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Content text Chapter 7 वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना.pdf

भूगोल अध्याय-7: वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना
(1) 08 वाय ु मण्डल का संघटन एवं संरचना वाय ु मण्डल:- पथ् ृ वी के चारों तरफ वाय ु के आवरण को वाय ु मण्डल कहते है। यह वाय ु का आवरण पथ् ृ वी के ग ु रूत्वाकर्णष बल की वजह से पथ् ृ वी के चारों ओर कम्बल के रूप में चचपका हु आ है तथा पथ् ृ वी का एक महत्वपण ू ष अंग है। पथ् ृ वी पर जीवन का अंश ऐसी वाय ु मंडल की वजह सेसम्भव है। जीववत रहने हेतु वाय ुसभी जीवों के ललए महत्वप ू णष है। वाय ु मण्डल का 99 प्रततशत भाग भ ू पष् ृठ से 32 ककलोमीटर की ऊचाई तक सीलमत है। वाय ु :- ववलभन्न गैसों के लमश्रण को वाय ुकहते है। वाय,ु रंगहीन, गंधहीन एवं स्वादहीन है। वाय ु में अनेक महत्वप ू णष गैसें जैसे – नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आगषन, काबषन डाइआक्साइड, तनयान, हहलीयम, ओजोन, हाइड्रोजन, लमथेन, किप्टोन जेनान आहद पाई जाती हैं। गैसों के अलावा वायम ु ंडल में जलवाष्प तथा ध ू लकण भी उपस्स्थत रहते हैं। एयरोसोल्स:- वाय ु मंडल में जल कण, काबषन डाईऑक्साइड, ओजोन, जेनॉन, किप्टॉन तनओन, आगषन तथा बडे ठोस कण लमलकर एयरोसोल्स कहलाते है। वाय ु मंडल की परते:- तापमान व वाय ुदाब के आधार पर वाय ु मडं ल को पांच परतों – क्षोभमण्डल, समतापमंडल, मध्यमंडल, आयनमंडल एवं बाह्य मण्डल में बांटा गया है। सभी मंडलों की अलग – अलग ववशेर्ताएँहोती है। वाय ु मंडल के संघटन की संक्षेप मे व्यख्या:- वाय ु मंडल म ु ख्यतः क ु छ गैसों, जलवाष्प एंव ध ू लकणों से बना है। 1. गैसें:- वाय ु मंडल की गैसों का अचधकांश भाग नाइट्रोजन (78.8%) एवं ऑक्सीजन (20.95%) सेय ु क्त है। इसके अततररक्त म ु ख्य गैसेंकाबषन डाई आक्साइड, आगषन एंव ओजोन आहद
(2) 08 वाय ु मण्डल का संघटन एवं संरचना हैं। सभी गैसों का अपना महत्व है। ये गैसेंस्जस तनस्चचत अन ु पात में हैवह बना रहना चाहहये। 2. जलवाष्प:- वाय ु मंडल में जलवाष्प की मात्रा ककसी स्थान की जलवाय ुपर तनभषर करती है। जलवाष्प सू याषतप का क ु छ भाग सोख लेती हैऔर पथ् ृ वी से उत्सस्जषत ताप को भी ग्रहण करती है। इस तरह यह पथ् ृ वी को अचधक गमष एंव अचधक ठंडा होने से बचाती है। 3. ध ू लकण:- ध ू लकण आर्द्षता को ग्रहण करनेके ललये के न्र्द्क का कायष करते हैंऔर मेघों के तनमाषण में सहायक होते हैं। वाय ु मण्डल मेंधल ू के कणों का महत्व:- वाय ु मण्डल में वाय ु की गतत के कारण सूक्ष्म ध ू ल के कण उडते रहते हैं। ये ध ू ल के कण ववलभन्न स्रोतों सेप्राप्त होते हैं। इनमें सूक्ष्म लमट्टी, ध ू ल, सम ूर्द्ी नमक, ध ु ंए की काललख, राख तथा उल्कापात के कण सस्म्मललत हैं। ये ध ू ल कण हमारे जीवन के ललए बहु त ही उपयोगी होते होते हैं। इस प्रकिया से बादल बनते हैंऔर वर्ाष होती है। ध ू ल – कण सू याषतप को रोकने तथा उसे परावततषत करने का कायष भी करते हैं। ये सू योदय तथा सू याषस्त के समय आकाश में लाल तथा नारंगी रंग की छटाओं का तनमाषण करते हैं। वाय ु मण्डल की महत्वप ू णण गैसों का वणणन:- वाय ु मण्डल कई गैसों का लमश्रण है। गैसों के अततररक्त वाय ु मण्डल में जलवाष्प तथा ध ू ल के कण भी उपस्स्थत रहते हैं। क ु छ महत्वप ू णष गैसों का ववतरण तनम्न प्रकार है : 1. नाइट्रोजन:- इस गैस की प्रततशत मात्रा सबसेअचधक 78.8 प्रततशत है। यह वाय ु मण्डल की महत्वपण ू ष गैसों में से एक है। नाइट्रोजन से पेड – पौधों के ललए प्रोटीनों का तनमाणष होता है जो भोजन का म ु ख्य अंग हैं। 2. ऑक्सीजन:-
(3) 08 वाय ु मण्डल का संघटन एवं संरचना ऑक्सीजन गैस जीवनदातयनी गैस मानी गई है क्योंकक इसके बबना हम सांस नही ले सकते। वाय ु मण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा 20.95 प्रततशत है। ऑक्सीजन के अभाव में हम ईंधन नहीं जला सकते हैं। 3. कार्णनडाईऑक्साइड गैस:- यह सबसे भारी गैस है और इस कारण यह सबसे तनचली परत में ही लमलती है। वाय ु मण्डल में के वल 0.03 प्रततशत होते हु ए भी काबषन डाइ ऑक्साइड महत्वप ू णष गैस है क्योंकक यह पेड – पौधों के ललए आवचयक है। 4. ओजोन गैस:- यह वाय ु मण्डल में अचधक ऊं चाइयों पर ही अतत न्य ू न मात्रा में लमलती है। यह सू यष से आने वाली खतरनाक पराबैंगनी ववककरण को अवाशोवर्त करती है। 5. एयरोसोल्स:- वाय ु मडलं में जल कण, काबषन डाईऑक्साइड, ओजोन, जेनॉन, किप्टॉन, तनओन, आगषन तथा बडे ठोस कण लमलकर एयरोसोल्स कहलाते है। वाय ु मण्डल की संरचना का वणणन:- तापमान तथा वाय ुदाब के आधार पर वाय ु मण्डल को पांच प्रम ु ख परतों में बांटा जाता है। रासायतनक संघटन के आधार पर वाय ु मण्डल दो ववस्ततृ परतों होमोस्फे यर तथा हैट्रोस्फे यर में ववभक्त है। ककंतुतापमान व गैसों के संघटन के आधार पर वाय ु मंडल को तनम्नललखखत परतों में बाँटा गया है:- 1. क्षोभमंडल (Troposphere):- यह वाय ु मण्डल की सबसे तनचली परत है। इसकी औसत ऊँ चाई 13 ककलोमीटर है। इसकी ऊँ चाई भ ू मध्य रेखा पर 18 ककलोमीटर तथा ध्र ु वों पर 8 ककलोमीटर है। ऋतुतथा मौसम सेसम्बचधत सभी घटनाएँइसी परत में घहटत होती हैं। यह परत मानव के ललए उपयोगी है। 2. समतापमंडल (Stratosphere):-

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