धरातल पर इन प्रक्रियाओं के पररणामस्वरूप मानव को उसकी िीववका तथा ववववध संसाधन आधार प्राप्त होता है। 3. धरातल पर हदखायी देने वाली समस्त ि ू– आक ृ ततयााँदो प्रकार के बलों से बनती हैं। • बहहिततनक बल • अंतिततनत बल 4. अंतिततनत शक्ततयां धरातल को उठाती रहती हैंऔर बाह्य शक्ततयां लगातार उन्हें समतल करती रहती हैं। नोट:- इस अध्याय में हम ववशेष रूप से बाह्य प्रक्रियाओं िैसे अनाच्छादन, अपरदन, वहृत् संचलन आहद का अध्ययन करेंगे। अिाच्छादि:- ववभिन्न बहहिततनक ि ू – आक ृ ततक प्रक्रियाओं िैसे अपक्षय, वहृतक्षरण, संचलन, अपरदन, पररवहन आहद के कारण धरातल की चट्टानों का ऊपरी आवरण हट िाता है, इसे ही अनाच्छादन कहते हैं।
(2) 06 भ ू– आक ृ तिक प्रक्रियाएँ अपक्षय:- अपक्षय उस याक्न्िक, रासायतनक तथा िैववक प्रक्रिया को कहते हैंक्िसके कारण शैलें एक ही स्थान पर टूटती – फ ूटती व अपिहटत होती रहती हैं। अपक्षय को तिम्िलिखिि प्रक्रियाओं द्िारा समखिये:- • अपशल्कन • संक ु चन एवं ववस्तारण • हहमकरण व तु षार वेडड ंग 1. अपशल्कि (Exfoliation):- अपक्षय की इस प्रक्रिया में चट्टानों की परतें प्याि के तछलके की तरह उतरती हैं। ऐसा ग ु बंद आकार की ि ू – आक ृ ततयों में होता है। इनके ऊपर की परत अपरदन के कारण हट िाती हैऔर परतदार पट्हटयााँववकभसत हो िाती हैं। 2. संक ु चि एंि विस्िारण (Shrink and Expansion):- शैलों में मौि ूद खतनि तापमान बढ़ने से फै लते हैंएवं तापमान कम होने से भसक ुड़ते हैंइस प्रक्रिया से शैलें कमिोर होकर टूटती हैं। 3. हिमकरण ि िु षार िेड ंग (Freezing and Frost Weding):- शैलों की दरारों में िल िर िाता हैएवं तापमान गगरने से िल हहम से पररवतततत हो िाता है। हहम बनने से आयतन बढ़ता हैिो शैलों पर दबाव डालता है। इस प्रक्रिया की प ु नरावव ृ ि से शैले टूट िाती है। अपक्षय के प्रकार:- अपक्षय दो प्रकार के होते हैं:- • रसायतनक अपक्षय • िौततक अपक्षय रसायतिक अपक्षय:-
(3) 06 भ ू– आक ृ तिक प्रक्रियाएँ रसायतनक अपक्षय को तनम्न उदाहरणों के द्वारा समझा िा सकता है। नमक की एक डली को आर्द्त स्थान पर रखने से वह गल कर खत्म हो िाती है। लोहे को ख ु ले में आर्द्त स्थान पर रखने से उसमें िंग लग िाता है। और धीरे – धीरे नष्ट होकर भमट्टी में भमल िाता हैनमक का गलना एवं लोहे में िंग लगना रासायतनक क्रियाएाँहैंयही प्रक्रिया चट्टानों के साथ होती हैंतब इसे रासायतनक अपक्षय कहते हैं। रसायतिक अपक्षय के प्रकार:- रसायतनक अपक्षय तनम्नभलखखत प्रकार के हो सकते है:- 1. विियि (Solution):- चट्टानों मेंमौि ूद कई प्रकार के खतनि िल ु िातेहैंिैसेनाइट्रेट, सल्फे ट एंव पौटेभशयम। इस तरह अगधक वषात वाले क्षेिों में तथा आर्द्त िलवाय ु में ऐसे खतनिों से य ु तत शैलें अपक्षतयत हो िाती हैं। 2. कार्बोिेशि (Carbonation):- वषात क िल मेंि ु ली हुई काबतनडाईआतसाईड सेकाबोतनक अम्ल का तनमातण होता हैयह अम्ल च ू ना य ु तत चट्टानों को िल ु ा देता है। 3. जियोजि (Hydration):- क ु छ चट्टानें िैसे कै क्ल्शयम सल्फे ट िल को सोख लेती हैं और फै ल कर कमिोर हो िाती हैंतथा बाद में टूट िाती हैं। 4. आतसीकरण (Oxidation & Reduction):- लोहेपर िंग लगना आतसीकरण का अच्छा उदाहरण है। चट्टानों के ऑतसीिन गैस के सम्पकत में आने से यह प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया वाय ु मंडल एवं ऑतसीिन य ु तत िल के भमलने से होती है। भौतिक अपक्षय:- िौततक अपक्षय के कारण चट्टानेंछोटे – छोटे टु कड़ों मेटूट िाती हैंक्िनके भलयेग ु रूत्वाकषणत बल, तापमान में पररवततन श ु ष्क एवं आर्द्त पररक्स्थतयों का अदल – बदल कर आना िैसेकारक क्िम्मेदार हैं। भौतिक अपक्षय के प्रकार:- िौततक अपक्षय तनम्नप्रकार से होता है:- • िार ववहीनीकरण (Unloading)