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Content text अयोध्या मंडल.pdf




देवकाली इस मंजदर का जर्र्रण रामायण महाकाव्य के जर्जर्ध प्रसंगों में पाया िाता है| ऐसी मायता है की माता सीता अपने साथ देर्ी जगररिा देर्ी की एक सुन्दर मूजतज लेकर अयोध्या आई थी| महाराि दशरथ ने एक भव्य मंजदर का जनमाजण कराकर उसमे उसी प्रजतमा की स्थापना करायी थी, माता सीता देर्ी की प्रजतजदन पूिा अचजना करती थी| आि भी माता देर्काली की भव्य प्रजतमा यहाूँ स्लस्थत है| िैन श्वेिाम्बर मंतदर अयोध्या नगरी का िैन धमज के जलए भी जर्शेि स्थान है , यहाूँ जर्जभन्न तीथांकरों के िीर्न से सम्बंजधत १८ कल्याणक घजटत हुए हैं| अयोध्या नगरी को पांच तीथजकरो ( आजदनाथ, अजितनाथ, अजभनंद नाथ, सुमजतनाथ एर्ं अनंतनाथ ) की िन्मस्थली होने का गौरर् प्राप्त है| उनकी स्मृजत में फै िाबाद के नर्ाब के कोिाध्यक्ष ने यहाूँ पांच मंजदरों का जनमाजण कराया था| जदगंबर िैन मजिर प्रथम तीथांकर ऋिभदेर् को समजपजत है जिन्ें आजदनाथ, पुरदेर्, र्ृिभदेर् एर्ं आजदिह्म इत्याजद नामो से भी िाना िाता है| आधुजनक समय में यह बडी मूजतज के नाम से प्रजसद्ध है िहाूँ जक अयोध्या के रायगंि नामक स्थान पर ऋिभदेर् की 31 फीट ऊूँ ची प्रजतमा स्थाजपत है | जदगम्बर िैन सम्प्रदाय के पहले तीथांकर ऋिभ देर् िो आजदनाथ के रूप में भी िाने िाते है, की मूजतज मंजदर के गभजग्रह में स्थाजपत है। आचायज रत्न देशभूिणिी महाराि और आजयजका ज्ञानमती मातािी द्वारा र्तजमान समय में इस स्थान का पुनः उद्धार जकया गया है | गुलाब बाड़ी नर्ाब शुिा उद दौला का मकबरा गुलाब बाडी जिसका शास्लब्दक अथज है ‘गुलाबों का बाग़’ फै िाबाद में स्लस्थत है| यहाूँ जर्जभन्न प्रिाजतयों के गुलाब फौर्ारे के चारों तरफ लगाये गये हैं| अर्ध के तीसरे नर्ाब शुिा-उद-दौला की कि भी इसके प्रांगन में स्लस्थत है| यह स्मारक चारबाग़ शैली में बनाया गया है जिसके कें द्र में मकबरा एर्ं चारो तरफ फौर्ारे एर्ं पानी की नहरें है| गुलाब बाडी मात्र ऐजतहाजसक स्मारक ही नहीं अजपतु इसका सांस्कृ जतक एर्ं धाजमजक महत्व भी है| आसपास के लोग इसे पजर्त्र स्थान मानते हैं| मायता है की यहाूँ से एक सुरंग लखनऊ के पोखर को िाती थी जिसका उपयोग नर्ाब द्वारा छु पने के जलए जकया िाता था| कनक भवन राम िन्म भूजम के उिरपूर्ज में स्लस्थत यह मंजदर अपनी कलाकृ जत के जलए प्रजसद्ध है| ऐसी मायता है की माता कै के यी ने प्रभु श्री राम और देर्ी सीता को यह भर्न उपहार स्वरुप जदया था तथा यह उनका व्यस्लिगत महल था| पहले रािा जर्क्माजदत्य एर्ं बाद में भानु कुं र्ारी ने इसका िीणोधार कराया था| मुख्य गभजगृह में श्री राम और माता सीता की प्रजतमा स्थाजपत है | तबरला मंतदर सुलिानपुर इतिहास ऐजतहाजसक दृजि से िनपद सुलतानपुर का अतीत अत्यंत गौरर्शाली और मजहमामंजडत रहा है । पुरातास्लत्वक, ऐजतहाजसक, सांस्कृ जतक, भौगोजलक तथा औध्योजगक दृजि से सुलतानपुर का अपना जर्जशि स्थान है । महजिज र्ाल्मीजक,दुर्ाजसा र्जशष्ठ आजद ऋजि मुजनयों की तपोस्थली का गौरर् इसी जिले को प्राप्त है ।पररर्तजन के शाश्वत जनयम के अनेक झंझार्ातों के बार्िूद इसका अस्लस्तत्व अक्षुण्य् रहा है । सन १९०३ में प्रकाजशत सुलतानपुर जिला गिेजटएर ने इजतहास और जिले की उत्पजि पर कु छ प्रकाश डाला है। यह देखा गया है जक अतीत मे जर्जभन्न कु लों के रािपूत पररर्ारों का स्वाजमत्व अजधकांश भूजम पर था|इनके पास कु ल भूजम क्षेत्र का 76.16 प्रजतशत था। उनमें से रािाओं का जिले के एक चौथाई जहस्से पर अधीकार था साथ-साथ

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